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BYJU'S के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही होगी शुरू, NCLT ने स्वीकार की याचिका, कंपनी ने नहीं चुकाए 158 करोड़ रुपए

आदेश में दी गई जानकारी के अनुसार, थिंक एंड लर्न ने इंडियन क्रिकेट टीम के कई इंटरनेशनल टूर और सीरीज के बाद BCCI की ओर से रेज किए गए कुल 12 इनवॉइस पर डिफॉल्ट किया। BCCI ने बताया कि बायजूस ने पहली बार 21 अगस्त 2022 को डिफॉल्ट किया था।

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NCLT ने BYJU'S के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू करने के लिए BCCI की याचिका स्वीकार कर ली है
NCLT ने BYJU'S के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू करने के लिए BCCI की याचिका स्वीकार कर ली है

नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की बेंगलुरु बेंच ने एडटेक कंपनी BYJU'S के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू करने के लिए BCCI की याचिका स्वीकार कर ली है। ये मामला भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी के लिए बायजूस और BCCI के बीच स्पॉन्सरशिप कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ा है। 158 करोड़ रुपए की बकाया राशि वसूलने के लिए BCCI ने ये याचिका बायजूस की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ पिछले साल दायर की थी। इस मामले की अगली सुनवाई 15 नवंबर को होनी है। बायजूस मामला सुलझाने के लिए BCCI से चर्चा कर रहा है। 

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ई-मेल ट्रेल से साफ है कि बायजूस ने डिफॉल्ट किया

बेंच ने कहा कि BCCI और बायजू के बीच ई-मेल ट्रेल से यह साफ है कि थिंक एंड लर्न ने डिफॉल्ट किया है। बेंच ने पंकज श्रीवास्तव को इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल नियुक्त किया है और उन्हें नियुक्ति की तारीख से 30 दिनों के भीतर क्रेडिटर्स की एक कमेटी बनाने का आदेश दिया। 

पहली बार 21 अगस्त 2022 को डिफॉल्ट किया था

आदेश में दी गई जानकारी के अनुसार, थिंक एंड लर्न ने इंडियन क्रिकेट टीम के कई इंटरनेशनल टूर और सीरीज के बाद BCCI की ओर से रेज किए गए कुल 12 इनवॉइस पर डिफॉल्ट किया। BCCI ने बताया कि बायजूस ने पहली बार 21 अगस्त 2022 को डिफॉल्ट किया था।

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बायजूस ने BCCI को नहीं दिए 158.9 करोड़ रुपए

पिछले साल जनवरी में बायजूस ने BCCI को 143 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी भुनाने की अनुमति दी थी, जिसके बाद वर्तमान में बायजूस पर बकाया राशि 158.9 करोड़ रुपए है। BCCI की ओर से 8 सितंबर 2023 को दायर किया गया मामला 28 नवंबर को सुनवाई के लिए आया था।

कंपनी का कंट्रोल मौजूदा मैनेजमेंट से क्रेडिटर्स को मिलेगा

इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के मुताबिक, कंपनी का कंट्रोल अब मौजूदा मैनेजमेंट से क्रेडिटर्स को दे दिया जाएगा। इसके अलावा, कंपनी के कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंस रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) में रहने के दौरान बायजूस के कोई भी एसेट ट्रांसफर नहीं किए जा सकते।

आदेश के खिलाफ NCLAT में अपील कर सकती है कंपनी

कंपनी के फाउंडर बायजू रवींद्रन या बोर्ड का कोई भी सदस्य इस आदेश के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है। ये भी बता दें कि पहली ही सुनवाई में NCLT ने बायजूस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।