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MPCE ने जारी की रिपोर्ट, जानिए भारतीय किन चीजो में करते है ज्यादा खर्च ?

ये आंकड़े अगस्त-2022 से जुलाई-2023 के बीच किए गए अखिल भारतीय घरेलू उपभोग व्यय सर्वे में सामने आए हैं, जो सरकार ने 11 साल बाद जारी किए हैं। केंद्र सरकार MPCE के आंकड़े हर 5 साल में जारी करती है, लेकिन आंकड़ों की गुणवत्ता पर सवाल उठने के कारण 2017-18 में रिपोर्ट पेश नहीं की गई थी।

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Statistics Ministry ने भारतीय परिवारों के घरेलू खर्च को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है
Statistics Ministry ने भारतीय परिवारों के घरेलू खर्च को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है

Statistics Ministry ने भारतीय परिवारों के घरेलू खर्च को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें सामने आया है कि भारतीय परिवारों का घरेलू खर्च पिछले 10 साल में दोगुना से ज्यादा बढ़ गया है। मासिक प्रति व्यक्ति खर्च (MPCE) की इस रिपोर्ट से पता चला है कि भारतीय घरों में खाने के सामान पर कम और कपड़े, टीवी-फ्रिज और मनोरंजन जैसी चीजों पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं। भारतीय गेहूं, चावल और दालों सहित अनाज पर कम खर्च कर रहे हैं, लेकिन बेवरेज, रिफ्रेशमेंट और प्रोसेस्ड फूड पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं। 

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शहरों में खाने पर 39.2% खर्च कर रहे लोग

सर्वे के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में भारतीय परिवारों का भोजन पर हर महीने खर्च 2011-12 की तुलना में 53% से घटकर 46.4% हो गया है। जबकि, खाने के बजाए दूसरे खर्च 47% से बढ़कर 53.6% हो गए हैं। शहरी इलाको में रहने वाले परिवारों की बात करें तो मंथली खर्च में भोजन की हिस्सेदारी 42.6% से घटकर 39.2% रह गई है, जबकि खाने के अलावा अन्य सामानों की हिस्सेदारी 57.4% से 60.8% हो गई है।

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11 साल बाद जारी की रिपोर्ट

ये आंकड़े अगस्त-2022 से जुलाई-2023 के बीच किए गए अखिल भारतीय घरेलू उपभोग व्यय सर्वे में सामने आए हैं, जो सरकार ने 11 साल बाद जारी किए हैं। केंद्र सरकार MPCE के आंकड़े हर 5 साल में जारी करती है, लेकिन आंकड़ों की गुणवत्ता पर सवाल उठने के कारण 2017-18 में रिपोर्ट पेश नहीं की गई थी। लेटेस्ट कंज्यूमर सर्वे भारतीय परिवारों के खर्च के पैटर्न की जानकारी देता है और अर्थव्यवस्था में मांग का आंकलन करने के लिए बेहद जरूरी है। डेटा का इस्तेमाल सरकार के जरिए रिटेल महंगाई और GDP डेटा की गणना के लिए इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं को फिर से एडजस्ट करने के लिए भी किया जाएगा।

शहरी लोगों के मुकाबले ग्रामीणों का खर्च बढ़ा

सर्वे के अनुसार, अगस्त-2022 से जुलाई-2023 के बीच ग्रामीण क्षेत्र में एक व्यक्ति का हर महीने खर्च बढ़कर 3773 रुपए हो गया है, जो 2011-2012 के पिछले सर्वे में 1430 रुपए था। इस दौरान शहरी क्षेत्र में हर महीने प्रति व्यक्ति खर्च बढ़कर ​​6459 रुपए हो गया है, जो पिछले सर्वे में 2630 रुपए था। रिपोर्ट में कहा गया कि कीमतों में इजाफे का कारण फास्ट-मूविंग कंज्यूमर वस्तुओं (FMCG) पर ज्यादा दबाव पड़ा है। भारतीय परिवारों ने 2023 में बिस्कुट, साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, जैम और फर्श क्लीनर आदि जैसी तेजी से बिकने वाली कंज्यूमर प्रोडक्ट्स पर 5.4 ट्रिलियन रुपए खर्च किए। 2019 के बाद से ये खर्च लगभग 45% बढ़ गया है।

बसे कम खर्च कर रहे छत्तीसगढ़ के लोग

राज्यों की बात करे तो सिक्किम में शहरी और ग्रामीण दोनों आबादी सबसे ज्यादा खर्च कर रही है। यहां एक ग्रामीण हर महीने 7731 और शहरी 12105 रुपए खर्च कर रहा है। दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ में एक ग्रामीण हर महीने 2466 और शहरी 4483 रुपए खर्च कर रहा है, जो सबसे कम है। खाने पर हर महीने का खर्च ग्रामीण इलाकों में 1750 और शहरी इलाकों में 2530 रुपए है।

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