HDFC Bank Share में आ गया कमाई का मौका! Jefferies हुआ फिदा
पिछले एक महीने से फ्लैट रिटर्न दे चुके HDFC Bank Share एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। 19 अक्टूबर को बैंक के रिजल्ट्स आने जा रहे हैं, लेकिन उससे पहले ही स्टॉक को लेकर ब्रोकरेज के बीच चर्चा शुरु हो गई है।

पिछले एक महीने से फ्लैट रिटर्न दे चुके HDFC Bank Share एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। 19 अक्टूबर को बैंक के रिजल्ट्स आने जा रहे हैं, लेकिन उससे पहले ही स्टॉक को लेकर ब्रोकरेज के बीच चर्चा शुरु हो गई है।
विदेशी ब्रोकरेज फर्म Jefferies ने HDFC Bank Share पर ‘Buy’ रेटिंग जारी की है। Jefferies का कहना है कि बैंक की रणनीति डिपॉजिट बढ़ोतरी और लोन-टू-डिपॉजिट रेशियो (LDR) में सुधार करने पर फोकस है, जिससे बैंक की वित्तीय स्थिति और भी मजबूत हो सकती है। ब्रोकरेज का कहना है कि बैंक ने अगले 3 सालों में अपने लोन-टू-डिपॉजिट रेशियो (LDR) को 85-90 प्रतिशत तक लाने का टारगेट तय किया है। वर्तमान में बैंक का LDR 110 प्रतिशत है, जो काफी हाई लेवल पर है और इसे बैंक की लिक्विडिटी के लिए एक चुनौती माना जा सकता है। Jefferies का मानना है कि बैंक इसे अपनी डिपॉजिट्स में 15 प्रतिशत की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) से बढ़ोतरी करके और अपने लोन ग्रोथ को 11 प्रतिशत की धीमी गति से बढ़ाकर हासिल कर सकता है।
नया टारगेट
Jefferies ने HDFC Bank का टारगेट प्राइस ₹1,890 प्रति शेयर तय किया है, जो निवेशकों के लिए एक मजबूत रिटर्न दिखाता है। अगर आप स्टॉक का मौजूदा भाव देखें तो 1,676 रुपए प्रति शेयर है।
Jefferies का कहना है कि HDFC Bank के पास अपने फंडिंग कॉस्ट को कम करने की पर्याप्त गुंजाइश है, जो उसकी नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) को बढ़ाने में मदद करेगी। नेट इंटरेस्ट मार्जिन वह रेश्यो होता है, जो बैंक की कर्ज से होने वाली आय और डिपॉजिट्स पर दी जाने वाली ब्याज की तुलना करता है। अगर बैंक अपनी डिपॉजिट बढ़ोतरी को बैलेंस कर पाता है और लोन बढ़ोतरी को नियंत्रित रखता है तो बैंक के NIM में सुधार हो सकता है, जिससे बैंक के मुनाफे में बढ़ोतरी की संभावना है।
क दृष्टिकोण सुनिश्चित करेगा कि इसका कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
नतीजे और बिजनेस अपडेट
HDFC Bank अपने Q2 FY25 के नतीजे 19 अक्टूबर को जारी करने वाला है। बैंक ने इस महीने की शुरुआत में अपना बिजनेस अपडेट साझा किया, जिसमें यह सामने आया कि उसकी डिपॉजिट बढ़ोतरी उसकी लोन बढ़ोतरी से अधिक हो रही है। यह एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि बैंक अपने LDR को संतुलित करने की दिशा में काम कर रहा है। इसके अलावा बैंक ने पिछले साल HDFC के साथ अपने मर्जर के बाद बड़ी मात्रा में लोन विरासत में प्राप्त किए थे, जिससे उसका LDR 110 प्रतिशत तक पहुंच गया था।
लोन-टू-डिपॉजिट रेशियो क्या होता है?
ऋण-से-जमा अनुपात (LDR) या लोन-टू-डिपॉज़िट रेशियो, बैंक की तरलता का आकलन करने का एक तरीका है. यह बैंक के कुल ऋणों की तुलना उसी अवधि के लिए उसकी कुल जमाराशियों से करता है. इसे प्रतिशत के रूप में दिखाया जाता है।