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₹10,000 का SIP बेहतर है, या साल में एक बार ₹1.2 लाख का LumpSum? जानिए किसमें होगी अधिक कमाई

इंडिया टुडे से बातचीत में Scripbox के सचिन जैन, Vibhavangal Anukulakara के एमडी सिद्धार्थ मौर्य, और Epsilon Money के CEO अभिषेक देव ने दोनों तरीकों की ताकत और खामियां बताई हैं। चलिए डिटेल में जानते हैं।

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SIP vs LumpSum: आजकल के समय में सबसे बड़ा सवाल यह नहीं है कि निवेश करना चाहिए या नहीं, बल्कि यह है कि कैसे करना चाहिए। क्या हर महीने ₹10,000 का SIP बेहतर है, या साल में एक बार ₹1.2 लाख का LumpSum?

इंडिया टुडे से बातचीत में Scripbox के सचिन जैन, Vibhavangal Anukulakara के एमडी सिद्धार्थ मौर्य, और Epsilon Money के CEO अभिषेक देव ने दोनों तरीकों की ताकत और खामियां बताई हैं। चलिए डिटेल में जानते हैं।

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समय का है पूरा खेल

Scripbox के सचिन जैन साफ कहते हैं कि LumpSum का फायदा इसकी टाइमिंग में है। ₹1.2 लाख का एनुअल LumpSum आमतौर पर ₹10,000 मंथली SIP से बेहतर रहता है, क्योंकि पूरा पैसा अपफ्रंट निवेश होता है और उसे कंपाउंडिंग के लिए अधिक समय मिलता है। एक्सपर्ट के मुताबिक LumpSum को SIP के मुकाबले लगभग 11 महीने की बढ़त मिलती है।

वोलैटिलिटी: खतरा या मौका?

Scripbox के सचिन जैन के अनुसार SIPs टाइमिंग रिस्क कम करती हैं और लंबे समय में वोलैटिलिटी का असर कम करती हैं। वहीं Vibhavangal Anukulakara के एमडी सिद्धार्थ मौर्य मानते हैं कि तेजी वाले बाजार में LumpSum ज्यादा रिटर्न दिलाता है क्योंकि पैसा एक बार में लग जाता है। लेकिन गिरावट के दौर में SIP चमकती है।

कब LumpSum आगे निकलता है?

सचिन जैन बताते हैं कि जब बाजार सस्ते हों, तब LumpSum सबसे प्रभावी होता है। उन्होंने कहा कि भारतीय इक्विटी का औसत P/E 21-23 है। जब यह 16 से नीचे गिरता है, तो वैल्यूएशन आकर्षक माने जाते हैं और बल्क इंवेस्टमेंट का अच्छा मौका बनता है।

SIP की छुपी ताकत

Epsilon Money के CEO अभिषेक देव ने कहा कि SIP की सबसे बड़ी शक्ति निवेशक का अनुशासन है। ₹10,000 मंथली SIP अक्सर वोलैटाइल या बढ़ते बाजार में भी बढ़िया प्रदर्शन करती है, क्योंकि यह यूनिट्स को औसत लागत पर जोड़ती रहती है।

वे बताते हैं कि SIP मंथली इनकम की धारा से सहजता से मेल खाती है और निवेशकों को लगातार लगे रहने में मदद करती है। SIP टाइमिंग की गलतियों को कम करती है और निवेश टारगेट पर टिके रहने में सहायक होती है।

उन्होंने कहा कि 10-15 साल में दोनों तरीके से संपत्ति बनाते हैं, लेकिन LumpSum में कंपाउंडिंग का लाभ अधिक होता है। एक्सपर्ट ने माना की अंतिम चुनाव बाजार की स्थिति और निवेशक के व्यवहार पर निर्भर करता है।

आखिर कौन-सा तरीका चुनें?

Epsilon Money के CEO अभिषेक देव के मुताबिक SIP हो या LumpSum इसका फैसला जोखिम क्षमता, लिक्विडिटी और उतार-चढ़ाव सहने की क्षमता के अनुसार होना चाहिए।

Vibhavangal Anukulakara के एमडी सिद्धार्थ मौर्य कहते हैं कि अवसर तलाशने वाले आक्रामक निवेशक LumpSum को चुन सकता हैं, जबकि स्थिरता पसंद करने वाले निवेशकों के लिए SIP बेहतर है।

Disclaimer: म्यूचुअल फंड्स निवेश बाज़ार जोखिमों के अधीन है। ये आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से इंवेस्टमेंट सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। BT Bazaar अपने पाठकों और दर्शकों को पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेने का सुझाव देता है।