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रिकॉर्ड लो पहुंचा रुपया, जानिए इसका सीधा असर आपकी रोजमर्रा की जिंदगी और जेब पर कैसे होगा

आपके भी मन में यह सवाल उठा होगा की आखिर रुपये के गिर जाने से आप पर क्या असर होगा? चलिए इस रिपोर्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं।

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AI Generated Image

डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी 'रुपया' आज ऑल टाइम लो 90 रुपये के पार चला गया है। आज 1 डॉलर के ₹90.14 का है जो रिकॉर्ड लो स्तर है। इस खबर को पढ़ने के बाद आपके भी मन में यह सवाल उठा होगा की आखिर रुपये के गिर जाने से आप पर क्या असर होगा? चलिए इस रिपोर्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं।

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जब भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर होता है (यानी डॉलर महंगा होता है), तो इसका सीधा मतलब है कि रोजमर्रा के साथ-साथ विदेशों से किसी भी चीज को खरीदने के लिए हमें ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ेंगे। यह नुकसान कई तरह से होता है:

1. महंगाई का बढ़ना (महंगी होंगी रोजमर्रा की चीजें)

भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल और गैस विदेशों से आयात करता है। डॉलर महंगा होने पर इन चीजों को खरीदने की लागत बढ़ जाती है।

जैसे ही ईंधन (पेट्रोल/डीजल) महंगा होता है, माल ढुलाई की लागत बढ़ जाती है। यह बढ़ी हुई लागत सब्जी, दूध, किराना, कपड़ा जैसे रोजमर्रा के हर सामान पर जोड़ दी जाती है। इस तरह, रुपये की कमजोरी पूरे बाजार में महंगाई की एक चेन शुरू कर देती है, जिससे आपका किचन का बजट बिगड़ जाता है।

2. आयातित सामानों का महंगा होना

मोबाइल फोन, लैपटॉप, टीवी, फ्रिज, AC से लेकर छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट तक, सभी आयातित पार्ट्स पर निर्भर करते हैं। इन पार्ट्स का भुगतान डॉलर में होता है। इसलिए, रुपये में गिरावट आने पर कंपनियों को इन उत्पादों की कीमतें बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ता है।

इसके अलावा भारत बड़ी मात्रा में सोना, खाद और जरूरी मशीनरी भी आयात करता है, जिनकी कीमतें भी बढ़ जाती हैं।

3. विदेश में पढ़ाई और यात्रा का खर्च बढ़ना

जिन परिवारों के बच्चे विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं या जाने की योजना बना रहे हैं, उन पर सीधा असर पड़ता है। फीस, रहने का खर्च और अन्य खर्चों का भुगतान डॉलर में करना होता है। डॉलर महंगा होने पर उन्हें हर डॉलर के लिए पहले से ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जिससे उनका एजुकेशन बजट भारी हो जाता है।

अगर आप विदेश घूमने जा रहे हैं, तो वहां की करेंसी (जैसे डॉलर) को खरीदने के लिए आपको पहले से ज्यादा रुपये देने होंगे, जिससे आपकी यात्रा महंगी हो जाएगी।

4. लोन महंगा होना (ब्याज दरों पर असर)

रुपये की कमजोरी से महंगाई बढ़ती है। महंगाई को काबू में रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अक्सर ब्याज दरों में कटौती करने से बचता है और कई बार ब्याज दरें बढ़ानी भी पड़ती हैं। इसका मतलब है कि होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन जैसे सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं और आपकी मासिक किस्त (EMI) बढ़ जाती है।

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5. बचत और निवेश पर दबाव

महंगाई बढ़ने का मतलब है कि आम आदमी की जेब से ज्यादा पैसे निकलेंगे। इससे बचत कम होती है और खासकर फिक्स्ड इनकम (जैसे सैलरी) वाले लोगों पर इसका भारी असर पड़ता है। महंगाई की वजह से आपके निवेश (जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट) की असली कीमत भी घट जाती है।

किसको होता है फायदा?

रुपये के गिरने और डॉलर के बढ़ने से ऐसी कंपनियों को फायदा होता है जो अपना सामान या सर्विस विदेशों में बेचती हैं (जैसे IT सेक्टर, फार्मा कंपनियां), उन्हें फायदा होता है। चूंकि उनकी कमाई डॉलर में होती है, इसलिए डॉलर मजबूत होने पर रुपये में उन्हें ज्यादा रकम मिलती है।

जो लोग विदेश में रहते हैं और अपने परिवार को भारत में डॉलर भेजते हैं, उन्हें रुपये में बदले जाने पर ज्यादा पैसा मिलता है।

क्यों गिर रहा है भारतीय करेंसी रुपया?

इस गिरावट के दो मुख्य कारण हैं। पहला- डॉलर की अधिक मांग और दूसरा- भारत-यूएस ट्रेड डील में हो रही देरी।

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इस समय रुपये पर आयातकों की ओर से डॉलर की मांग का भारी दबाव है। वहीं, निर्यातकों की ओर से डॉलर की सप्लाई सीमित है, जिसके कारण भारतीय मुद्रा कमजोर हो रही है।

इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती की उम्मीदें भी कम हुई हैं। अमेरिका में उम्मीद से बेहतर रोजगार के आंकड़े आने के बाद ब्याज दर कटौती की संभावनाओं को झटका लगा है, जिससे डॉलर को मजबूती मिली है।

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के वी.के. विजयकुमार ने रुपये की मौजूदा कमजोरी पर अपनी राय देते हुए कहा कि जब भारत-अमेरिका व्यापार समझौता हो जाएगा, तो रुपये का गिरना रुक जाएगा और इसमें सुधार भी आ सकता है। इसकी उम्मीद इस महीने है। हालांकि, इस समझौते के तहत भारत पर लगाए जाने वाले टैरिफ के ब्योरे पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा।