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Share Market Crash के 5 बड़े कारण, ₹4 लाख करोड़ डूबे!

ट्रंप की जीत के बाद भी शेयर मार्केट धड़ाम हो गया और इस गिरावट से BSE पर लिस्ट कंपनियों का 4.5 लाख करोड़ का मार्केट कैप साफ हो गया। NIFTY 1.16% यानी 281 अंक गिरकर 24,202 पर ट्रेड करता दिखा, तो वहीं Sensex 1.01% यानि 808 अंक टूटकर 79,569 की रेंज पर कारोबार करता दिखा।

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bear market
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जहां एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप की जीत पर बुधवार को बाजार ने लंबी छलांग लगाई। वहीं दूसरी ओर गुरुवार 7 नवंबर में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। NIFTY 1.16% यानी 281 अंक गिरकर 24,202 पर ट्रेड करता दिखा, तो वहीं Sensex 1.01% यानि 808 अंक टूटकर 79,569 की रेंज पर कारोबार करता दिखा। आइये जानते हैं बाजार में गिरावट के क्या बड़े कारण हैं?

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ट्रंप की जीत के बाद भी शेयर मार्केट धड़ाम हो गया और इस गिरावट से BSE पर लिस्ट कंपनियों का 4.5 लाख करोड़ का मार्केट कैप साफ हो गया।

Nifty Bank में भी करीब 500 प्वाइंट्स की गिरावट आई है। वहीं  BSE Smallcap से लेकर  BSE Midcap इंडेक्स भी लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं। मेटल, फार्मा, ऑटो, बैंक, एफएमसीजी सेक्टर को आज सबसे अधिक नुकसान हुआ है। वहीं Apollo Hospitals, Tata Steel, HDFC Life, SBI और M&M के शेयर निफ्टी के टॉप गेनर रहे हैं तो वहीं Hindalco, Trent, Grasim, Tech Mahindra और Adani Enterprises के शेयर टॉप लूजर रहे हैं।

गिरावट के 5 बड़े कारण?

डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। यह 84.35 रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। इस दबाव का असर शेयर बाजार पर दिख रहा है, क्योंकि रुपये में कमजोरी का सीधा असर कंपनियों की कमाई पर भी दिखेगा। अगर रुपये में कमजोरी का सिलसिला बना रहता है। जैसे ही डॉलर मजबूत हुआ और ट्रंप के चुनाव के बाद अमेरिकी यील्ड में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। भारत समेत उभरते बाजारों को इन वैश्विक संकेतों से भारी झटका लगा। 

अमेरिकी ट्रेजरी में भारी गिरावट देखी गई, जिससे यील्ड कई महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। यह ट्रंप की चुनावी जीत के बाद आया, जिससे आर्थिक नीति में बदलाव की उम्मीदें बढ़ गईं। जिससे घाटा और महंगाई बढ़ने की संभावना है। बेंचमार्क 10-साल ट्रेजरी यील्ड 4.479 प्रतिशत तक चढ़ गया, जो जुलाई के बाद से इसका उच्चतम स्तर है।

निवेशक अब ब्याज दर पर फेडरल रिजर्व के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। अमेरिकी फेडरल ब्याज आज यानी 7 नवंबर को नीतिगत ब्याज दरों पर फैसला भी करने वाला है। जबकि फेड के जरिए एक और 25-बेसिस प्वाइंट की कटौती की घोषणा करने की उम्मीद है। निवेशकों में भविष्य के ब्याज दर पर निर्णय को लेकर अनिश्चित बना हुआ है जिससे बाजार में अस्थिरता बढ़ गई है।

डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं, तो ईरान के ऑयल प्रोडक्शन की लिमिट घटा देंगे ताकि उसकी आमदनी कम हो और वह आतंकवाद की फंडिंग न कर पाए। अब ट्रंप के जीतने के बाद आशंका है कि क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन और सप्लाई बाधित हो सकती है। इससे क्रूड की कीमतों में अस्थिरता और निवेशकों की चिंता बढ़ी है।

फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FII) की भारतीय शेयर बाजार से बिकवाली लगातार जारी है। इसके साथ ही देश की अधिकतर कंपनियों का दूसरी तिमाही में वित्तीय प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 48 प्रतिशत कंपनियां अपने अर्निंग गाइडेंस को पूरा करने में नाकाम रहीं। ज्यादातर कंपनियों का वैल्यूएशन भी अधिक है। 

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Disclaimer: ये आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से इंवेस्टमेंट सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। BT Bazaar अपने पाठकों और दर्शकों को पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेने का सुझाव देता है।