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भारतीय छात्रों ने इस देश में पढ़ाई करने से बनाई दूरी!

भारत और कनाडा के रिश्तों में आए हालिया तनाव के बाद वहां के शानदार एजुकेशन सिस्टम और बेहतर करियर के मौकों के बावजूद भारतीय छात्र कनाडा में पढ़ाई का विकल्प नहीं चुन रहे हैं। एक सर्वे में दावा किया गया है कि कोविड महामारी के बाद बड़ी संख्या में भारतीय छात्र कनाडा में पढ़ने के लिए गए है।

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भारत और कनाडा के रिश्तों में आए हालिया तनाव के बाद वहां के शानदार एजुकेशन सिस्टम और बेहतर करियर के मौकों के बावजूद भारतीय छात्र कनाडा में पढ़ाई का विकल्प नहीं चुन रहे हैं। एक सर्वे में दावा किया गया है कि कोविड महामारी के बाद बड़ी संख्या में भारतीय छात्र कनाडा में पढ़ने के लिए गए है। आंकड़ों के मुताबिक कनाडा में दूसरे देशों से आने वाले छात्रों में भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या सबसे ज्यादा है। इसकी वजह वहां की इमिग्रेशन पॉलिसी और अच्छा माहौल है। कनाडा में सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा से छात्र पढ़ाई के लिए आते हैं।

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लेकिन अब स्थिति बदल रही है और हालिया ट्रेंड बताते हैं कि विदेशों में पढ़ाई के लिए जाने वाले छात्रों के बीच कनाडा की लोकप्रियता घट गई है। हाल ही में आए IDP एजुकेशन सर्वे के मुताबिक दुनिया के टॉप 10 देशों से आने वाले स्टूडेंट्स की पसंद अब बदलने लगी है। छात्र अब कनाडा जैसे देशों में जाने को लेकर दोबारा सोच-विचार कर रहे हैं। वीजा मिलने में देरी, सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी और स्टडी परमिट के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत के चलते अब कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से छात्रों का मोहभंग हो रहा है। विदेश में पढ़ाई के लिए छात्रों को अब अमेरिका और जर्मनी ज्यादा पसंद आ रहे हैं।

कनाडा से मोहभंग होने की सबसे बड़ी वजह यहां पर विदेशी छात्रों की संख्या घटाने के लिए किया गया वीजा नियम में बदलाव है। वीजा और स्टडी परमिट मिलने पर बहुत ज्यादा समय लग रहा है जिसकी वजह से छात्र अपने फ्यूचर को लेकर भी परेशान हैं। पहले वीजा का जवाब हफ्तों में मिल जाता था लेकिन अब छात्रों का इंतजार महीनों लंबा हो गया है। स्टडी परमिट हासिल करने के लिए अकाउंट में पैसे होने की जरूरत को भी बढ़ाया गया है। छात्रों के पास स्टडी परमिट के लिए ट्यूशन फीस को छोड़कर अपने पहले साल के लिए अकाउंट में कम से कम 14 हजार 945 कनाडाई डॉलर होने चाहिए। जबकि अमेरिका जैसे देशों में वीजा नियम में ढील दी गई है और वहां नौकरी के बाद पढ़ाई का ऑप्शन भी काफी अच्छा है। जर्मनी में भी ट्यूशन फीस कम है और स्टूडेंट वीजा काफी ज्यादा आसानी से मिल जाता है। इस वजह से ये देश उन छात्रों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं जो आसान वर्क परमिट की तलाश कर रहे हैं। 

सर्वे के नतीजों से पता चला है कि छात्रों के लिए सबसे बड़ी चुनौती ट्यूशन फीस, रहने-सहने का बढ़ता खर्च और वीजा एप्लिकेशन की लागत है। बड़ी संख्या में छात्रों ने बढ़ते खर्च की वजह से विदेश में पढ़ने की योजना को टाल दिया है।

Disclaimer: ये आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से इंवेस्टमेंट सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। BT Bazaar अपने पाठकों और दर्शकों को पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेने का सुझाव देता है।