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Ram Mandir: 51 इंच की होगी रामलला की मूर्ति, 5 साल के बाल स्वरूप में विराजेंगे भगवान...

रामलला की मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच बहुत सोच समझकर रखी गई है। अमूमन भारत में एक 5 वर्षीय बच्चे की लंबाई 51 इंच के आसपास होती है। साथ ही 51 शुभ अंक माना जाता है, इसे ध्यान में रखते हुए गर्भगृह में स्थापित होने वाली मूर्ति का आकार भी 51 इंच रखा गया है।

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Ram Mandir
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Ayodhya में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित 7 दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत 16 जनवरी से हो चुकी है। इस अनुष्ठान के तीसरे दिन गुरुवार तड़के रामलला की मूर्ति को राम मंदिर के गर्भगृह के अंदर लाया गया। 'जय श्री राम' के उद्घोष के बीच क्रेन की मदद से मूर्ति को अंदर लाने से पहले गर्भगृह में एक विशेष पूजा की गई। श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा के मुताबिक, गुरुवार को गर्भगृह में मूर्ति को स्थापित किए जाने की संभावना है। 

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गर्भगृह में जो मूर्ति स्थापित की जा रही है, वह श्याम वर्ण की और रामलला के बाल स्वरूप की है। रामलला 5 वर्षीय बाल स्वरूप में भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होंगे। मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच है। कमल के फूल के साथ मूर्ति की लंबाई 8 फीट होगी। प्रतिमा का वजन 200 किलोग्राम है। गर्भगृह में रखी गई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित अनुष्ठान 22 जनवरी को दोपहर 12:20 बजे शुरू होगा और इसके दोपहर 1 बजे तक समाप्त होने की उम्मीद है। 

रामलला की 51 इंच की मूर्ति, शालीग्राम शिला से हुआ है निर्माण

रामलला की मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच बहुत सोच समझकर रखी गई है। अमूमन भारत में एक 5 वर्षीय बच्चे की लंबाई 51 इंच के आसपास होती है। साथ ही 51 शुभ अंक माना जाता है, इसे ध्यान में रखते हुए गर्भगृह में स्थापित होने वाली मूर्ति का आकार भी 51 इंच रखा गया है। मूर्ति का निर्माण शालीग्राम पत्थर को तराशकर हुआ है। हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां अक्सर इसी पत्थर से बनाई जाती हैं, क्योंकि इसे पवित्र माना जाता है। शालीग्राम एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है, जो आमतौर पर नदियों की तलहटी में पाया जाता है। 

रामलला की बाल स्वरूप वाली मूर्ति अरुण योगीराज ने बनाई है

अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए रामलला की जिस मूर्ति का चयन हुआ है, उसे मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। दरअसल, तीन मूर्तियों का निर्माण हुआ था। मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय ने राजस्थानी संगमरमर शिला से प्रतिमा बनाई थी। मूर्तिकार गणेश भट्ट व अरुण योगीराज ने कर्नाटक के शालीग्राम शिला से दो मूर्तियों का निर्माण किया था। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने तीनों मूर्तियों को देखने और परखने के बाद, गर्भगृह में स्थापना के लिए अरुण योगीराज की बनाई मूर्ति का चयन  किया।

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मंदिर के गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठित होगी '5 वर्षीय रामलला' की मूर्ति

राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मूर्ति के चयन को लेकर किए प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, 'अरुण योगीराज के परिवार में प्रतिमा निर्माण का काम वर्षों से किया जाता रहा है। उन्होंने देश में कई सुंदर प्रतिमाएं बनाई हैं। अयोध्या में भी भगवान राम के बाल स्वरूप वाली प्रतिमा का निर्माण अरुण योगीराज ने किया है, जिसे गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठित किया जाएगा। यह प्रतिमा 5 वर्ष के बालक की कोमलता को समेटे हुए बेहद भव्य और सुंदर है। इसके अलावा पूर्व से ही श्रीराम जन्मभूमि परिसर में पूजित की जा रही प्रतिमा को भी नई मूर्ति के साथ गभगृह में रख दिया जाएगा'।

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अरुण योगीराज ने पहले भी बनाई हैं कई चर्चित मूर्तियां 

केदारनाथ धाम में स्थापित आदि शंकराचार्य की प्रतिमा और दिल्ली में कर्तव्यपथ पर स्थापित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी अरुण योगीराज ने ही बनाई है। वह मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकारों की पांच पीढ़ियों की पारिवारिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं। अरुण योगीराज की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं।अरुण के पिता योगीराज भी एक कुशल मूर्तिकार हैं। उनके दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण प्राप्त था। एमबीए पूरा करने के बाद अरुण योगीराज ने कुछ समय तक एक निजी कंपनी में काम किया। लेकिन नौकरी में उनका मन नहीं लगा और वह 2008 में अपने पारिवारिक मूर्तिकला के पेशे से जुड़ गए।