
चावल एक्सपोर्ट बैन से अफरातफरी, अमेरिका-यूरोप के NRIs में मची खलबली
बारिश की अनियमितता के चलते धान की फसल को काफी नुकसान हुआ है। धान की पैदावार करने वाले प्रमुख राज्य कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु में कम बारिश के चलते धान की पैदावर प्रभावित हुई है। देश में पिछले 12 महीनों में चावल की खुदरा कीमतों में 11.5 फीसदी का इजाफा हुआ है। जिसकी वजह से आने वाले दिनों में चावल की कमी और कीमतों में तेजी की आशंका को देखते हुए सरकार ने चावल के एक्सपोर्ट पर रोक लगाने का फैसला किया।

मोदी सरकार के इस एक कदम से पूरी दुनिया में खलबली मच गई है। कई देशों और वहां की जनता में इस कदम से घबराहट हो गई है। यहां तक के दुनिया का सबसे पावरफुल देश और वहां रहने वालों में टेंशन बहुत बढ़ गई है। America के सुपरमार्केट का ये नजारा है। जहां लोग अफरा-तफरी में चावल की खरीद कर रहे हैं। चारों ओर 'पैनिक बाइंग' की स्थिति देखी जा रही है। आप कहेंगे चावल के लिए, ऐसा क्यों? तो समझ लीजिए दुनिया में चावल उत्पादन के मामले में भारत दूसरा सबसे बड़ा देश है। इसके साथ ही भारत चावल का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर भी है। दरअसल चावल की बढ़ती कीमत पर नियंत्रण पाने के लिए केंद्र सरकार ने चावल के एक्सपोर्ट पर सख्त फैसला ले लिया है। सरकार की ओर से बासमती और उसना चावल को छोड़कर सभी कच्चे चावलों के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी गई है। जिसके चलते लोगों को डर है कि कहीं भारत से एक्सपोर्ट बंद होने के बाद चावल की कमी न हो जाए। इस डर में पूरे अमेरिका में लोगों को बड़ी मात्रा में चावल खरीदते हुए देखा जा रहा है। आइये इस चावल का पूरा गणित समझते हैं। आखिरी एक्सपोर्ट बैन की नौबत क्यों आई और भारत के फैसले से कौन से देश प्रभावित हो सकते हैं।
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हमारा देश भारत 140 से भी ज्यादा देशों को चावल बेचता है। भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड 1308 लाख टन चावल का निर्यात किया था। दुनिया में बांग्लादेश, अंगोला, कैमरून, बेनिन, जिबूती, गिनी, आइवरी कोस्ट, केन्या और नेपाल और इनके साथ ही ईरान, इराक और सऊदी अरब मुख्य तौर से भारत से प्रीमियम बासमती चावल खरीदते हैं। मोदी सरकार के इस फैसले इन देशों की सरकार और वहां के लोंगों की टेंशन बढ़ गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सिंगापुर और बैंकॉक के राइस ट्रेडर्स का कहना है कि भारत के चावल निर्यात पर बैन लगाने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव में उछाल आना तय है। हालांकि, एशियन मार्केट में भाव स्थिर लग रहे हैं, लेकिन, जल्द ही भाव ऊपर की ओर जाएंगे, क्योंकि सप्लाई कमजोर होगी।

अब ये भी जान लीजिए कि ये चावल एक्सपोर्ट बैन की नौबत क्यों आई? दरअसल बारिश की अनियमितता के चलते धान की फसल को काफी नुकसान हुआ है। धान की पैदावार करने वाले प्रमुख राज्य कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु में कम बारिश के चलते धान की पैदावर प्रभावित हुई है। देश में पिछले 12 महीनों में चावल की खुदरा कीमतों में 11.5 फीसदी का इजाफा हुआ है। जिसकी वजह से आने वाले दिनों में चावल की कमी और कीमतों में तेजी की आशंका को देखते हुए सरकार ने चावल के एक्सपोर्ट पर रोक लगाने का फैसला किया।
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सरकार ने देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25% है। वहीं दुनिया के कुल चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40% है। भारत के इस फैसले से अमेरिका समेत कई देशों पर असर पड़ा है। मोदी सरकार को सबसे पहले अपने नागरिकों की टेंशन हैं। चावल के बिना भारत में लोगों का खाना पूरा नहीं होता है। भारतीय कहीं भी हो, चावल खाए बिना रह नहीं पाते, लेकिन पिछले कुछ महीनों से चावल की कीमत में तेजी ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में सरकार ने इस तरह के कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा है।
