
बेहद खराब QIB सब्सक्रिप्शन की वजह से PKH वेंचर्स ने वापस लिया 379 करोड़ रुपये का IPO
IPO के QIB हिस्से को सबसे खराब रिस्पॉन्स मिला है, ये हिस्सा सिर्फ 11% ही सब्सक्राइब हो पाया। नॉन-इंस्टीट्यूशनल निवेशकों के लिए तय हिस्से के लिए 1.67 गुना बोलियां मिलीं। जबकि इश्यू के अंत में रिटेल हिस्सा 99% सब्सक्राइब हो सका था। इस IPO का लॉट साइज 100 शेयरों का था और प्राइस बैंड 140-148 रुपये प्रति शेयर तय किया गया था।

निवेशकों से बेहद खराब रिस्पॉन्स मिलने के बाद PKH Ventures Ltd. ने 379.4 करोड़ रुपये के IPO को वापस ले लिया है। कंपनी ने बताया है कि क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) की तरफ से बेहद खराब प्रतिक्रिया मिलने के बाद ये फैसला लिया गया है। कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि योग्य QIBs की ओर से प्रतिबद्धता को पूरा नहीं कर पाने की वजह से कंपनी और प्रमोटर सेलिंग शेयरधारक ने IDBI कैपिटल मार्केट्स एंड सिक्योरिटीज लिमिटेड (BRLM) की सलाह से, 4 जुलाई 2023 को बोर्ड की ओर से पारित प्रस्ताव के जरिए IPO वापस लेने का फैसला किया है। इश्यू के आखिरी दिन, 4 जुलाई को IPO केवल 65% ही सब्सक्राइब हो पाया था, SEBI के दिशानिर्देशों के मुताबिक किसी IPO को सफल मानने के लिए कम से कम 90% सब्सक्रिप्शन जरूरी होता है।
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IPO के QIB हिस्से को सबसे खराब रिस्पॉन्स मिला है, ये हिस्सा सिर्फ 11% ही सब्सक्राइब हो पाया। नॉन-इंस्टीट्यूशनल निवेशकों के लिए तय हिस्से के लिए 1.67 गुना बोलियां मिलीं। जबकि इश्यू के अंत में रिटेल हिस्सा 99% सब्सक्राइब हो सका था। इस IPO का लॉट साइज 100 शेयरों का था और प्राइस बैंड 140-148 रुपये प्रति शेयर तय किया गया था। इश्यू साइज का आधा हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स के लिए रिजर्व था, 15% HNIs के लिए और 35% रिटेल निवेशकों के लिए रिजर्व था। कंपनी इश्यू में फ्रेश शेयर जारी करने के साथ साथ ऑफर फॉर सेल (OFS) भी लेकर आई थी, इन दोनों के कॉम्बिनेशन से कंपनी का लक्ष्य 379.4 करोड़ जुटाने का था। इसमें से 270.2 करोड़ रुपये फ्रेश शेयर जारी करके जुटाए जाने था। इश्यू के जरिए जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल कंपनी कई कामों में करने वाली थी। कंपनी 124.1 करोड़ रुपये का इस्तेमाल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के विकास के लिए सब्सिडियरी कंपनी हलाईपानी हाइड्रो प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड में करने वाली थी। इसके अलावा 80 करोड़ रुपये का इस्तेमाल गरुड़ा कंस्ट्रक्शन में उसकी लॉन्ग टर्म वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाना था। 40 करोड़ रुपये का इस्तेमाल अधिग्रहण और दूसरे रणनीतिक पहलों पर ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए किया जाना था।
