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OTT का क्रेज : कैसे बदल गयी मनोरंजन की दुनिया?

PVR Inox की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में कंपनी की सीट ऑक्युपेंसी 34.3 फीसदी थी, जो कोविड के दौरान 2021 में घटकर 10.2 फीसदी रह गयी थी। आँकड़ों पर नज़र डाले तो 2016 के मुकाबले 2023-24 में कम दर्शक ही सिनेमा हॉल तक फिल्में देखने जा रहे है। 2023 में 26.4 फीसदी और 2024 में 25.6 फीसदी ही सीटें भर पायी हैं। जबकि पिछले चार वर्षों में इस कंपनी ने अपनी स्क्रीन की संख्या में दोगुना का इज़ाफा किया है।

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PVR Inox का Q2 FY25 का रिजल्ट किसी बड़े बजट की फिल्म की माफिक फ्लॉप रहा है। इस तिमाही में कंपनी ने ₹11.8 करोड़ का शुद्ध घाटा दर्ज किया। जबकि पिछले वर्ष इसी तिमाही में कंपनी ने ₹166.3 करोड़ का मुनाफा हासिल किया था। पीवीआर INOX को Q4 FY24 में भी साल-दर-साल के आधार पर 130 करोड़ का नुकसान हुआ था। जबकि Q2 FY25 के दौरान PVR ने ज्यादा दर्शकों तक पहुंच बनाने के लिए 66 नए स्क्रीन भी खोले हैं। आखिर क्या वजह है कि सबसे बड़ी मल्टीप्लेक्स कंपनी PVR Inox को ज्यादा मुनाफा और दर्शक नहीं मिल रहे हैं?

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PVR Inox की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में कंपनी की सीट ऑक्युपेंसी 34.3 फीसदी थी, जो कोविड के दौरान 2021 में घटकर 10.2  फीसदी रह गयी थी। आँकड़ों पर नज़र डाले तो 2016 के मुकाबले 2023-24 में कम दर्शक ही सिनेमा हॉल तक फिल्में देखने जा रहे है। 2023 में 26.4 फीसदी और 2024 में 25.6 फीसदी ही सीटें भर पायी हैं। जबकि पिछले चार वर्षों में इस कंपनी ने अपनी स्क्रीन की संख्या में दोगुना का इज़ाफा किया है।

2016 में देशभर में 516, 2021 में 842 स्क्रीनें थीं, जो 2024 तक बढ़कर 1718 हो गयी हैं। इससे साफ जाहिर है कि कंपनी ने अपना विस्तार किया है। बावजूद इसके सीटों की बुकिंग का प्रतिशत कम रहा है। कोविड का दौर खत्म होने के बाद भी दर्शक बड़े पर्द पर फिल्में कम देख रहे हैं, आखिर क्यों?

OTT ने बदला फिल्म इंडस्ट्री का परिदृश्य

दरअसल कोविड के दौर में मनोरंजन के लिए ओटीटी (ओवर-द-टॉप प्लेटफॉर्म्स) सबसे बड़ा विकल्प बनकर उभारा था। इसके बाद से सिनेमा प्रेमी ओटीटी पर रिलीज़ होने वाली वेब सीरिज़ और फिल्मों पर ज्यादा दिलचस्पी रखने लगे। पिछले 5 वर्षों में इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का चेहरा ही बदल गया है। अगर आप थियेटर पर फिल्म देखना चाहते है तो इसके लिए प्लानिंग करनी होगी, साथियों के साथ शैड्यूल बनाना होगा और फिर सिनेमा हॉल पहुंचकर महंगी टिकट पॉपकॉर्न, सॉफ्ट ड्रिंक और बर्गर-सैडंविच जैसी सुविधों पर अलग से खर्च करना होगा। जबकि घर बैठकर मोबाइल या स्मार्ट टीवी पर ओटीटी के जरिए नई फिल्में और सीरिज़ का मज़ा लेना ज्यादा आसान और सस्ता विकल्प है। ये क्रेज केवल मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे शहरों और गांवों-कस्बों में भी इसकी लत देखी जा रही है। फिल्म समीक्षक जोगिंदर तुतेजा के मुताबिक “दर्शकों का सिनेमा हॉल्स की तरफ न जाने का कारण है कि नई फिल्में आठ हफ्तों में ही ओटीटी पर आसानी से उपलब्ध हो जाती है। इस वजह से लोग थिएटर जाने के बजाय घर पर ही फिल्में देखना पसंद कर रहे हैं।“

एक अनुमान के मुताबिक कोविड संकट के बाद तकरीबन 2.4 करोड़ लोगों ने सिनेमाघर जाना बंद कर दिया है। उनके पास नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम, डिज़्नी प्लस हॉटस्टार, ज़ी-5, सोनी लिव, जियो सिनेमा और एमएक्स जैसे प्लेटफार्मों ने दुनियाभर के करोड़ों दर्शको को अपना दीवाना बना दिया है। फिल्म समीक्षक सुमित कडेल के मुताबिक “महामारी के बाद जब थिएटर फिर से खुले तो लोगों की देखने की आदतें पूरी तरह से बदल गईं। पिछले दो वर्षों में थिएटर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अब दर्शक थिएटर में तभी जाते हैं, जब ट्रेलर और कॉन्टेन्ट उन्हें उत्साहित करता है। नॉन-कॉमर्शियल और कॉमेडी वाला कॉन्टेन्ट थिएटर की तुलना में ओटीटी प्लेटफार्मों पर देखना ज्यादा पसंद किया जा रहा है।“

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Covid के बाद बदल गए हालात

कोविड-19 महामारी के दौरान सिनेमा हॉल बंद थे और कोविड के डर, तमाम तरह की पाबंदियों की वजह से 2021 में करीब 10 फीसदी लोग ही सिनेमा हॉल जा रहे थे। धीरे-धीरे ओटीटी का क्रेज आसमान छूने लगा। 2020 में  भारत में नेटफ्लिक्स की सब्सक्राइबर संख्या में 40 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज़ की गयी थी। जबकि डिज़्नी+ हॉटस्टार ने 30 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई। लोगों को घरों में रहकर ओटीटी की लत पड़ी। दर्शकों का मानना भी है कि “OTT पर सिनेमा हॉल के टिकट के दाम से भी सस्ते में महीने भर के सब्सक्रिप्शन पर कई फिल्में-सीरिज़ देखने को मिल जाती हैं। किसी भी समय, घर में ही पसंदीदा ज्यादा ऑपशन्स के स्नैक्स बनाकर या ऑन-लाइन ऑर्डर कर, आरामदायक माहौल में परिवार या अकेले बैठकर-लेटकर, फिल्मों-सीरिज़ों का आनंद लिया जा सकता है।“

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स्टैटिस्टा की OTT वीडियो आउटलुक रिपोर्ट के मुताबिक ओटीटी वीडियो बाजार में रेवन्यू 2024 में 316.40 अमेरिकन डॉलर बिलियन तक रहने का अनुमान है। 2024-2029 के दौरान रेवन्यू 6.30 फीसदी की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) हो सकता है, जिससे 2029 तक अनुमानित बाजार का आकार $429.40 अमेरिकन बिलियन हो जाएगा।

भारत में OTT प्लेटफॉर्म्स का क्रेज

भारत को ओटीटी सेवाओं के लिए दुनिया का सबसे तेजी से उभरता और सबसे बड़ा बाजार माना जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ओटीटी मार्केट 2022 में ₹16,000 करोड़ का था और 2025 तक इसके ₹30,000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। मोबाइल क्रांति, डिजिटल क्रांति और इंटरनेट क्रांति ने दर्शकों के हाथों में मनोरंजन का ऐसा साधन थमा दिया है जिसने पारंपरिक केबल टीवी और सिनेमाघरों को जबरदस्त टक्कर दी है। ऑरमैक्स मीडिया की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में ओटीटी दर्शकों की संख्या 481.1 मिलियन है। यह 2022 की तुलना में 13.5% ज़्यादा है। ओटीटी वीडियो यूजर्स की संख्या 2027 तक 4,216.3 मिलियन तक पहुंच जाएगी। मुंबई, दिल्ली और बेंगुलुरु पेड सब्सक्रिप्शन में टॉप सिटीज हैं। फिक्की-ईवाई की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ओटीटी पर बिताया जाने वाला कुल स्क्रीन टाइम टीवी के मुकाबले लगभग 40 फीसदी अधिक हो चुका है। भारतीय ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का एक बड़ा आकर्षण क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कंटेंट है। इस वजह से भी दर्शकों का दायरा भी बढ़ा है। इसके अलावा, विदेशी कंटेंट भी आपकी ही भाषा में आसानी से उपलब्ध हो रहा है। यहीं तमाम कारण है जिससे मनोरंजन की दुनिया एक मोबाइल स्क्रीन पर सिमटती जा रही है।

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