Stock Market के लिए सबसे बड़ा खतरा! निवेशकों के मन में बड़ा डर
Jefferies India ने दो-तिहाई कंपनियों के 2024-25 के मुनाफे के अनुमानों को कम करके निवेशकों के मन में बड़ा डर पैदा कर दिया है। ये मार्च 2020 के बाद का सबसे बड़ा डाउनग्रेड है। आइय़े इसके कारणों पर बारीकी से समझते हैं।

Jefferies India ने दो-तिहाई कंपनियों के 2024-25 के मुनाफे के अनुमानों को कम करके निवेशकों के मन में बड़ा डर पैदा कर दिया है। ये मार्च 2020 के बाद का सबसे बड़ा डाउनग्रेड है। आइय़े इसके कारणों पर बारीकी से समझते हैं।
जेफरीज की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में एक चक्रीय मंदी चल रही है जिसका असर कंपनियों के मुनाफे पर पड़ा है। इस मंदी के असर से 121 कंपनियों में से 63 फीसदी की 2024-25 की अनुमानित कमाई को घटा दिया गया है। Jefferies का अनुमान है कि Nifty 50 की महज 10 फीसदी कंपनियां ही मौजूदा कारोबारी साल में ग्रोथ दर्ज करेंगी।
दरअसल, अक्टूबर में विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने भी कंपनियों के मुनाफे पर दबाव डालने का काम किया है। अक्टूबर के महीने में वैश्विक फंड्स ने करीब 11 अरब डॉलर के शेयर बेचे जिससे Nifty 50 में 6.2 परसेंट की गिरावट आई। ये मार्च 2020 के बाद का सबसे बड़ा मंथली नुकसान है। हालांकि इसके बावजूद सालाना आधार पर Nifty में 11 फीसदी की बढ़त हुई है।
इसके अलावा अमेरिकी चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप की संभावित जीत से एशियाई बाजारों पर दबाव बढ़ सकता है। वहीं चीन के बढ़ते कर्ज और कमजोर आर्थिक स्थिति के बीच निवेशकों के लिए ये एक और चिंता का विषय बना हुआ है। हालांकि, चीन ने अपनी स्थानीय सरकारों के कर्ज की सीमा बढ़ाने जैसे कदम उठाए हैं लेकिन कोई नया आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज नहीं दिया गया है। भारतीय बाजार में मंदी के संकेतों का एक और सबूत कंज्यूमर खर्च में आई गिरावट है जिसका असर ऑटोमोटिव और FMCG सेक्टर की कमाई में भी देखा जा सकता है।
NSE 200 की 143 कंपनियों में से 86 कंपनियों की 2024-25 की अनुमानित कमाई में कटौती हुई है। इसमें स्टील, ऊर्जा और बिजली क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं। हालांकि, लॉन्गटर्म आउटलुक को लेकर जेफरीज भारत के लिए पॉजिटिव है और अनुमान है कि 2030 तक भारत के इक्विटी मार्केट का साइज 10 ट्रिलियन डॉलर हो सकता है। भारत के हाई वैल्यूएशन की वजह है कि विदेशी निवेशक अभी भी उन्हीं कंपनियों में निवेश कर रहे हैं जिनमें वो पिछले दशक से इंवेस्टमेंट कर रहे हैं। लेकिन अब भारतीय बाजार के विकास में नया मोड़ आएगा जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, अस्पताल, होटल, हवाई अड्डे, पोर्ट और मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टर्स की अहम भूमिका रहेगी।
साफ है कि फिलहाल भारतीय शेयर बाजार में थोड़ी अस्थिरता जरूर है लेकिन लॉन्गटर्म में भारतीय इकॉनमी के मजबूत रहने का भरोसा है। ऐसे में अगर निवेशक सतर्कता के साथ लंबी अवधि के लिए निवेश करेंगे तो संभव है कि उन्हें फायदा मिल सकता है।