Crude Oil Price: खाड़ी देशों के साथ रंग ला रही है PM Modi की डिप्लोमेसी
भारत की सऊदी अरब और यूएई के साथ ये ऐसी ही तेल की खरीद आगे बढ़ती रहती है तो इससे रूस पर भारी भरक दबाव आ सकता है भारत को इससे बहुत बड़ा फायदा भी होगा।

हम जानते है कि भारत सबसे ज्यादा इंपोर्ट कच्चा तेल करता है और भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इसमें काफी बड़ी संख्या में खरीदने में चला जाता है। इस समस्या को कम करने के लिए ही कुछ महीने पहले भारत के PM Modi और यूएई और सऊदी अरब के प्रमुखों से मिले थे। उसके बाद से भारत का प्लान खाड़ी देशों को लेकर बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। कच्चे तेल के आंकड़े जो दिखाई दिए हैं, उससे साफ जाहिर हो रहा है। आंकड़ों के अनुसार भारत का खाड़ी देशों से कच्चे तेल का इंपोर्ट 10 महीने के हाई पर है। जिसे भारत की ओर से फेस्टिव डिमांड में इजाफे के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन अंदर की कहानी कुछ और ही है तो चलिए जानते है क्या है मामला? जानकारों की मानें तो भारत को जितना फायदा पहले रूस से तेल खरीदने में हुआ करता था। अब भारत को रूस से तेल खरीदने में कोई खास फायदा नहीं हो रहा है। वहीं दूसरी ओर भारत खाड़ी देशों के साथ नजदीकी बढ़ाना चाहता है, क्योंकि जिस कॉरिडॉर को बनाने पर G20 की बैठक में सहमति हुई है, उसमें भारत और खाड़ी देश दोनों शामिल है। यही वजह है कि भारत ने रूस से भले ही अपने इंपोर्ट को कम ना किया हो, लेकिन खाड़ी देशों से से अपने इंपोर्ट में इजाफा कर दिया है। अब जरा आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर भारत ने खाड़ी से देशों से कितना ऑयल इंपोर्ट किया है? आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में भारत के ऑयल इंपोर्ट में OPEC की हिस्सेदारी 10 महीने के हाईएस्ट लेवल पर पहुंच गई। इसका बड़ा कारण अक्टूबर के महीने में रूसी तेल पर छूट मार्जिन कम देखने को मिला। जिसकी वजह से रिफाइनर्स ने सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से ज्यादा कच्चा तेल खरीदा। शिप ट्रैकिंग डाटा के आधार पर रॉयटर्स की कैलकुलेशन के अनुसार अक्टूबर में भारतीय बाजार में रूस की हिस्सेदारी नौ महीने में सबसे कम देखने को मिली है। भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑयल इंपोर्टर और कंज्यूमर है। भारत आम तौर पर अपनी ज्यादातर तेल की जरूरतों के लिए मिडिल ईस्ट पर डिपेंड रहता है।
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यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया था। साथ ही 60 डॉलर की कैप लगाने जैसे कई प्रतिबंध भी लगा दिए थे। जिसके बाद भारत ने रूस से कीमतों पर बड़ी छूट पर तेल खरीदना शुरू किया और देखते ही देखते भारत में रूसी तेल की हिस्सेदारी काफी बढ़ गई। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने अक्टूबर में लगभग 4.7 मिलियन बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का इंपोर्ट किया, जो पिछले महीने से 8.4 फीसदी अधिक है। जिसकी वजह त्योहारी सीजन को बताया जा रहा है। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत का सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से ऑयल इंपोर्ट अक्टूबर में 10 महीने के हाई पर पहुंच गया, जो पिछले महीने से क्रमशः 53 फीसदी और 63 फीसदी अधिक है। आंकड़ों के मुताबिक, इससे भारत के पास ओपेक देशों की हिस्सेदारी अक्टूबर में 54 फीसदी तक बढ़ाने में मदद मिली, जो सितंबर में 50 फीसदी थी। दूसरी ओर भारत ने अक्टूबर में औसतन 1.56 मिलियन बैरल प्रति दिन रूसी तेल का इंपोर्ट किया, जो पिछले महीने से 1.2 फीसदी ज्यादा है। इजाफे के बाद भी भारत के अक्टूबर के इंपोर्ट में रूसी तेल की हिस्सेदारी सितंबर में 35 फीसदी से घटकर 33 फीसदी हो गई। भारत की सऊदी अरब और यूएई के साथ ये ऐसी ही तेल की खरीद आगे बढ़ती रहती है तो इससे रूस पर भारी भरक दबाव आ सकता है भारत को इससे बहुत बड़ा फायदा भी होगा क्योंकि इससे रुपये-रूबल ट्रेड में आ रही परेशानी से भी काफी हद तक निजात भी मिल जाएगा।