लगातार गिरता Stock Market अब डराने लगा है! जानिए 5 बड़े कारण, एक हफ्ते में Sensex 3700 अंक टूटा
भारतीय शेयर बाजार इस हफ्ते भारी नुकसान के साथ बंद होने की ओर बढ़ रहा है। बेंचमार्क सेंसेक्स इस हफ्ते 3,500 अंकों से अधिक गिर चुका है। ऐसे में कौन से बड़े कारण हैं जिसके चलते बाजार लगातार टूट रहा है।

भारतीय शेयर बाजार इस हफ्ते भारी नुकसान के साथ बंद होने की ओर बढ़ रहा है। बेंचमार्क सेंसेक्स इस हफ्ते 3,500 अंकों से अधिक गिर चुका है। ऐसे में कौन से बड़े कारण हैं जिसके चलते बाजार लगातार टूट रहा है।
शुक्रवार यानि 20 दिसंबर को सेंसेक्स 79,335.48 पर खुला, जो इसके पिछले बंद 79,218.05 के मुकाबले था और 800 अंकों से अधिक गिरकर दिन के न्यूनतम 78,398.84 पर आ गया यानी 1 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। निफ्टी 50 23,960.70 पर खुला, जो इसके पिछले बंद 23,951.70 के मुकाबले था और लगभग 250 अंकों की गिरावट के साथ 23,711.75 पर पहुंच गया।
सेंसेक्स और निफ्टी 50 लगातार 5 सेशन्स से गिर रहे हैं। शुक्रवार के न्यूनतम स्तर को ध्यान में रखते हुए, सेंसेक्स अब इस हफ्ते 3,700 अंकों से अधिक यानी लगभग 5 प्रतिशत गिर चुका है। निफ्टी 50 इस हफ्ते 4 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ बंद होने के लिए तैयार है।
1) यूएस फेडरल रिजर्व
फेड ने अपनी दर कटौती के नजरिये को संशोधित करते हुए 2025 के आखिरी तक सिर्फ दो रेट कट 0.25 प्रतिशत का अनुमान लगाया है, जबकि बाजार की उम्मीदें तीन या चार दर कटौतियों की थीं। इससे निवेशकों में घबराहट फैल गई है।
ICICI सिक्योरिटीज के रिसर्च प्रमुख पंकज पांडे ने कहा कि यूएस फेड की हॉकिश गाइडेंस के बाद वैश्विक भावना काफी कमजोर हो गई है। घरेलू स्तर पर हम अभी भी कुछ ठोस ऑर्डरिंग और टेंडरिंग की प्रतीक्षा कर रहे हैं। तो यह दोनों वैश्विक और घरेलू कारकों के आधार पर बाजार को नीचे खींच रहा है।
2) विदेशी पूंजी
हॉकिश फेड ने अमेरिकी डॉलर और बॉन्ड यील्ड्स को मजबूत किया है और विदेशी पूंजी निकासी को तेज कर दिया है। FII (विदेशी संस्थागत निवेशक) ने पिछले चार सत्रों में भारतीय शेयरों में ₹12,000 करोड़ से अधिक की बिक्री की है, अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने, बॉन्ड यील्ड्स के बढ़ने और अगले साल US फेड के जरिए कम दर कटौती की संभावना के कारण।
3) मैक्रोइकोनॉमिक चिंताएं
निवेशकों को घरेलू मैक्रोइकोनॉमिक स्थिति की बिगड़ती स्थिति को लेकर भी चिंता है। रुपया डॉलर के मुकाबले अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है। इसके अलावा, देश का व्यापार घाटा नवंबर में अब तक के उच्चतम स्तर पर बढ़ गया है।
कुल मिलाकर आर्थिक विकास भी धीमा होने के संकेत दे रहा है। भारत का Q2 GDP प्रिंट लगभग 2 सालों में सबसे कम था। यह दिखाता है कि भारतीय आर्थिक वृद्धि तीसरी लगातार तिमाही में धीमी हो गई है।
4) अर्निंग रिकवरी पर अनिश्चितता
भारत के कॉरपोरेट्स के कमजोर Q1 और Q2 आय के बाद अब सभी की नजरें दिसंबर तिमाही (Q3) की आय पर हैं। जहां विशेषज्ञ Q3 से रिकवरी की उम्मीद कर रहे हैं, वहीं बाजार महंगाई और ऊंची ब्याज दरों के कारण सिकुड़ती दिखाई दे रहा है।
5) कई सेक्टर्स का खराब प्रदर्शन
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि बैंकिंग, आईटी और वित्तीय जैसे भारी-भरकम सेक्टर्स का प्रदर्शन उम्मीद के अनुसार नहीं हो रहा है, जिससे बाजार के बेंचमार्क नीचे बने हुए हैं।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और इसे निवेश सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। निवेश निर्णय लेने से पहले एक वित्तीय सलाहकार से परामर्श करने की सिफारिश की जाती है।