scorecardresearch

इस कंपनी को खरीदने के लिए मची होड़

एक कंपनी के प्रति इतनी दीवानगी आपने पहले कभी नहीं देखी होगी। ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक कंपनी को खरीदने के लिए दुनिया की दिग्गज कंपनियों में होड़ मच गई है। आपने चिंग्स सीक्रेट का सुना होगा, जी हां वहीं जिसकी एड रणबीर सिंह करते हैं। इसकी पैरेंट्स कंपनी कैपिटल फूड्स को खरीदने के लिए जंग छिड़ गई है। इस कंपनी को खरीदने के लिए नेस्ले, टाटा, आईसीटी, एचयूएल, जापान की बड़ी नूडल्स कंपनी निसान, नार्वे की कंपनी ओरक्ला और दुनिया की बड़ी फूड और बवरेजेज कंपनी हाइंड के बीच सीधी टक्कर हो रही है।

Advertisement
thumb
thumb

इस कंपनी को खरीदने के लिए मची होड़ TATA, HUL, ITC, Nestle आपस में भिड़ीं

एक कंपनी के प्रति इतनी दीवानगी आपने पहले कभी नहीं देखी होगी। ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक कंपनी को खरीदने के लिए दुनिया की दिग्गज कंपनियों में होड़ मच गई है। आपने चिंग्स सीक्रेट का सुना होगा, जी हां वहीं जिसकी एड रणबीर सिंह करते हैं। इसकी पैरेंट्स कंपनी कैपिटल फूड्स को खरीदने के लिए जंग छिड़ गई है। इस कंपनी को खरीदने के लिए नेस्ले, टाटा, आईसीटी, एचयूएल, जापान की बड़ी नूडल्स कंपनी निसान, नार्वे की कंपनी ओरक्ला और दुनिया की बड़ी फूड और बवरेजेज कंपनी हाइंड के बीच सीधी टक्कर हो रही है। 

advertisement

अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस कंपनी को क्यों सब खरीदना चाहते हैं? इसके बिजनेस मॉडल में इतना खास क्या है? 

कैपिटल फूड्स की शुरुआत साल 1995 में अजय गुप्ता ने की थी। अजय ने देसी चाइनीज सेगमेंट और इटैलियन फूड्स सेगमेंट की शुरुआत की थी। कंपनी चिंग्स सीक्रेट इंस्टेंट चाइनीज नूडल्स, सूप, मसालें, पेस्ट, फ्रोजन प्रोडक्ट, फूड पेस्ट, सॉस जैसे प्रोडक्ट्स बेचती है। कैपिटल फूड्स जो आपको घर पर चाइनीज फूड बनाने के लिए सीक्रेट मसाले और सॉस उपलब्ध करवाती है। 

अब समझिए की कैपिटल फूड्स को खरीदनी की होड़ क्यों मची है?

अजय गुप्ता ने चिंग्स सीक्रेट के जरिए भारतीयों में नए स्वाद को डेवलेप किया। जिसमें चीनी और भारतीय मसालों का मिश्रण और तकनीक शामिल है, जिसे लोगों ने हाथों-हाथ लिया। अगर इसके बिजनेस ग्रोथ की बात की जाए तो पिछले 10 सालों में कैपिटल फूड्स का रेवेन्यू 10 गुना बढ़ा है। खबरों की मानें तो वित्त वर्ष 2023 में इनका एबिटा मार्जिन बढ़कर 25 प्रतिशत पहुंचने की उम्मीद है। इनके कोर बिजनेस की बात की जाए तो वो compounded annual growth rate करीब 30 प्रतिशत है। वहीं दूसरी ओर इसके पॉम्पिटिर सिंगल डिजिट में आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में टाटा हो या ITC या फिर HUL-नेस्ले कोई भी इस मौके को नहीं गंवाने देना चाहती है। इस डील से बैठे बैठाए अच्छा खासा कंज्यूमर बेस और मार्केट में पैठ मिल जाएगी।

अब ऐसे में सवाल उठता है कि ये डील कितने में होने की उम्मीद है?

तो मीडिया में छपी रिपोर्ट्स की मानें तो ये कंपनी की वैल्यू करीब 8 हजार करोड़ आंकी गई है। अगर इस कंपनी में शेयर होल्डर्स की बात करें तो ये पहला शेयर होल्डर - यूरोपियन फैमिली ऑफिस एंड इनवेस्टमेंट इनवस, जिसकी 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। दूसरा -अमेरिकी प्राइवेट इक्विटी ग्रुप जनरल एटलांटिक, जिसका शेयर 35 प्रतिशत है और तीसरा - कंपनी के चेयरमैन अजय गुप्ता, जो 25 फीसदी के मालिक हैं। पिछले चुछ वक्त से इस कंपनी को खरीदने को लेकर कई राउंड्स की बैठक हो चुकी है। अब टाटा समेत दुनियाभर की बड़ी कंपनियों के बीच इसे खरीदने के लिए कंप्टीशन शुरु हो गया है। ऐसे में देखना होगा कि कौन सी कंपनी बाजी मारेगी?