Best Business Idea: ये फसल सच कर सकती है आपके सपने
आज के समय में लोग बेरोज़गारी की समस्या से परेशान पैसों की तंगी से तंग हो कर दुखी घूमते मिल जाते है। कोई पैसे कमाने के लिए चोरी-डकैती कर समाज को तकलीफ़ देता है

गुलखैरा लगा कर आपको लंबे समय तक शानदार कमाई मिल सकती है क्योंकि बाज़ार में है इसकी बेहद डिमांड। आज के समय में लोग बेरोज़गारी की समस्या से परेशान पैसों की तंगी से तंग हो कर दुखी घूमते मिल जाते है। कोई पैसे कमाने के लिए चोरी-डकैती कर समाज को तकलीफ़ देता है तो कोई भीख माँगता नज़र आता है तो वहीं कुछ आत्महत्या जैसे आपत्तिजनक कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं। उन्हें कोई भी काम समझ नहीं आता कि क्या करें और कैसे करें। या तो ज्ञान की कमी होती है, या धन की। मगर आज हम एक ऐसे व्यापार के सुझाव को ले कर आये हैं जिसके ज़रिए आसानी से खूब पैसे कमाए जा सकते हैं। दरअसल अगर बात पैसे कमाने की हो तो कोई भी धंदा छोटा या बड़ा नहीं होता इसी के चलते हम एक ऐसे खेती के बारे में बताने जा रहे हैं जहां लागत कम और फ़ायदा ज़्यादा होने वाला है।
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गुलखैरा के पौधे
खेती एक ऐसे पौधे की जिसके जड़ से ले कर फूल और बीज़ से लेकर डंठल तक सब कुछ बाज़ार में बिकता है। बात कर रहे हैं गुलखैरा के पौधे की। गुलखैरा की खेती करना आसान है और इसके ज़रिए ख़ूब कमाई की जा सकती है। गुलखैरा एक ऐसा पौधा है जिसका इस्तेमाल दवाइयाँ बनाने में किया जाता है। ये सबसे ज़्यादा पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में मिलता है जो 10,000 रुपये प्रति क्विंटल तक बेचा जाता है। गुलखैरा के फूल, पत्ती, बीज और यहाँ तक कि इसके डंठल तक काम में आते हैं और आसानी से बेच दिये जाते हैं। ये एक ऐसा पौधा है जिससे अच्छी कमाई की जा सकती है। इसकी ख़ास बात ये है कि इसे कहीं भी, किसी भी फसल के बीच लगाया जा सकता है।
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5 से 6 बीगा जमींन से ₹50,000 से ₹60,000 आराम से कमाए
गुलखैरा के फूल से यूनानी दवाइयाँ तो बनती ही हैं साथ ही इससे मर्दाना दवाइयाँ भी बनाई जाती हैं। इतना ही नहीं ये फूल खांसी, बुख़ार जैसे बाक़ी रोगों को भी ठीक कर देता है जिसके चलते इसकी काफ़ी माँग है बाज़ार में। कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो गुलखैरा क़रीब ₹10,000 क्विंटल में बिक जाता है और लगभग 5 से 6 बीगा जमींन से ₹50,000 से ₹60,000 आराम से कमाए जा सकते है। गुलखैरा की खेती इसलिए भी आसान रहती है क्योंकि एक बार बीज ख़रीदने के बाद बार-बार इसका बीज नहीं ख़रीदना पड़ता है। इसकी खेती नवंबर में होती है और अप्रैल-मई में इसकी फसल उग के तैयार हो जाती है। इसके बाद इसके डंठल और पत्तियाँ सुख के ही खेत में गिर जाती हैं जिन्हें इकट्ठा कर लिया जाता है। इस पौधे की खेती सबसे अधिक पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में होती है मगर अब उत्तरप्रदेश में भी इसकी खेती की जाने लगी है। उत्तरप्रदेश के हरदोई, कन्नौज और उन्नाव जैसे जगहों पर इसकी खेती कर इसे बेचा जा रहा है।