चार ताइवानी लोग चला रहे थे 'डिजिटल अरेस्ट' गैंग, रोज कर रहे थे 2 करोड़ की ठगी, 17 लोग गिरफ्तार
हाल ही के दिनों में देश में साइबर अपराध तेजी से बढ़े हैं, और इसी के साथ 'डिजिटल अरेस्ट' जैसी घटनाएं भी सामने आई हैं। यह एक ऐसा अपराध है जिसमें किसी व्यक्ति को मानसिक रूप से नियंत्रित किया जाता है, और एक फोन कॉल के जरिए लोग इस जाल में फंस जाते हैं। पीड़ित इसे बेहद खतरनाक बताते हैं और लाखों रुपये गंवा बैठते हैं। इसी तरह के एक मामले में गुजरात पुलिस ने चार ताइवानी ठगों समेत 17 लोगों को गिरफ्तार किया है। अहमदाबाद साइबर अपराध शाखा ने इन लोगों को देशव्यापी 'डिजिटल अरेस्ट' रैकेट चलाने के आरोप में पकड़ा।

हाल ही के दिनों में देश में साइबर अपराध तेजी से बढ़े हैं, और इसी के साथ 'डिजिटल अरेस्ट' जैसी घटनाएं भी सामने आई हैं। यह एक ऐसा अपराध है जिसमें किसी व्यक्ति को मानसिक रूप से नियंत्रित किया जाता है, और एक फोन कॉल के जरिए लोग इस जाल में फंस जाते हैं। पीड़ित इसे बेहद खतरनाक बताते हैं और लाखों रुपये गंवा बैठते हैं। इसी तरह के एक मामले में गुजरात पुलिस ने चार ताइवानी ठगों समेत 17 लोगों को गिरफ्तार किया है। अहमदाबाद साइबर अपराध शाखा ने इन लोगों को देशव्यापी 'डिजिटल अरेस्ट' रैकेट चलाने के आरोप में पकड़ा।
10 दिन तक 'डिजिटल अरेस्ट' में फंसा था शख्स
ज्वाइंट कमिश्नर (क्राइम) शरद सिंघल ने बताया कि मामला तब उजागर हुआ जब गिरोह ने एक वरिष्ठ नागरिक को 10 दिनों तक 'डिजिटल रूप से गिरफ्तार' कर रखा। वीडियो कॉल के जरिए उनकी निगरानी की जा रही थी और आरबीआई से जुड़े मुद्दों को हल करने के बहाने उनसे 79.34 लाख रुपये 'रिफंडेबल' प्रोसेसिंग फीस के नाम पर वसूल किए गए।
हर दिन 2 करोड़ रुपये की ठगी
पुलिस के मुताबिक, वरिष्ठ नागरिक ने शिकायत दर्ज कराई थी कि कुछ लोगों ने उन्हें ट्राई, सीबीआई और साइबर क्राइम शाखा का अधिकारी बताकर फोन किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके बैंक खाते का उपयोग अवैध लेनदेन के लिए किया जा रहा है। शरद सिंघल ने कहा, 'शिकायत मिलने के बाद हमारी टीमों ने गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, कर्नाटक, ओडिशा और महाराष्ट्र में छापेमारी की और इस अंतरराज्यीय रैकेट के तहत 17 लोगों को गिरफ्तार किया, जिसमें ताइवान के चार नागरिक भी शामिल हैं। हमें विश्वास है कि उन्होंने लगभग 1,000 लोगों को निशाना बनाया होगा।' कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, ये लोग पिछले एक साल से हर दिन लगभग 2 करोड़ रुपये की ठगी कर रहे थे।
ताइवानी आरोपियों ने बनाया ठगी के लिए ऐप
गिरफ्तार ताइवानी नागरिकों की पहचान म्यू ची सुंग (42), चांग हू युन (33), वांग चुन वेई (26) और शेन वेई (35) के रूप में हुई है, जबकि बाकी 13 लोग गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड, ओडिशा और राजस्थान से हैं। ताइवान के ये आरोपी पिछले एक साल से भारत आकर गिरोह के सदस्यों को एक खाते से दूसरे में पैसे ट्रांसफर करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान कर रहे थे। उन्होंने एक मोबाइल ऐप भी विकसित किया था, जिसके जरिए पीड़ितों से प्राप्त धन दुबई में अन्य बैंक खातों और क्रिप्टो अकाउंट्स में ट्रांसफर किया जाता था।
सरकारी ऑफिस जैसे कॉल सेंटर से चल रहा था रैकेट
सिंघल ने बताया कि यह रैकेट उन कॉल सेंटरों से संचालित हो रहा था, जो सरकारी जांच एजेंसियों के वास्तविक कार्यालयों जैसे दिखते थे। इन कॉल सेंटरों से वीडियो कॉल्स के जरिए पीड़ितों को ठगा जाता था। पुलिस ने छापेमारी में 12.75 लाख रुपये नकद, 761 सिम कार्ड, 120 मोबाइल फोन, 96 चेक बुक, 92 डेबिट और क्रेडिट कार्ड और 42 बैंक पासबुक बरामद की हैं।
क्या है 'डिजिटल अरेस्ट'?
'डिजिटल अरेस्ट' एक तरह का साइबर अपराध है, जिसमें पीड़ित को विश्वास दिलाया जाता है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग या ड्रग तस्करी जैसे अपराधों के लिए जांच के दायरे में है। पीड़ित को वीडियो कॉल के जरिए निगरानी में रखा जाता है और उसे बड़ी रकम बैंक खातों में ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया जाता है।