Mutual Funds Lite के लिए SEBI ने बनाई नई व्यवस्था, जानिए आपको कैसे होगा फायदा
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में म्यूचुअल फंड्स लाइट (MF Lite) फ्रेमवर्क लॉन्च किया है, जिसका मकसद पासिवली मैनेज्ड म्यूचुअल फंड योजनाओं को लॉन्च करने वाले संस्थाओं के लिए कंप्लायंस प्रक्रिया को सरल बनाना है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में म्यूचुअल फंड्स लाइट (MF Lite) फ्रेमवर्क लॉन्च किया है, जिसका मकसद पासिवली मैनेज्ड म्यूचुअल फंड योजनाओं को लॉन्च करने वाले संस्थाओं के लिए कंप्लायंस प्रक्रिया को सरल बनाना है। इस पहल का मकसद निवेश डायवर्सिफिकेशन को बढ़ाना और म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में नए खिलाड़ियों के एंट्री को सुविधाजनक बनाना है।
म्यूचुअल फंड लाइट क्या है?
म्यूचुअल फंड लाइट पारंपरिक म्यूचुअल फंड्स का एक आसान विकल्प है, जिसे पैसिव स्कीम जैसे कि इंडेक्स फंड्स और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) में निवेश को सरल बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। वर्तमान नियामक फ्रेमवर्क म्यूचुअल फंड्स के लिए सक्रिय और पैसिव दोनों योजनाओं पर समान रूप से लागू होता है, जिसमें नेट वर्थ, ट्रैक रिकॉर्ड और प्रॉफिटिबिलिटी जैसे एंट्री बैरियर के बीच कोई अंतर नहीं किया गया है।
पैसिव फंड्स लॉन्च करने के इच्छुक संस्थाओं के लिए एंट्री बैरियर्स (जैसे नेट वर्थ, ट्रैक रिकॉर्ड, प्रॉफिटिबिलिटी) या चल रहे कंम्प्लायंस कॉस्ट लागतों में कोई अंतर नहीं किया गया है।
सभी घरेलू पैसिव फंड्स जिनका लक्ष्य मैच्योरिटी डेट आधारित है (जैसे G-Sec, T-bills और SDL) और स्थिर अवधि वाले पैसिव फंड्स, उन्हें शामिल किया जाएगा अगर उनके कुल AUM (एसेट अंडर मैनेजमेंट) का योग हर वित्तीय वर्ष के 31 दिसंबर तक ₹5,000 करोड़ से अधिक हो। स्टेट डेवलपमेंट लोन (SDL) उस बॉन्ड को राज्य सरकार जरिए जारी किया जाता है।
इसके अतिरिक्त गोल्ड ETFs, सिल्वर ETFs और सिर्फ गोल्ड या सिल्वर ETFs पर आधारित फंड-ऑफ-फंड्स (FoFs) भी शामिल किए जाएंगे।
SEBI ने अपने सर्कुलर में कहा गया है कि सिर्फ घरेलू इक्विटी पैसिव इंडेक्स (वे इंडेक्स जिन्हें पैसिव फंड्स ट्रैक करते हैं या जो सक्रिय रूप से प्रबंधित फंड्स के लिए मुख्य बेंचमार्क के रूप में काम करते हैं) पर आधारित पैसिव फंड्स, जिनका कुल AUM ₹5,000 करोड़ या उससे अधिक हो और जो हर वित्तीय वर्ष के 31 दिसंबर तक का आंकड़ा प्रस्तुत करते हैं, उन्हें कवर किया जाएगा। AMFI, SEBI के साथ परामर्श करके, ऐसे घरेलू इक्विटी इंडेक्स की सूची समय-समय पर निर्धारित करेगा।
MF Lite के लिए नियमों का उद्देश्य
वर्तमान नियमों के उन अनावश्यक पहलुओं को संबोधित करने के लिए जो पैसिव फंड्स के लिए प्रासंगिक नहीं हो सकते हैं, "MF Lite फ्रेमवर्क" एक अधिक लचीला ढांचा पेश किया जा रहा है, जो विशेष रूप से पासिव म्यूचुअल फंड योजनाओं के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका मकसद बाजार में एंट्री को सरल बनाना, नए खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना, अनुपालन बोझ को कम करना, बाजार की पहुंच को बढ़ाना, निवेश डायवर्सिफिकेशन को बढ़ावा देना, मार्केट लिक्विडिटी को बढ़ाना और इनोवेशन को बढ़ावा देना है।
MF Lite फ्रेमवर्क के प्रारंभिक चरण में सिर्फ उन पैसिव फंड्स को शामिल किया जाएगा जो घरेलू इक्विटी पासिव इंडेक्स से जुड़े हैं और जिनका कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) ₹5,000 करोड़ या अधिक हो, जैसा कि हर वित्तीय वर्ष के 31 दिसंबर तक होगा।
MF Lite का ढांचा
यह ढांचा कम्प्लयांस आवश्यकताओं को सरल बनाता है, जिससे फंड हाउस को पैसिव फंड्स लॉन्च करते समय ऑपरेशनल संबंधी बोझ कम होता है। इसका परिणाम लागत बचत और नियामक बाधाओं में कमी के रूप में होता है। MF Lite फंड्स के स्पॉन्सर बनने के लिए कंपनियों को प्रमुख भूमिकाओं में कम से कम 20 सालों का संयुक्त अनुभव होना चाहिए। कुछ परिस्थितियों में निजी इक्विटी फंड्स भी MF Lite संस्थाओं के स्पॉन्सर हो सकते हैं।
पैसिव निवेश रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, ये फंड्स फंड हाउस और खुदरा निवेशकों के लिए लागत प्रभावी विकल्प प्रदान कर सकते हैं, जिससे निवेश की पहुंच में सुधार होता है।
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इस फ्रेमवर्क के लागू होने से बाजार की तरलता बढ़ने की संभावना है, क्योंकि इससे नए प्रतिभागियों को आकर्षित करने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। MF Lite को नियमित पोर्टफोलियो खुलासों की आवश्यकता होती है, जिसमें इक्विटी पैसिव योजनाओं को तिमाही और ऋण पासिव फंड्स को महीने जानकारी देनी होगी।
MF Lite से किसको फायदा होगा?
MF Lite का उद्देश्य खुदरा निवेशकों के लिए अधिक लागत प्रभावी विकल्प प्रदान करना है, जो इक्विटी या ऋण बाजारों को ट्रैक करने वाली पैसिव निवेश रणनीतियों की पेशकश करते हैं। लचीला कम्प्लायंस वातावरण नए प्रवेशकों, विशेष रूप से छोटे म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए अपने उत्पादों को सक्रिय फंड प्रबंधन की जटिलताओं के बिना पेश करना आसान बनाता है।
जो मौजूदा म्यूचुअल फंड कंपनियां सक्रिय और पासिव दोनों योजनाओं को संभालती हैं, वे अब अपने पासिव पोर्टफोलियो को MF Lite के तहत एक अलग इकाई में विभाजित कर सकती हैं। इससे उन्हें अपने पैसिव एसेट्स को प्रभावी तरीके से बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी।