Shipping Sector: Shipping Sector को मिलने वाला है बूस्ट, सरकार उठाने जा रही है ये कदम
मोदी सरकार की ओर से भारत को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशें जारी हैं। मीडिया में कई तरह की रिपोर्ट्स आ रही हैं कि सरकार शिपिंग कंटेनर की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही बड़ा कदम उठा सकती हैं।

मोदी सरकार की ओर से भारत को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशें जारी हैं। मीडिया में कई तरह की रिपोर्ट्स आ रही हैं कि सरकार शिपिंग कंटेनर की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही बड़ा कदम उठा सकती हैं। सरकार की ओर से क्या फैसला होने की संभावना है? इससे कौन से स्टॉक को फायदा हो सकता है? आइये बारीकी से समझते हैं।
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शिपिंग कंटेनर होते क्या हैं?
तो सबसे पहले समझते हैं कि शिपिंग कंटेनर होते क्या हैं? ये एक ऐसे कंटेनर होता है जिसकी ताकत शिपमेंट, स्टोरेज और हैंडलिंग को झेलने के लिए उपयुक्त होती है। शिपिंग कंटेनर में इंटरमॉडल शिपमेंट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बड़े स्टील बॉक्स से लेकर कई तरह से कंटेनर होते हैं। इसका इस्तेमाल भी आपको बता देते हैं, शिपिंग के जरिए कंटेनरों में क्रूड का इंपोर्ट एक्सपोर्ट, दुनिया भर के सामानों की कंटेनरों के जरिए एक देश से दूसरे देश में भेजा जाता है। अब एक चीज और जान लेते हैं। सितंबर 2023 में एक कंटेनर जो 40 फीट तक है, उसकी कीमत 2,200 डॉलर थी। अगर भारतीय रुपये में देखें तो 1.84 लाख। वहीं देखते ही देखते जुलाई 2024 में एक कंटेनर की कीमत बढ़कर 5,600 डॉलर पर पहुंच गई। भारतीय रुपए के हिसाब से 4.53 लाख रुपए।
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सरकार की ओर से शिपिंग कंटेनर की मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी कंपनियों को फायदा
अब आपको बताते हैं कि मीडिया में किस तरह की रिपोर्ट चल रही है कि सरकार क्या कदम उठा सकती है? सरकार की ओर से शिपिंग कंटेनर की मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी कंपनियों को फायदा दिया जा सकता है। सरकार की ओर से वायबिलिटी गैप फंडिंग स्कीम पर विचार किया जा रहा है यानि निवेश के लिहाज से सरकार की तरफ से भी वित्तीय मदद की जाएगी। इसको मिशन मोड के तौर पर काम किया जाएगा। सीधी सब्सिडी और वायबिलिटी गैप फंडिंग सपोर्ट पर इंटीरियर मिनिस्ट्रियल की कंसल्टेशन जारी है।
कंटेनर मैन्युफैक्चरिंग सरकार क्यों फोकस कर रही है?
अब ऐसे में समझने की जरूरत है कि कंटेनर मैन्युफैक्चरिंग सरकार क्यों फोकस कर रही है? तो सबसे पहले तो आप ये समझिए अकेले कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानि कॉनकॉर के पास लगभग 50,000 कंटेनर खरीदने की आने वाले दिनों में मांग आ सकती है। इसकी भारी डिमांड है।आपको कोविड का दौर याद होगा। कोविड के बाद व्यापार क्षेत्र के लिए कंटेनरों की कमी एक प्रमुख चुनौती बनकर उभरी। इस मौके पर चीन ने भी चौका मारा। चीन ने प्रीमियम दामों पर दूसरे देशों को कंटेनर बेचा या फिर उस पर भारी किराया वसूला। ऐसे वक्त में वैश्विक स्तर पर चीनी कंटेनरों की मांग खूब बढ़ी। हर साल भारत 10 हजार से भी ज्यादा कंटेनर इंपोर्ट चीन से इंपोर्ट करता है। इसमें सबसे बड़ी बात क्या है। चीन, भारत से ही स्टील खरीदता है और कंटेनर बनाकर भारत को ही महंगे दामों पर बेच देता है। सरकारी इसी स्थिति को दोबारा रोकना चाहती है और इस बाजार में भारत की एंट्री की शुरुआत करना चाहती है। सरकार मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत कंटेनर प्रोडक्शन के लिए बेहतर सुविधा देने की कोशिश कर रही है।
इतना ही नहीं बल्कि यहां सरकार की ओर से बड़ा दांव चलने की तैयारी है। न सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर बल्कि विदेशी कंटेनरों के मुकाबले ज्यादा सस्ते दामों और क्वालिटी पर फोकस किया जाएगा। ताकि इस स्पेस को जल्द से जल्द कंपिटिशन के बीच कूदा जा सके। अब यहां सवाल उठता है कि इस फैसले से कौन से स्टॉक अगर सरकार फैसला लेती है तो इनको फायदा हो सकता है। इसके लिए बिजनेस टुडे बाजार ने बात की। मार्केट एक्सपर्ट Mahesh M. Ojha से। उनके मुताबिक
Bharat Heavy Electricals
Lancer Container Lines
Mazagon Dock Shipbuilders
jupiter wagons
Kalyani Steels
जैसे स्टॉक्स को सीधे तौर पर फायदा हो सकता है।