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Expose: पूर्व गवर्नर Duvvuri Subbarao का दावा, 'Pranab Mukherjee और P. Chidambaram' RBI पर बनाते थे दबाव "

सुब्बाराव ने कहा कि वे इस मांग से हमेशा असहज और परेशान रहते थे कि आरबीआई को सरकार का चीयरलीडर बनना चाहिए। वे लिखते हैं, "मुझे इस बात से भी निराशा हुई कि वित्त मंत्रालय विकास के लिए उच्च अनुमान की मांग कर रहा था, जबकि साथ ही ब्याज दर पर नरम रुख की दलील दे रहा था, जबकि इन दोनों मांगों के बीच स्पष्ट असंगति को नहीं देख रहा था।"

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पूर्व गवर्नर Duvvuri Subbarao का दावा, 'Pranab Mukherjee और P. Chidambaram' RBI पर बनाते थे दबाव "
पूर्व गवर्नर Duvvuri Subbarao का दावा, 'Pranab Mukherjee और P. Chidambaram' RBI पर बनाते थे दबाव "

RBI के पूर्व गवर्नर Duvvuri Subbarao ने अपने संस्मरण में दावा किया है कि Pranab Mukherjee और  P. Chidambaram के नेतृत्व में वित्त मंत्रालय केंद्रीय बैंक पर ब्याज दरों को कम करने और देश की विकास की बेहतर तस्वीर पेश करने का दबाव बनाते थे।अपनी हालिया पुस्तक  'Just a Mercenary? Notes from My Life and Career' में सुब्बाराव लिखते हैं कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता के महत्व के बारे में सरकार में 'बहुत कम समझ और संवेदनशीलता' है। उन्होंने पुस्तक में कहा, "सरकार और आरबीआई दोनों में रहने के कारण मैं पूरे अधिकार के साथ कह सकता हूं कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता के महत्व के बारे में सरकार के भीतर समझ और संवेदनशीलता बहुत कम है।"

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आरबीआई के गवर्नर का पदभार

5 सितम्बर 2008 को पांच वर्षों के लिए आरबीआई के गवर्नर का पदभार संभालने से पहले सुब्बाराव वित्त सचिव (2007-08) थे। 'रिजर्व बैंक सरकार का चीयरलीडर?' शीर्षक वाले अध्याय में सुब्बाराव ने याद दिलाया कि सरकार का दबाव केवल रिजर्व बैंक के ब्याज दर रुख तक ही सीमित नहीं था।

आरबीआई पर दबाव

उन्होंने लिखा है कि कई मौकों पर आरबीआई पर दबाव डाला गया कि वह हमारे वस्तुनिष्ठ आकलन से अलग विकास और मुद्रास्फीति के बेहतर अनुमान पेश करे। उन्होंने लिखा है, "मुझे एक ऐसा अवसर याद है जब प्रणब मुखर्जी वित्त मंत्री थे। वित्त सचिव अरविंद मायाराम और मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने अपनी धारणाओं और अनुमानों के साथ हमारे अनुमानों का विरोध किया, जो मुझे लगा कि सामान्य बात है।" उन्होंने याद करते हुए कहा, "मायाराम ने एक बैठक में यहां तक कह दिया था कि 'जहां दुनिया में हर जगह सरकारें और केंद्रीय बैंक सहयोग कर रहे हैं, वहीं भारत में रिजर्व बैंक बहुत ही अड़ियल रवैया अपना रहा है।"

असहज और परेशान

सुब्बाराव ने कहा कि वे इस मांग से हमेशा असहज और परेशान रहते थे कि आरबीआई को सरकार का चीयरलीडर बनना चाहिए। वे लिखते हैं, "मुझे इस बात से भी निराशा हुई कि वित्त मंत्रालय विकास के लिए उच्च अनुमान की मांग कर रहा था, जबकि साथ ही ब्याज दर पर नरम रुख की दलील दे रहा था, जबकि इन दोनों मांगों के बीच स्पष्ट असंगति को नहीं देख रहा था।"

रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रास्फीति पर चिंता

सुब्बाराव याद करते हैं, "रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रास्फीति पर चिंता व्यक्त करते हुए अपना आक्रामक नीति वक्तव्य जारी करने के करीब एक घंटे बाद नॉर्थ ब्लॉक के बाहर मीडिया से बातचीत में चिदंबरम ने कहा कि 'विकास भी मुद्रास्फीति जितनी ही चिंता का विषय है। अगर सरकार को विकास की चुनौती का सामना करने के लिए अकेले चलना पड़ा, तो हम अकेले चलेंगे।"

(पीटीआई से इनपुट्स सहित)