₹1 लाख के पार पहुंचा सोना, कम आमदनी वालों के लिए भी खुला गोल्ड खरीदने का स्मार्ट रास्ता
Gold price Today: सोने की कीमतों में तेजी जारी है। ऐसे में गोल्ड में निवेश करना काफी मुश्किल हो गया है। निवेशक फिजिकल गोल्ड की जगह डिजिटल गोल्ड में निवेश कर सकते हैं। वह ₹100 से इन्वेस्टमेंट स्टार्ट कर सकते हैं।

Gold ETF: सोने की कीमतों ने नया रिकॉर्ड बना लिया है। अब 10 ग्राम सोना ₹1 लाख के पार पहुंच गया है। ऐसे में सोना खरीदना काफी मुश्किल हो गया है। हालांकि, सोना खरीदने वाले के लिए अच्छी खबर है। वह हर महीने ₹100-₹500 की सेविंग के साथ गोल्ड में इन्वेस्ट कर सकते हैं। जी हां, Gold ETF (गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) के जरिये गोल्ड में निवेश किया जा सकता हैं।
क्या होता है Gold ETF?
Gold ETF असल में सोने में निवेश करने का डिजिटल तरीका है। इसमें निवेशक बाजार में ट्रेड हो रहे एक फंड के जरिए सोने की यूनिट्स खरीदते हैं। ये फंड शेयर मार्केट में शेयरों की तरह ही खरीदा-बेचा जा सकता है। यही कारण हैं कि इसे बहुत लिक्विड और आसान ऑप्शन माना जाता है।
कम पैसों से भी शुरू करें निवेश
अगर निवेशक के पास ज्यादा पैसा नहीं है, तो चिंता की बात नहीं। Gold ETF में ₹100 से भी कम में निवेश शुरू कर सकते हैं। आप चाहें तो इसे हर हफ्ते या हर महीने SIP की तरह भी कर सकते हैं। यह म्यूचुअल फंड के इन्वेस्टमेंट की तरह ही काम करता हैं। बता दें कि SIP से निवेश करने पर बाजार के उतार-चढ़ाव का असर कम पड़ता है और धीरे-धीरे एक अच्छा फंड बन जाता है।
फिजिकल गोल्ड से Gold ETF क्यों बेहतर है?
Gold ETF में आपको सोना खरीदकर घर में रखने की जरूरत नहीं पड़ती। इससे चोरी का डर, स्टोरेज खर्च और मिलावट की टेंशन खत्म हो जाती है। यह पूरी तरह से डिजिटल होता है। इसकी वैल्यू सीधे बाजार में सोने की कीमत से जुड़ी होती है। इसके साथ ही इसे कभी भी, किसी भी समय, ट्रेडिंग घंटों में बेचा जा सकता है।
भारत में मौजूद प्रमुख Gold ETF
आज भारत में कई ब्रोकर और फाइनेंशियल कंपनियां गोल्ड ETF पेश कर रही हैं। निवेशक SBI Gold ETF, HDFC Gold ETF, ICICI Prudential Gold ETF, Nippon Gold BeES, Kotak Gold ETF आदि में इन्वेस्ट कर सकते हैं। इसे किसी भी Demat और Trading अकाउंट से खरीद सकते हैं।
ETF में निवेश करने के फायदे
ETF को स्टॉक्स की तरह बाजार में लाइव खरीदा-बेचा जा सकता हैं। इसमें डिविडेंड टैक्स नहीं लगता है। इसके अलावा निकासी पर भी कोई एग्जिट लोड नहीं होता। यहां तक कि इसका एक्सपेंस रेशियो भी म्यूचुअल फंड से कम होता है।