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Health Insurance: Pre-Existing Disease में आखिर क्यों होता है Waiting Period? इन तरीकों से बच सकते हैं

चलिए जानते हैं कि अगर आपको पहले से कोई बीमारी (Pre-Existing Disease) है, तो उसी के इलाज के लिए वेटिंग पीरियड क्यों लगता है? यानी बीमा खरीदने के बाद भी कुछ साल तक उस बीमारी का खर्च कवर नहीं होता। ऐसा क्यों होता है चलिए जानते हैं।

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Pre-Existing Disease Waiting Period: हेल्थ इंश्योरेंस में अकसर Pre-Existing Disease (PED) का जिक्र होता है। आपने भी जब अपना हेल्थ इंश्योरेंस लिया होगा तो इसके बारे में जरूर सुना होगा, या फिर अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाले होंगे तो इसके बारे जरूर सुनेंगे।

हेल्थ इंश्योरेंस में, PED का मतलब किसी ऐसी स्थिति से है जिसका डायग्नोज पॉलिसीधारक को बीमा खरीदने से पहले हो चुका हो। ज्यादातर बीमा कंपनियां PED को कवर करती हैं लेकिन इसके कवरेज में Waiting Period होता है। 

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PED में कौन-कौन सी बीमारियां आती हैं?

IRDAI के अनुसार, पॉलिसी खरीदने से 48 घंटे पहले तक डायग्नोज की गई कोई भी बीमारी या स्थिति PED कहलाएगी। PED में लॉन्ग टर्म स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं, जिनमें से कुछ हैं:

  • उच्च रक्तचाप (High BP)
     
  • अस्थमा (Asthma)
     
  • थायरॉयड (Thyroid)
     
  • मधुमेह (Diabetes)
     
  • सीओपीडी (COPD)
     
  • गठिया (Arthritis)
     
  • गुर्दा रोग (Kidney Disease)

क्या होता है वेटिंग पीरियड?

वेटिंग पीरियड का मतलब वह अवधि जब तक आपके PED के कवरेज के लिए इंतजार करना है। अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा की आखिर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां PED के कवरेज में वेटिंग पीरियड जैसी शर्तें आखिर रखती ही क्यों है? आज हम आपको इसी सवाल का जवाब देंगे। 

Pre-Existing Disease पर वेटिंग पीरियड क्यों होता है?

बीमा कंपनियां Pre-Existing Disease (PED) पर वेटिंग पीरियड इसलिए लगाती है ताकी कोई व्यक्ति सिर्फ इसलिए बीमा ना ले क्योंकि उसे पता है कि वो बीमार है और बीमारी का खर्च निकालना है। बीमा कंपनियां चाहती हैं की आप लंबे समय तक हेल्थ इंश्योरेंस लें, न कि केवल किसी बड़ी बीमारी का खर्च निकालने के लिए। 

उदाहरण से समझिए

अब मान लीजिए की अगर बीमा कंपनियों ने PED पर वेटिंग पीरियड हटा दिया दो इस स्थिति में ऐसे कई लोग हैं जिनकों पता है कि उन्हें कोई बड़ी बीमारी है जिसके इलाज में काफी पैसा लगेगा तो ऐसे लोग इलाज करने से ठीक पहले पॉलिसी खरीदेंगे और तुरंत क्लेम कर लेंगे जिससे बीमा कंपनियों को नुकसान होता है। 

बीमा कंपनियों को नुकसान कैसे?

दरअसल हेल्थ इंश्योरेंस बड़े कवर अमाउंट के साथ आता है लेकिन उसका प्रीमियम कम होता है। अब मान लीजिए किसी व्यक्ति को पता है कि उसे इस बीमारी के इलाज में 3 लाख रुपये लगेंगे, ऐसे में अगर उस व्यक्ति ने उस बीमारी के इलाज से ठीक पहले 5 लाख का बीमा कवर लिया तो इस हिसाब से उसका प्रीमियम करीब 10 से 20 हजार रुपये होगा। अब वह व्यक्त सिर्फ 10 से 20 हजार के प्रीमियम भर कर 3 लाख का ट्रीटमेंट करवा लेगा और उसके बाद पॉलिसी बंद कर देगा। ऐसी स्थिति में बीमा कंपनियों को नुकसान होगा।

इसलिए हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने वेटिंग पीरियड का नियम बनाया है ताकी अनैतिक तरीकों को रोका जा सके, ताकि लोग सिर्फ इलाज के खर्च से बचने के लिए बीमा न लें।

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कितना होता है वेटिंग पीरियड?

अगर आपको पहले से कोई बीमारी है तो आपको बीमा लेते टाइम वेटिंग पीरियड दिया जाता है। पहले, वेटिंग पीरियड 2 से 4 साल तक था। लेकिन अब IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) ने इसे 3 साल  तक कर दिया है। कुछ कंपनियां "Buy-back PED Cover" देती हैं, जिसमें एक्स्ट्रा पैसे देकर वेटिंग पीरियड कम किया जा सकता है।

वेटिंग पीरियड से कैसे बचें?

वेटिंग पीरियड से बचने के लिए आप जल्दी हेल्थ इंश्योरेंस लें । जब तक आप स्वस्थ हैं, तभी बीमा खरीदें। इसके अलावा आप Buy-back Cover का इस्तेमाल भी कर सकते हैं इससे एक्स्ट्रा प्रीमियम देकर वेटिंग पीरियड कम हो सकता है।