Stock Markets Today: बाज़ार में हाहाकार, डूब गए 6 लाख करोड़
Nifty 1.17% गिरकर 24,852 पर बंद हुआ तो वहीं Sensex भी 1.24% गिरकर 81,183 पर बंद हुआ। MidCap और Small Cap में भी भारी दवाब देखने को मिला।

Nifty 1.17% गिरकर 24,852 पर बंद हुआ तो वहीं Sensex भी 1.24% गिरकर 81,183 पर बंद हुआ। MidCap और Small Cap में भी भारी दवाब देखने को मिला। इंडिया VIX में 7.11% की मजबूती देखने को मिली। इसका मतलब बाजार में वॉलिटेलिटी काफी हाई रही। अगर सेक्टर के हिसाब से देखा जाए तो PSE, ऑयल & गैस और एनर्जी इंडेक्स में सबसे ज्यादा दबाव रहा। तो दूसरी ओर बैंकिंग ऑटो और FMCG शेयरों में भी बिकवाली दिखी।
मार्केट कैपिटलाइजेशन में ₹6 लाख करोड़ की कमी दर्ज
बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों की कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन में ₹6 लाख करोड़ की कमी दर्ज की गई। दिनभर के कारोबार के बाद, निफ्टी के 50 में से 42 शेयर गिरावट के साथ बंद हुए, जबकि सेंसेक्स के 30 में से 23 शेयरों में गिरावट देखने को मिली। निफ्टी बैंक के 50 में से 42 स्टॉक्स में भी गिरावट दर्ज की गई।
बाजार में बिकवाली क्यों हुई?
पहला कारण
सबसे बड़ा कारण है कि मार्केट रेगुलेटर SEBI की ओर से FPI डिस्क्लोजर से जुड़े नियम पिछले साल अगस्त में जारी किए गए थे। इसी नियम को पालन करने का आज आखिरी दिन है। अगर FPI की ओर से डिस्क्लोजर नहीं आता है तो उनके लिए पोजीशन काटनी जरूरी हो जाएगी। अगर FPI ऐसा नहीं करते हैं और सोमवार या इसके बाद पोजीशन काटते हैं तो उन्हें 5% का जुर्माना देना पड़ेगा। SEBI के इस नियम के तहत FPI को अपने हर एक निवेशक की जानकारी देनी होगी। जिससे ज्यादा से ज्यादा पारदर्शिता आ सकेगी। ये नियम उन सभी FPI पर लागू होगा, जिनका एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) ₹25,000 करोड़ से ऊपर है।
दूसरा कारण
दूसरा कराण ग्लोबल है। अमेरिकी में गैर-कृषि पेरोल रिपोर्ट से पहले निवेशकों में घबराहट बढ़ गई है। जिससे भारतीय इक्विटी बाजारों में गिरावट आई। पिछले कुछ वक्त से अमेरिकी बाजार से तेजी या गिरावट का असर हमारे बाजारों पर भी देखने को मिल रहा है। फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने हाल ही में इस बात पर जोर दिया कि पॉलिसी मेकर लेबर बाजार में और अधिक कमजोरी का स्वागत नहीं करते हैं, जिससे सितंबर में संभावित दर कटौती की स्थिति बन गई है।
तीसरा कारणगिरावट का तीसरा कारण प्रॉफिट बुकिंग थी। एनालिस्ट राघवेंद्र सिंह का कहना है कि मौजूदा बिकवाली को केवल मुनाफा वसूली के रूप में देखा जाना चाहिए।