
FPIs के लिए डिसक्लोजर जारी, नियमों को सख्त करने की तैयारी, SEBI ने जारी किया कांस्टेल्टेशन पेपर
SEBI ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए डिस्क्लोजर नियमों को मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए, SEBI ने एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया है, जिसमें विभिन्न पहलुओं का विचार मांगा गया है। एफपीआई की भूमिका को लेकर SEBI ने डिस्क्लोजर और रिपोर्टिंग नियमों में सुधार करने का निर्णय लिया है।

SEBI ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए डिस्क्लोजर नियमों को मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए, SEBI ने एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया है, जिसमें विभिन्न पहलुओं का विचार मांगा गया है। FPI की भूमिका को लेकर SEBI ने डिस्क्लोजर और रिपोर्टिंग नियमों में सुधार करने का निर्णय लिया है। यह प्रयास फाइनेंशियल मार्केट्स को और अधिक ट्रांसपेरेंट और निष्पक्ष बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के साथ-साथ, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए निवेश गतिविधियों को नियंत्रित करने में मदद करेगा।
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SEBI ने कहा कि FPIs रूट के दुरुपयोग और मौजूदा नियमों के उल्लंघन को रोकने के लिए रिस्क के आधार पर कैटेगरी में बांटना जरूरी है।SEBI ने हाई रिस्क कैटगरी के लिए अतिरिक्त जानकारी और खुलासे (Disclosure) का प्रस्ताव दिया है, यदि कोई FPI फंडिंग की सीमा पार करता है और हाई रिस्क कैटगरी में आता है तो उसे स्वामित्व, आर्थिक हित और नियंत्रण समेत तमाम अतिरिक्त डिस्क्लोजर देने होंगे।

SEBI ने प्रस्तावित सीमा में, सिंगल कॉर्पोरेट ग्रुप में संपत्ति का 50% और मौजूदा हाई रिस्क वाले FPI आएंगे, जिनकी भारतीय बाजार में कुल मिलाकर 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की हिस्सेदारी है। एक ग्रुप में AUM का 50% से ज्यादा निवेश होने या 25,000 करोड़ रुपये से ज्यादा इन्वेस्टमेंट वाले विदेशी निवेशकों को ज्यादा डिस्क्लोजर देने होंगे. यानी जितना ज्यादा निवेश, SEBI के पास उतनी ज्यादा जानकारी देनी जरूरी होगी।