
जीएसटी सुधार से इन 26 शेयरों को हो सकता है फायदा, MOFSL ने बताया किन-किन कंपनियों को मिल सकता है प्रॉफिट
सरकार ने जीएसटी स्ट्रक्चर को चार स्लैब से घटाकर दो स्लैब 5% और 18% में लाने का प्रस्ताव रखा है। ‘सिन गुड्स’ को छोड़कर ज्यादातर वस्तुओं पर इसका असर होगा।

GST Reforms: मोतिलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (MOFSL) ने एक नोट में कहा है कि प्रस्तावित जीएसटी सुधारों से कम से कम दो दर्जन कंपनियों को लाभ मिल सकता है। इनमें हिंदुस्तान यूनिलीवर, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, मारुति सुज़ुकी इंडिया, अशोक लेलैंड, अल्ट्राटेक सीमेंट, वोल्टास और एम्बर एंटरप्राइजेज इंडिया जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं।
साथ ही डिलीवरी, लेमनट्री, स्विगी, एचडीएफसी बैंक और बजाज फाइनेंस जैसी कंपनियों को भी फायदा मिल सकता है।
सरकार ने जीएसटी स्ट्रक्चर को चार स्लैब से घटाकर दो स्लैब 5% और 18% में लाने का प्रस्ताव रखा है। ‘सिन गुड्स’ को छोड़कर ज्यादातर वस्तुओं पर इसका असर होगा। मंत्रालय का अनुमान है कि इससे 50,000 करोड़ रुपये का टैक्स रेवेन्यू प्रभाव पड़ेगा, जिसे सरकार संभाल सकती है।
ऑटो और कंज्यूमर स्टेपल्स को राहत
MOFSL का मानना है कि मारुति सुज़ुकी और अशोक लेलैंड 28% से घटकर 18% जीएसटी दर का सबसे ज्यादा फायदा उठाएंगे। वहीं, कंज्यूमर स्टेपल्स कंपनियां भी इनपुट जीएसटी कम होने से लाभान्वित होंगी। ब्रोकरेज ने कहा कि स्टेपल्स सरकार के लिए कोर रिवाइवल एरिया हैं और इस पर टैक्स कटौती कंपनियों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ देगी।

ड्यूरेबल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में फायदा
एम्बर एंटरप्राइजेज, जो एसी निर्माताओं की प्रमुख सप्लायर है, 28% से 18% जीएसटी दर घटने पर प्रॉफिट होगा। वोल्टास और हैवेल्स जैसी कंपनियां भी इसमें शामिल हैं। बजाज फाइनेंस को भी फायदा हो सकता है क्योंकि कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर EMI दायित्व कम हो जाएगा, जिससे NBFC लेंडिंग को बढ़ावा मिलेगा।
बीमा और स्वास्थ्य क्षेत्र पर असर
MOFSL ने कहा कि निवार बूपा, मैक्स लाइफ और एचडीएफसी लाइफ जैसी कंपनियों को भी प्रॉफिट हो सकता है यदि सीनियर सिटीजन पॉलिसीज पर 18% जीएसटी को घटाकर 5% कर दिया गया या पूरी तरह से हटा दिया गया।
खपत आधारित सेक्टर में बढ़त
स्विगी और ईटर्नल जैसी कंपनियों को क्विक कॉमर्स चैनल के जरिए बढ़ती खपत से फायदा होगा। फुटवियर कंपनियों- रेलैक्सो, बाटा इंडिया और कैंपस को भी लाभ मिलेगा क्योंकि कम कीमत वाले जूतों पर टैक्स दर 18% से घटकर फिर कम हो सकती है। इससे संगठित बाजार की पकड़ मजबूत होगी और अनऑर्गनाइज्ड प्लेयर्स की टैक्स अरिबिट्राज घटेगी।
MOFSL ने कहा कि लगभग 99% सामान, जो वर्तमान में 12% स्लैब में हैं, 5% में आ सकते हैं। इससे घरेलू बजट को राहत मिलेगी और उपभोक्ता कीमतें 4-5% तक घट सकती हैं। वहीं, 28% स्लैब में शामिल 90% सामान 18% में शिफ्ट हो सकते हैं, जिससे महंगे कंज्यूमर प्रोडक्ट्स की कीमतों में भी कमी आएगी।