रिलायंस पावर के शेयर में आज फिर लगा लोअर सर्किट! निवेशकों को भरोसा नहीं जीत पाए अनिल अंबानी - जानिए क्या हुआ
ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी (Anil Ambani) से जुड़े करीब तीन दर्जन जगहों पर छापेमारी की खबर के बाद स्टॉक में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। गुरुवार को भी शेयर 5% गिरा था।

Reliance Power Share Price: अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर के शेयर में आज फिर से 5% का लोअर सर्किट लगा है। ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी (Anil Ambani) से जुड़े करीब तीन दर्जन जगहों पर छापेमारी की खबर के बाद स्टॉक में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। गुरुवार को भी शेयर 5% गिरा था।
हालांकि गुरुवार को देर शाम को रिलायंस पावर ने अपने लेटेस्ट एक्सचेंज फाइलिंग में बताया था कि ईडी द्वारा हाल ही में की गई कार्रवाई का रिलायंस पावर के बिजनेस ऑपरेशन, वित्तीय प्रदर्शन, शेयरधारकों, कर्मचारियों या किसी अन्य हितधारक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
लेकिन इसके बाद भी निवेशकों को भरोसा रिलायंस पावर पर नहीं टिका और स्टॉक आज फिर 5% गिरा। खबर लिखे जानें तक शेयर बीएसई पर 5% या 2.98 रुपये गिरकर 56.72 रुपये पर है।
सूत्रों के अनुसार, इस जांच में नेशनल हाउसिंग बैंक, SEBI, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसी संस्थाओं ने ED को अहम जानकारियां शेयर की हैं। छापे की कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 17 के तहत की गई, जिसमें 35 से अधिक परिसरों, 50 कंपनियों और 25 से अधिक व्यक्तियों को कवर किया गया।
ED की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि पब्लिक मनी को धोखाधड़ी से निकालने की एक योजनाबद्ध साजिश रची गई थी, जिसमें बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थाओं को चूना लगाया गया। जांच में YES बैंक के प्रमोटर्स सहित कुछ बैंक अधिकारियों की मिलीभगत और रिश्वतखोरी की आशंका भी जताई गई है।
एनडीटीवी के अनुसार, 2017 से 2019 के बीच YES बैंक ने Reliance Anil Ambani Group (RAAGA) से जुड़ी कंपनियों को लगभग ₹3,000 करोड़ के कर्ज दिए थे। इन कर्जों के मंजूर होने से ठीक पहले YES बैंक के प्रमोटरों से जुड़ी संस्थाओं को संदिग्ध भुगतान किए गए, जो कथित 'quid pro quo' की ओर इशारा करता है।
जांच में YES बैंक की कर्ज प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं भी सामने आई हैं जैसे बैकडेटेड क्रेडिट अप्रूवल मेमो, बिना ड्यू डिलिजेंस के निवेश प्रस्ताव, और बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन।