फिर फंसे अनिल अंबानी! इस खबर के बाद Reliance Power और Reliance Infrastructure के शेयर धड़ाम - 5% का लगा लोअर सर्किट
BSE पर Reliance Power और Reliance Infrastructure के शेयरों में 5% का लोअर सर्किट लगा है। रिलायंस पावर का शेयर बीएसई पर 5 प्रतिशत या 3.14 रुपये गिरकर 59.70 रुपये पर है तो वहीं रिलायंस इंफ्रा का शेयर 5 प्रतिशत या 18.90 रुपये गिरकर 360.05 रुपये पर है।

Anil Ambani Company Shares: गुरुवार को Reliance Power Ltd और Reliance Infrastructure Ltd के शेयरों में 5% की भारी गिरावट दर्ज की गई। इस गिरावट के पीछे का कारण प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई कार्रवाई है। दरअसल ED ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी (Anil Ambani) से जुड़े करीब तीन दर्जन जगहों पर छापेमारी की है। यह कार्रवाई मुंबई और नई दिल्ली में की गई।
इस खबर के बाद BSE पर Reliance Power और Reliance Infrastructure के शेयरों में 5% का लोअर सर्किट लगा है। रिलायंस पावर का शेयर बीएसई पर 5 प्रतिशत या 3.14 रुपये गिरकर 59.70 रुपये पर है तो वहीं रिलायंस इंफ्रा का शेयर 5 प्रतिशत या 18.90 रुपये गिरकर 360.05 रुपये पर है।
सूत्रों के अनुसार, इस जांच में नेशनल हाउसिंग बैंक, SEBI, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी संस्थाओं ने ED को अहम जानकारियां शेयर की हैं। छापे की कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 17 के तहत की गई, जिसमें 35 से अधिक परिसरों, 50 कंपनियों और 25 से अधिक व्यक्तियों को कवर किया गया।
ED की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि पब्लिक मनी को धोखाधड़ी से निकालने की एक योजनाबद्ध साजिश रची गई थी, जिसमें बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थाओं को चूना लगाया गया। जांच में YES बैंक के प्रमोटर्स सहित कुछ बैंक अधिकारियों की मिलीभगत और रिश्वतखोरी की आशंका भी जताई गई है।
एनडीटीवी के अनुसार, 2017 से 2019 के बीच YES बैंक ने Reliance Anil Ambani Group (RAAGA) से जुड़ी कंपनियों को लगभग ₹3,000 करोड़ के कर्ज दिए थे। इन कर्जों के मंजूर होने से ठीक पहले YES बैंक के प्रमोटरों से जुड़ी संस्थाओं को संदिग्ध भुगतान किए गए, जो कथित 'quid pro quo' की ओर इशारा करता है।
जांच में YES बैंक की कर्ज प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं भी सामने आई हैं जैसे बैकडेटेड क्रेडिट अप्रूवल मेमो, बिना ड्यू डिलिजेंस के निवेश प्रस्ताव, और बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन।