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SEBI के फैसले से ब्रोकरेज हाऊस हुए धड़ाम, शेयरों में जबरदस्त गिरावट

सेबी की ओर से NSE को ट्रांजैक्शन चार्जेज को रिडिजाइन करने के लिए कहा है। सेबी ने 1 अक्टूबर 2024 तक NSE के ट्रांजैक्शन चार्जेज यूनिफॉर्म करने के लिए कहा है। इसी फैसले के चलते ब्रोकरेज के स्टॉक धड़ाम हो रहे हैं।

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SEBI का एक फैसले से स्टॉक धड़ाम हो गए हैं
SEBI का एक फैसले से स्टॉक धड़ाम हो गए हैं

SEBI का एक फैसले से स्टॉक धड़ाम हो गए हैं। Angel One में सीधा 10% की गिरावट देखने को मिली। सीधा स्टॉक 250 रुपए टूट गया। Motilal Oswal Financial Services  से लेकर 5Paisa Capital से लेकर SMC Global Securities को देखिए यहां भी अच्छा खासा डाउनफॉल देखने को मिल रहा है। अब यहां सबसे बड़ा सवाल है कि SEBI ने ऐसा कौन सा डंडा चला दिया, जिससे चलते ब्रोकरेज जबरदस्त तरीके से धड़ाम हो गए। SEBI जबरदस्त एक्शन के मोड में काम कर रहा है। रिटेल निवेशकों को हितों को ध्यान में रखते हुए एक के बाद एक फैसले लिए जा रहे हैं, लेकिन ये खास फैसला ब्रोकरेजेज पर है। 

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मौजूदा नियम

तो सबसे पहले मौजूदा नियम समझ लेते हैं। देखिए अभी तक क्या होता आया है। जब भी आप ट्रेडिंग करते हैं तो आपको NSE पर चार्ज देने पड़ते हैं। ब्रोकरेज के जरिए करते हैं तो ब्रोकरेज को आप चार्ज चुकाते हैं, वो एक्सचेंज को चुकाता है। चाहे कैश, इंड्रा डे या फ्यूचर में जहां भी करें तो चार्ज देने पड़ते हैं। अभी तक NSE के साथ ब्रोकरेजेज ने कुछ चीजें फिक्स की हुई हैं। ब्रोकर, एक्सचेंज के पास जितना ज्यादा टर्नओवर लेकर आएगा, ट्रांजैक्शन चार्ज में ब्रोकर को उतनी ही छूट मिलेगी। एक तरीके से ब्रोकरेज को फायदा, आपको ये भी बता दें कि सबसे ज्यादा पैसा ऑप्शन में मिलता था। एक तरह से इसे इंसेंटिव भी कहा जा सकता है। ब्रोकरेज ऑप्शन में ज्यादा से ज्यादा पुश करने की कोशिश करते हैं, जिससे ट्रेडर्स के जरिए टर्नओवर बढ़ता है और ब्रोकरेज को ज्यादा इंसेंटिव मिलता है।

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सेबी के नए नियम

पहले आपको बताते हैं कि सेबी के नए नियम हैं क्या? जिसके चलते स्टॉक धड़ाम हो गया। SEBI का ट्रांजैक्शन चार्ज पर नया सर्कुलर आया है। सेबी ने ब्रोकरेज को कहा है कि जितना ट्रांजैक्शन चार्जेज आप लेते हो, उतना लेते रहो। लेकिन अलग से जो ज्यादा टर्नओवर पर इंसेंटिव मिलता है वो अब नहीं चलना चाहिए। जो ब्रोकर ज्यादा पैसा लेकर आता है उससे ज्यादा इंसेटिव वाली प्रथा पर रोक लगनी चाहिए। पूरी तरह से लेवल प्लेइंग फील्ड रहनी चाहिए और इससे ट्रांप्रेंसी पूरी तरह से साफ रहेगी। सेबी का कहना है कि NSE एंड यूजर से जितना चार्ज करता है, उतना ही तमाम ब्रोकरेज से भी चार्ज लें। NSE सभी ब्रोकरेज के लिए बराबर ट्रांजैक्शन चार्जेज लें। स्लैब वाइस स्ट्रक्चर को वॉल्यूम आधार पर बंद करने को कहा है।

ट्रांजैक्शन चार्जेज को रिडिजाइन

सेबी की ओर से NSE को ट्रांजैक्शन चार्जेज को रिडिजाइन करने के लिए कहा है। सेबी ने 1 अक्टूबर 2024 तक NSE के ट्रांजैक्शन चार्जेज यूनिफॉर्म करने के लिए कहा है। इसी फैसले के चलते ब्रोकरेज के स्टॉक धड़ाम हो रहे हैं। यह फैसला ब्रोकरेज हाउस कंपनियों के लिए थोड़ा टेंशन भर हो सकता है। खासतौर पर विशेष रूप से डिस्काउंट ब्रोकरेज कंपनियों की आमदनी को एक झटका लगेगा..डिस्काउंट ब्रोकर अपनी आय का 15-30 फीसदी इससे ही कमाते हैं और डीप डिस्काउंट ब्रोकर अपनी टॉपलाइन का 50-75 फीसदी इससे कमाते हैं। लेकिन यहां सोचने वाली बात है कि ब्रोकरेज अब ये भी सोच सकते है कि चार्ज बढ़ा दिए जाएं। जिससे रिटेल निवेशक पर सीधा असर देखने को मिलेगा। पहले से ही रिटेल निवेशक STT चार्ज दे रहा है। मोटी-मोटी बात ये है कि पहले MIIs मतलब समझ लीजिए, MIIs मतलब मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टिट्यूट्स आते है। MIIs में स्टॉक एक्सचेंज आते हैं। MIIs में क्लियरिंग कॉरपोरेशन आते हैं। नए नियम के तहत, MIIs अब टर्नओवर के आधार पर डिस्काउंट नहीं दे पाएंगे। नए नियम 1 अक्टूबर 2024 से लागू होंगे। 

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Disclaimer: ये आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से इंवेस्टमेंट सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। BT Bazaar अपने पाठकों और दर्शकों को पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेने का सुझाव देता है।