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Chrome के पीछे क्यों पड़ा अमेरिका? यहां जानें पूरा मामला

गूगल का क्रोम ब्राउजर लाखों-करोड़ों मोबाइल यूजर के लिए प्राइमरी सर्च इंजन है। माना जा रहा है कि क्रोम ब्राउजर जल्द बिकने वाला है। आर्टिकल में पूरा मामला जानते हैं।

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Google Chrome में खामियां, साइबर हमलों की आशंका, सरकार ने किया अलर्ट
Google Chrome में खामियां, साइबर हमलों की आशंका, सरकार ने किया अलर्ट

अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने गूगल को क्रोम ब्राउजर(chrome browser) बेचने की सलाह दे रहा है। इससे पहले भी कई बार गूगल को क्रोम ब्राउजर बेचने का दबाव डाला गया था। बता दें, अमेरिका पहले भी नवंबर 2024 में Google से Chrome browser बेचने के लिए बोल चुका है। ऐसा लग रहा है क‍ि अमेर‍िका Google क्रोम ब्राउजर के पीछे हाथ धोकर पड़ गया है। लेकिन सवाल ये है कि, अमेरिका का न्याय विभाग (DOJ) बार-बार Google पर दबाव क्यों बना रहा है? 

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अमेरिका को Google से क्या दिक्कत है?

क्या आपने कभी सोचा है, जब भी आपको कुछ सर्च करना होता है तो सबसे पहले Google Chrome पर ही करते होंगे। Google Chrome दुनिया भर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला browser है। इसलिए DOJ का मानना है कि Google अपने browser से पूरी सर्च मार्केट पर हावी हो चुका है और अगर गूगल ने अपना browser बेच दिया तो इससे दूसरी सर्च इंजन कंपनियों को भी आगे बढ़ने का मौका मिल जाएगा।

Google ने Chrome बेच दिया तो किया होगा?

हालांकि, अगर गूगल ने Chrome ब्राउजर किसी और कंपनी को बेच दिया, तब भी गूगल की पावर खत्म नहीं होगी। Chrome ब्राउजर सिर्फ एक प्लेटफॉर्म है, लेकिन उसमें डिफॉल्ट रूप से Google का सर्च इंजन ही इस्तेमाल होता है। यानी कोई और कंपनी इसे खरीद ले तब भी सर्च के लिए Google का ही इस्तेमाल होगा।

Google का क्या कहना है?

Google का कहना है कि, सरकार के इस प्रस्ताव से अमेरिका के उपभोक्ताओं, अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान हो सकता है। कंपनी का यह भी कहना है कि छोटे बदलाव किए जा सकते हैं, लेकिन ब्राउजर बेचने से समस्या ठीक नहीं होगी। साथ ही, गूगल ने कहा ज‍िन पार्टनर के साथ उसकी साझेदारी है, उनको बाकी सर्च इंजन के साथ एग्रीमेंट करने की परमिशन दी जाए।