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FPI Data: भारतीय बाजार से धड़ाधड़ पैसा निकाल रहे विदेशी निवेशक! फरवरी में अब तक बेच 21,272 करोड़ रुपये के शेयर

आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अब तक (14 फरवरी तक) भारतीय इक्विटी से 21,272 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं।

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FPI Data
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FPI Data: भारतीय इक्विटी बाजारों से फॉरेंन पोर्टफोलियो इंवेस्टर्स (FPIs) का पलायन जारी है। अमेरिका द्वारा इंपोर्ट पर टैरिफ लगाए जाने के बाद ग्लोबल टेंशन के कारण फरवरी के पहले दो हफ्तों में FPIs ने भारतीय बाजारों से 21,272 करोड़ रुपये निकाले हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अब तक (14 फरवरी तक) भारतीय इक्विटी से 21,272 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं।

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न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एफपीआई द्वारा फरवरी में यह निकासी, जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये के नेट आउटफ्लो के बाद आया। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक 2025 में अब तक एफपीआई ने कुल 99,299 करोड़ रुपये यानी करीब 1 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं। 

पीटीआई को जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के वी के विजयकुमार ने बताया कि जब डॉलर इंडेक्स नीचे जाएगा तो एफपीआई रणनीति में उलटफेर होगा। 

पीटीआई को मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा स्टील और एल्युमीनियम आयात पर नए टैरिफ लगाने और कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ की योजना की घोषणा करने से बाजार की चिंताएं बढ़ गईं हैं। 

उन्होंने कहा कि इन घटनाक्रमों ने संभावित ग्लोबल ट्रेड वॉर की आशंकाओं को फिर से जन्म दिया है, जिससे एफपीआई ने भारत सहित इमर्जिंग मार्कट से पैसा निकाला है। उन्होंने कहा कि दिसंबर तिमाही के कमजोर आंकड़े और भारतीय रुपये की लगातार गिरावट, जो कई वर्षों के निचले स्तर को पार कर गई, ने भारतीय एसेट को और कम कर दिया।

पीटीआई को वॉटरफील्ड एडवाइजर्स के विपुल भोवर ने कहा कि ग्लोबल नीतियों में बदलाव, खासकर अमेरिका से उभर रहे बदलाव, एफपीआई के बीच अनिश्चितता की भावना पैदा कर रहे हैं, जिसके कारण भारत जैसे गतिशील बाजारों में एफपीआई अपनी निवेश की रणनीती बदल रहे हैं। 


डेट मार्केट में एफपीआई बने खरीदार

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी में अब तक एफपीआई डेट मार्कट में खरीदार रहे हैं। उन्होंने 1,296 करोड़ रुपये डेट जनरल लिमिट में और 206 करोड़ रुपये डेट वोलंटरी रिटेंशन रूट में डाले हैं। 

डेटा के मुताबिक एफपीआई ने साल 2024 में सिर्फ 427 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो किया था जिससे भारतीय इक्विटी में विदेशी निवेशकों का निवेश को काफी हद तक कम हो गया था। एफपीआई द्वारा साल 2024 में यह इनफ्लो साल 2023 में 1.71 लाख करोड़ रुपये के नेट इनफ्लो के बिल्कुल विपरीत है। इसकी तुलना में, ग्लोबल केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में आक्रामक बढ़ोतरी के बीच 2022 में 1.21 लाख करोड़ रुपये का नेट आउटफ्लो देखा गया।

Disclaimer: ये आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से इंवेस्टमेंट सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। BT Bazaar अपने पाठकों और दर्शकों को पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेने का सुझाव देता है।