फिजिक्स ग्रेजुएट, 1998 में पहली जॉब, कैसे पहुंची Sunita Williams NASA तक?
Astronaut Sunita Williams अपने साथी Butch Wilmore के साथ करीब 9 महीने अंतरिक्ष में बिताने के बाद अब धरती पर वापसी कर रही हैं। हम आपको आर्टिकल में सुनीता विलियम्स और उनके NASA के सफर के बारे में बताएंगे।

Sunita Williams 9 महीनों के बाद स्पेस से अपने साथी Butch Wilmore के साथ अब धरती घर वापसी आ रही हैं। वे Elon Musk के SpaceX Crew Dragon कैप्सूल में बैठकर समुद्र में लैंड करेंगे। इस घटना के बाद से ही सुनिता विलियम्स चर्चा में बनी हुई हैं। लोग उनके बारे में हर छोटी- बड़ी बात जानने के लिए उत्सुक हैं। हम आपको नीचे सुनीता विलियम्स और उनके NASA के सफर के बारे में बताएंगे।
Sunita Williams के बारे में
Sunita का जन्म 19 सितंबर 1965 को क्लीवलैंड, अमेरिका में हुआ था। Sunita की शुरुआती पढ़ाई Needham High School से हुई है। साइंस और टेक्नोलॉजी में इंटरेस्ट होने के कारण सुनीता विलियम्स ने 1987 में United States Naval Academy से Physics में B.Sc. की थी। इसके बाद 1995 में Florida Institute of Technology से Aviation Engineering में Masters पूरा किया।
Sunita ने Navy में किया काम
1987 में सुनीता ने अमेरिकी नौसेना (U.S. Navy) ज्वाइन किया है। यहां उन्हें हेलीकॉप्टर पायलट की ट्रेनिंग दी गई थी। ट्रेनिंग के बाद, सुनिता को USS Saipan पर तैनात किया गया था। 1989 में उन्हें Naval Aviator का दर्जा मिला। बता दें, सुनीता ने 30 से ज्यादा एयरक्राफ्ट में 3000 से अधिक घंटे की उड़ान भरी थी।
1998 में Sunita ने NASA में की एंट्री
जून 1998 में सुनीता विलियम्स ने NASA Astronaut Program में एडमिशन लिया। इसके बाद उन्होंने अंतरिक्ष में कई बड़े मिशन भी पूरे किए और रिकॉर्ड समय तक अंतरिक्ष में रहने वाली महिला अंतरिक्ष यात्री बनीं। उन्होंने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर दो बार लंबे समय तक काम किया और वहां कई जरुरी रिसर्च और स्पेसवॉक भी पूरे किए हैं।
NASA ने क्यों चुना सुनीता विलियम्स को?
NASA में Astronaut बनना आसान नहीं होता है। सुनीता को चुनने के पीछे कई कारण थे। पहला तो ये कि सुनीता ने नौसेना में पायलट रहते हुए कई बड़े मिशनों को पूरा किया था। वहीं उनकी मास्टर डिग्री ने उन्हें नासा के लिए परफेक्ट कैंडिडेट बनाया। अंतरिक्ष मिशनों के लिए शारीरिक और मानसिक ताकत भी बहुत जरूरी होती है, जिसमें वह शानदार थी। नासा में एडमिशन होने के बाद उन्होंने रोबोटिक्स शाखा में काम किया। उन्होंने NASA के NEEMO2 मिशन में भी भाग लिया, जिसमें वह नौ दिनों तक पानी के अंदर एक्वेरियस हैबिटेट में रहीं और रिसर्च किया।