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सीजफायर पर कंफ्यूजन खत्म- ईरान-इजरायल के बीच संघर्ष का The End!

ईरानी सरकारी टेलीविजन ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर सीजफायर लागू होने की घोषणा की। इजरायल ने भी हमलों को लेकर जारी अलर्ट हटा दिया है और नागरिकों को बंकरों से बाहर निकलने की अनुमति मिल गई है।

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Israel-Iran Conflict END: इजरायल और ईरान के बीच 12 दिन से जारी युद्ध आखिरकार थम गया है। ईरानी सरकारी टेलीविजन ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर सीजफायर लागू होने की घोषणा की। इजरायल ने भी हमलों को लेकर जारी अलर्ट हटा दिया है और नागरिकों को बंकरों से बाहर निकलने की अनुमति मिल गई है। हालांकि इससे पहले हालात कुछ और ही तस्वीर पेश कर रहे थे।

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बाद भले ही संघर्षविराम की घोषणा हुई, लेकिन उसके तुरंत बाद ईरान ने इजरायल पर तीन मिसाइल हमले किए। इजरायली डिफेंस फोर्स के अनुसार, इन हमलों में चार नागरिकों की मौत हुई। इस हमले के दौरान तेल अवीव में सायरन बज उठे और लोग फिर से सेफहाउस में चले गए।

ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इन हमलों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "हमारी ताकतवर मिलिट्री फोर्स आखिरी मिनट तक इजरायल को उसके हमलों के लिए सजा देगी।" उनका यह बयान सीजफायर की भावना पर सवाल खड़े करता है।

13 जून को शुरू हुआ था संघर्ष

13 जून को शुरू हुए इस युद्ध में ईरान को भारी नुकसान झेलना पड़ा। अमेरिका ने उसके तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों- फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर बंकर बस्टर बम गिराए। इसके अलावा, रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के चीफ हुसैन सलामी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मारे गए और लगभग एक हजार नागरिकों की मौत हुई। ईरान के इंफ्रास्ट्रक्चर को भी भारी नुकसान हुआ है।

इस पूरे संघर्ष के दौरान ईरान को मिडल ईस्ट के किसी देश का साथ नहीं मिला। रूस और चीन जैसे देश भी केवल नैतिक समर्थन तक सीमित रहे। विश्लेषकों के अनुसार, सीजफायर के अंतिम क्षणों में ईरान द्वारा किए गए हमले उसकी सैन्य शक्ति और संप्रभुता का प्रदर्शन थे।

इसके पीछे आंतरिक दबाव भी एक कारण माना जा रहा है। कट्टरपंथी गुटों का दबाव, जनहानि और अयातुल्ला खामेनेई पर हमले की आशंका ने ईरान को कठोर रुख अपनाने के लिए मजबूर किया।

हालांकि सीजफायर अब लागू हो चुका है, लेकिन हालिया घटनाक्रम यह स्पष्ट करते हैं कि यह केवल युद्ध का अंत नहीं, बल्कि एक जटिल कूटनीतिक समीकरण की नई शुरुआत है।