BCCI से सुलह की कोशिश में BYJU'S, ₹158 करोड़ बकाया पर दिवालिया कार्रवाई को चुनौती
NCLT की बेंगलुरु बेंच ने याचिका मंजूर करते हुए कहा कि BCCI और बायजूस के बीच ई-मेल ट्रेल से यह साफ है कि थिंक एंड लर्न ने डिफॉल्ट किया है। बेंच ने पंकज श्रीवास्तव को इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त किया है। उन्हें नियुक्ति की तारीख से 30 दिनों के भीतर क्रेडिटर्स की एक कमेटी बनानी होगी।

BYJU'S अपने खिलाफ दिवालिया कार्रवाई को चुनौती देगी। कंपनी के दो अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि इसी हफ्ते नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के फैसले के खिलाफ अपील की जाएगी। NCLT ने मंगलवार 16 जुलाई को बायजूस के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई शुरू करने के लिए BCCI की याचिका स्वीकार किया था। ये मामला भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी के लिए बायजूस और BCCI के बीच स्पॉन्सरशिप कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ा है। BCCI ने 158 करोड़ रुपए की बकाया राशि वसूलने के लिए बायजूस की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ पिछले साल याचिका दायर की थी। मामले की अगली सुनवाई 15 नवंबर को होनी है। हालांकि, इसके बाद बायजूस ने कहा कि वह BCCI के साथ सुलह करने की कोशिश कर रही है। मामले की अगली सुनवाई 15 नवंबर को होनी है।
बायजूस ने BCCI को नहीं दिए कॉन्टैक्ट के ₹158.9 करोड़
पिछले साल जनवरी में बायजूस ने BCCI को 143 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी भुनाने की अनुमति दी थी। वर्तमान में बायजूस पर बकाया राशि 158.9 करोड़ रुपए है। BCCI की ओर से 8 सितंबर 2023 को दायर किया गया मामला 28 नवंबर को सुनवाई के लिए आया था।
NCLT ने कहा- ई-मेल ट्रेल से बायजूस का डिफॉल्ट जाहिर
NCLT की बेंगलुरु बेंच ने याचिका मंजूर करते हुए कहा कि BCCI और बायजूस के बीच ई-मेल ट्रेल से यह साफ है कि थिंक एंड लर्न ने डिफॉल्ट किया है। बेंच ने पंकज श्रीवास्तव को इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त किया है। उन्हें नियुक्ति की तारीख से 30 दिनों के भीतर क्रेडिटर्स की एक कमेटी बनानी होगी।
पहली बार 21 अगस्त 2022 को डिफॉल्ट किया था
आदेश में दी गई जानकारी के अनुसार, थिंक एंड लर्न ने इंडियन क्रिकेट टीम के कई इंटरनेशनल टूर और सीरीज के बाद BCCI की ओर से भेजे किए गए कुल 12 इनवॉइस (बिल) पर डिफॉल्ट किया। BCCI ने बताया कि बायजूस ने पहली बार 21 अगस्त 2022 को डिफॉल्ट किया था।
कंपनी का कंट्रोल मौजूदा मैनेजमेंट से क्रेडिटर्स को मिलेगा
इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के मुताबिक, कंपनी का कंट्रोल अब मौजूदा मैनेजमेंट से क्रेडिटर्स (जिनका पैसा बकाया है) को मिलेगा। वहीं, कंपनी के कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) में रहने के दौरान बायजूस के कोई भी एसेट ट्रांसफर नहीं हो सकेंगे।