अनिवार्य नहीं ऑप्शनल है संचार साथी ऐप, यूजर चाहें तो डिलिट कर सकते हैं- केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया
संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में सिंधिया ने कहा कि ऐप तभी काम करता है जब यूजर इसे एक्टिव करता है। यह बयान उस समय आया है जब DoT के आदेश में मैन्यूफैक्चरर को साफ बताया गया था कि ऐप की फंक्शनैलिटी को 'डिसेबल या प्रतिबंधित नहीं' किया जाना चाहिए।

Sanchar Saathi App: केंद्र के निर्देशों से उठी प्राइवेसी चिंताओं और निगरानी के डर के बीच केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि Sanchar Saathi ऐप को ऐक्टिवेट करना पूरी तरह ऑप्शनल है और यूजर चाहें तो इसे कभी भी डिलीट कर सकते हैं। दूरसंचार मंत्री ने जोर देकर कहा कि यह सरकारी साइबर सुरक्षा ऐप किसी प्रकार की जासूसी या कॉल मॉनिटरिंग नहीं करता।
संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में सिंधिया ने कहा कि ऐप तभी काम करता है जब यूजर इसे एक्टिव करता है। यह बयान उस समय आया है जब DoT के आदेश में मैन्यूफैक्चरर को साफ बताया गया था कि ऐप की फंक्शनैलिटी को 'डिसेबल या प्रतिबंधित नहीं' किया जाना चाहिए।
सिंधिया ने कहा कि अगर आप चाहें तो इसे ऐक्टिवेट करें; अगर नहीं चाहें, तो मत करें… अगर आप Sanchar Saathi नहीं चाहते, तो इसे डिलीट कर दें। यह अनिवार्य नहीं, ऑप्शनल है। उनका कहना है कि निर्देश का उद्देश्य केवल साइबर फ्रॉड रोकने वाले टूल की व्यापक पहुंच सुनिश्चित करना था।
यह सफाई एक दिन बाद आई, जब DoT ने सभी स्मार्टफोन निर्माताओं को निर्देश दिया था कि:
- नए फोन में Sanchar Saathi प्री-इंस्टॉल हो,
- ऐप दिखाई देने योग्य और एक्सेसिबल रहे तथा इसकी सुविधाएं डिसेबल न हों,
- मौजूदा डिवाइसों में ऐप सॉफ्टवेयर अपडेट के माध्यम से भेजा जाए।
- कंपनियों को इसे लागू करने के लिए 90 दिन दिए गए थे।
जनवरी 2025 में लॉन्च हुआ था ऐप
जनवरी 2025 में लॉन्च Sanchar Saathi ऐप चोरी हुआ फोन ब्लॉक करना, अपने नाम पर एक्टिव मोबाइल कनेक्शनों की जांच और संदिग्ध फ्रॉड रिपोर्ट करने जैसी सुविधाएं देता है।
संसद तक पहुंचा मामला
सरकार के लेटेस्ट निर्देश ने जहां स्मार्टफोन निर्माताओं का तनाव बढ़ाया, वहीं यह मामला संसद तक गूंजा। कांग्रेस ने इसे तत्काल वापस लेने की मांग की। पार्टी नेता प्रियंका गांधी ने इसे 'स्नूपिंग ऐप' कहा, जबकि राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे 'एक और BIG BOSS surveillance moment' बताया।
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदम्बरम ने इसे Pegasus से भी आगे बताते हुए लिखा, 'यह Pegasus plus plus है… Big Brother अब हमारे फोन और हमारी निजी जिंदगी पर कब्जा कर लेगा।'
Pegasus विवाद 2022 में गहराया था, जब रिपोर्टों में दावा किया गया कि इजराइली कंपनी NSO ग्रुप द्वारा बनाए गए इस स्पायवेयर का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों की निगरानी के लिए किया गया।

