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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने नौकरियों के ट्रेंड पर जारी की रिपोर्ट, समझिए किन सेक्टर्स में हैं मौके

आने वाले समय में भारत और दुनिया में नौकरियों का ट्रेंड तेजी से बदलने वाला है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम यानी WEF की ‘भविष्य की नौकरी रिपोर्ट’ 2025 के मुताबिक, अगले 5 साल में कुछ सेक्टर में नौकरियों की डिमांड बढ़ेगी, जबकि कुछ जॉब रोल्स पूरी तरह से खत्म हो सकते हैं। 

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आने वाले समय में भारत और दुनिया में नौकरियों का ट्रेंड तेजी से बदलने वाला है। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम यानी WEF की ‘भविष्य की नौकरी रिपोर्ट’ 2025 के मुताबिक, अगले 5 साल में कुछ सेक्टर में नौकरियों की डिमांड बढ़ेगी, जबकि कुछ जॉब रोल्स पूरी तरह से खत्म हो सकते हैं। 

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ये रिपोर्ट स्विट्जरलैंड के दावोस में 20 से 25 जनवरी को होने वाली WEF की सालाना बैठक से पहले जारी की गई है। रिपोर्ट के आंकड़े ये साफ इशारा करते हैं कि तकनीकी बदलाव और नई टेक्नोलॉजी नौकरियों के मौजूदा आकार को पूरी तरह से बदल देंगे। 

WEF की रिपोर्ट के मुताबिक
-2030 तक दुनियाभर में 17 करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी
-हालांकि अगले 5 साल में 9.2 करोड़ लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी भी पड़ सकती हैं
-कुल मिलाकर 7.8 करोड़ नए रोजगार के मौके आने वाले 5 बरसों में पैदा होने का अनुमान है

रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि टेक्नोलॉजी की ग्रोथ, आबादी के बदलाव और भू-आर्थिक तनाव की वजह से नौकरियों में ये बदलाव देखने को मिलेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक कृषि क्षेत्र आने वाले बरसों में सबसे ज्यादा रोजगार के मौके पैदा करेगा जिसमें कृषि श्रमिक और दूसरे श्रमिक शामिल होंगे। इसके अलावा हल्के ट्रक या डिलीवरी से जुड़े ड्राइवर, सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन डेवलपर, सेल्सपर्सन, नर्सिंग प्रोफेशनल्स और माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों की मांग भी बढ़ेगी। 

लेकिन कुछ नौकरियां ऐसी भी हैं, जिनकी मांग आने वाले समय में तेजी से घटेगी। इन सबसे तेजी से घटने वाली नौकरियों में शामिल हैं

-कैशियर और टिकट क्लर्क
-प्रशासनिक सहायक
-कार्यकारी सचिव
-सफाईकर्मी
-छपाई से जुड़े कामगार

इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि नौकरी के लिए जरूरी स्किल्स में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।

WEF के मुताबिक

-करीब 40 परसेंट स्किल्स में बदलाव तय है
-वहीं, 63 फीसदी कंपनियां पहले ही इसे एक बड़ी चुनौती के तौर पर देख रही हैं

इस स्टडी के मुताबिक, स्किल गैप आज भी कंपनियों और उद्योगों के लिए सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। इसे भरने के लिए कंपनियों को अपने कर्मचारियों की ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट पर जोर देना होगा। हालांकि, नई तकनीक और रोजगार के मौके एक ओर उम्मीदें जगाते हैं, लेकिन पारंपरिक नौकरियों में गिरावट ने चिंता भी बढ़ाई है। ऐसे में देखना होगा कि सरकारें और कंपनियां कैसे इन बदलावों से निपटती हैं।