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CNAP Calls: अब अनचाही कॉल्स से मिलेगी मुक्ति, पता लगेगा कौन कर रहा है परेशान?

भारत की तीन प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों ने CNAP को डिफॉल्ट सर्विस के रूप में लागू करने की चुनौतियों पर बात की है। ऐसा कहा जा रहा है कि हर एक कॉल के लिए सीएनएपी डेटाबेस से डेटा को इंटीग्रेट और प्राप्त करने के चलते कॉल सेटअप समय बढ़ सकता है।

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अगर आप भी अनचाही कॉल्स से परेशान हैं तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं हैं
अगर आप भी अनचाही कॉल्स से परेशान हैं तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं हैं

अगर आप भी अनचाही कॉल्स से परेशान हैं तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं हैं, क्योंकि केंद्र सरकार का टेलीकॉम डिपार्टमेंट जल्द ही डिफॉल्ट टेलीकॉम ऑफरिंग जैसी सर्विस पेश करने पर विचार कर रहा है। आइए जानते हैं कि ऐसे कदम से टेलीकॉम कंपनियों और Truecaller पर क्या असर पड़ सकता है।

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CNAP कैसे बन सकता है चुनौती

टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) का कहना है कि टेलीकॉम ऑपरेटर्स को कॉलिंग नेम प्रिजेंटेशन (CNAP) अपनाना चाहिए। यह फीचर वैसी ही सुविधा प्रदान करेगा जैसी Truecaller करता है। फर्क सिर्फ इतना है कि Truecaller अपने यूजर बेस से क्रॉस-रेफर्ड कॉन्टेक्ट जानकारी का इस्तेमाल करके ऐसा करता है, जबकि CNAP के लिए TRAI का प्रस्ताव उस नाम को शो करना है, जिसके साथ एक यूजर या बिजनेस नंबर किसी टेलीकॉम कंपनी के साथ रजिस्टर्ड है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे कॉलर की जानकारी ओवरलैप हो जाएगी. इसलिए Truecaller की मुख्य सर्विस पर खतरा बढ़ जाएगा।

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Truecaller को हो सकता है नुकसान

Truecaller का रेवेन्यू दो सोर्सेज से आता है, जिनमें एडवर्टाइजमेंट और सब्सक्रिप्शन फीस शामिल है। 20 फरवरी को आई कंपनी की दिसंबर तिमाही की वित्तीय रिपोर्ट से पता चला है कि 2023 में अर्जित 168 मिलियन डॉलर के सालाना रेवेन्यू में भारत का योगदान 75% से ज्यादा था। इसलिए भारत सरकार के कदम से Truecaller के बिजनेस पर प्रभाव पड़ना लगभग तय है। Truecaller के मंथली एक्टिव यूजर (MAU)-बेस का लगभग दो-तिहाई हिस्सा भारत में है, जो दिसंबर के अंत में 360 मिलियन को पार कर गया।

टेलीकॉम कंपनियों कैसे प्रभावित हो सकती हैं?

भारत की तीन प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों ने CNAP को डिफॉल्ट सर्विस के रूप में लागू करने की चुनौतियों पर बात की है। ऐसा कहा जा रहा है कि हर एक कॉल के लिए सीएनएपी डेटाबेस से डेटा को इंटीग्रेट और प्राप्त करने के चलते कॉल सेटअप समय बढ़ सकता है। टेलीकॉम कंपनियां मार्जिन-सीमित इंडस्ट्री में अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर की लागत के बारे में भी चिंतित हैं। सीएनएपी भारत में 40% से ज्यादा फोन के साथ कम्पेटिबल नहीं हो सकता है। इस दौरान डेटा प्राइवेसी भी एक प्रमुख चिंता का विषय होगा।