कौन है हसन नसरूल्लाह? इजरायल का जानी दुश्मन और हिज़्बुल्लाह का मुखिया
1979 की ईरानी क्रांति के बाद नसरूल्लाह की विचारधारा और मज़बूत हुई। उन्होंने ईरान के शिया इस्लामी सिद्धांतों से प्रेरणा ली और जल्दी ही हिज़्बुल्लाह से जुड़ गए, जिसे ईरान का समर्थन प्राप्त था। 1992 में हिज़्बुल्लाह के पहले महासचिव अब्बास अल-मूसावी की इजरायली हमले में मृत्यु के बाद, नसरूल्लाह हिज़्बुल्लाह का नेता बन गया।

हसन नसरूल्लाह, जिंदा है या मारा गया अभी पता नहीं चल सका है लेकिन हसन नसरूल्लाह और इजरायल की दुश्मनी जगजाहिर है। नसरूल्लाह का जन्म 31 अगस्त 1960 को लेबनान के बैरूत शहर में हुआ था। वह एक शिया मुसलमान हैं और अपने युवावस्था में ही उन्होंने इमाम मूसा सादर के नेतृत्व में सक्रिय अमल पार्टी से जुड़कर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की।
1979 की ईरानी क्रांति के बाद नसरूल्लाह की विचारधारा और मज़बूत हुई। उन्होंने ईरान के शिया इस्लामी सिद्धांतों से प्रेरणा ली और जल्दी ही हिज़्बुल्लाह से जुड़ गए, जिसे ईरान का समर्थन प्राप्त था। 1992 में हिज़्बुल्लाह के पहले महासचिव अब्बास अल-मूसावी की इजरायली हमले में मृत्यु के बाद, नसरूल्लाह हिज़्बुल्लाह का नेता बन गया।
हिज़्बुल्लाह का उदय और इजरायल से दुश्मनी
हिज़्बुल्लाह, जिसका अर्थ "अल्लाह की पार्टी" है, 1982 में इजरायल के लेबनान पर हमले के बाद स्थापित हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य दक्षिणी लेबनान से इजरायली सेना को बाहर निकालना और इजरायल के खिलाफ प्रतिरोध करना था। हिज़्बुल्लाह की शुरुआत में ही नसरूल्लाह ने इसे एक मजबूत मिलिशिया में बदलने का काम किया, जिसमें ईरान का वित्तीय और सैन्य समर्थन बहुत महत्वपूर्ण रहा।
नसरूल्लाह ने हिज़्बुल्लाह को न सिर्फ एक सैन्य ताकत के रूप में बल्कि एक सामाजिक और राजनीतिक संगठन के रूप में भी स्थापित किया। लेबनान के सुन्नी और ईसाई इसके खिलाफ थे लेकिन इसके पास सैन्य ताकत जिससे कोई इसका विरोध नहीं कर पाता था।
इजरायल का जानी दुश्मन
हसन नसरूल्लाह और इजरायल के बीच तनाव 1980 के दशक से लगातार बढ़ता गया। 2006 में इजरायल और हिज़्बुल्लाह के बीच 34 दिन का युद्ध हुआ, जिसे "लेबनान युद्ध" कहा जाता है। नसरूल्लाह के नेतृत्व में हिज़्बुल्लाह ने इजरायली सैनिकों के खिलाफ गंभीर प्रतिरोध दिखाया, जिससे इजरायल को दक्षिणी लेबनान से हटना पड़ा।
लेबनान में फौज खड़ी करना
हिज़्बुल्लाह ने अपनी शुरुआत से ही लेबनान में एक मिलिशिया के रूप में काम किया, लेकिन नसरूल्लाह के नेतृत्व में यह संगठन एक शक्तिशाली सेना में बदल गया। उन्होंने ईरान के क़ुद्स फोर्स और सीरिया की सरकार से सैन्य समर्थन प्राप्त कर हिज़्बुल्लाह को एक मजबूत सैन्य ताकत में तब्दील किया। हिज़्बुल्लाह के पास रॉकेट्स, मिसाइल्स और अन्य आधुनिक हथियार हैं, जिसका इस्तेमाल वो आतंक फैलाने और इजरायल पर हमले करने के लिए करता है।