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'भारत मेरा दूसरा घर है, कृपया मुझे यहां रहने दें'

बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन, जो पिछले लंबे समय से भारत में रह रही हैं, अपने निवास परमिट को लेकर चिंता में हैं। तसलीमा 2011 से भारत में रह रही हैं और अब उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से गृह मंत्री अमित शाह से गुहार लगाई है कि उन्हें भारत में रहने दिया जाए।

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बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन, जो पिछले लंबे समय से भारत में रह रही हैं, अपने निवास परमिट को लेकर चिंता में हैं। तसलीमा 2011 से भारत में रह रही हैं और अब उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से गृह मंत्री अमित शाह से गुहार लगाई है कि उन्हें भारत में रहने दिया जाए।

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सोमवार को तसलीमा ने ट्विटर पर लिखा, "अमित शाह जी, नमस्कार। मैं भारत में रहती हूं क्योंकि मैं इस महान देश से प्यार करती हूं। यह पिछले 20 वर्षों से मेरा दूसरा घर रहा है। लेकिन गृह मंत्रालय ने 22 जुलाई से मेरे निवास परमिट को नवीनीकृत नहीं किया है। मैं बहुत चिंतित हूं। अगर आप मुझे यहां रहने देंगे तो मैं आपकी बहुत आभारी रहूंगी।"

27 जुलाई को समाप्त हो गया था परमिट

तसलीमा नसरीन ने कहा कि उनका निवास परमिट 27 जुलाई को समाप्त हो गया था, लेकिन अभी तक इसे सरकार द्वारा नवीनीकृत नहीं किया गया है। आजतक बांग्ला से विशेष बातचीत में तसलीमा ने बताया था कि उन्हें भारत में रहना बहुत अच्छा लगता है, लेकिन उनका निवास परमिट अब तक रिन्यू नहीं हुआ है।

1990 में पहली बार झेलना पड़ा विरोध

1990 में तसलीमा नसरीन को बांग्लादेश में इस्लाम की आलोचना करने के आरोप में भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। 1994 में उन्हें फतवा जारी किया गया और कट्टरपंथियों द्वारा भारी विरोध हुआ, जिसके बाद उन्हें छिपकर रहना पड़ा और अंततः बांग्लादेश छोड़ना पड़ा। तब से तसलीमा निर्वासन में हैं।

1998 में वह कुछ दिनों के लिए बांग्लादेश वापस गईं, लेकिन शेख हसीना की सरकार के दौरान उन्हें फिर से देश छोड़ना पड़ा। तसलीमा मानती हैं कि खालिदा जिया और शेख हसीना दोनों ने उन्हें बांग्लादेश में नहीं रहने दिया और इस्लामिक कट्टरपंथियों को बढ़ावा दिया।

दिल्ली में निवास

कई वर्षों तक यूरोप में रहने के बाद तसलीमा 2004-2005 के दौरान भारत आईं। शुरुआत में उन्होंने कोलकाता को अपना ठिकाना बनाया था, लेकिन 2007 में उन्हें वहां से भी दबाव में आकर जाना पड़ा। कुछ समय जयपुर में बिताने के बाद वह अब दिल्ली में रहती हैं।