
BT Bazaar Motivation: लाल धान की खेती से कैसे किसान बन रहे हैं मालामाल
सिमूणी गांव के वीरेन्द्र सिंह बताते हैं कि उनकी लाल धान की फसल तेज हवा या भारी बारिश के झोंकों में भी खड़ी रही और उपज लगभग दूसरे धान के बराबर ही रही। साथ ही इसकी पुआल पशुओं के चारे के लिए अपेक्षाकृत बेहतर मानी जा रही है।

Uttarakhand का Uttarkashi लाल धान की खेती के लिए प्रसिद्ध है। यहां यमुना घाटी के पुरेला में बड़े स्तर पर लाल धान की खेती करके किसान मुनाफा कमा रहे हैं। इसी को देखते हुए जिले की गंगा घाटी में भी किसान लाल धान की खेती करने लगे हैं। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला भी इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। वह खुद खेत में उतर कर ग्रामीणों के साथ जुताई व रोपाई करते दिखे। जिले की यमुना घाटी में परंपरागत रूप से बड़े पैमाने पर लाल धान (चरधान) की खेती की जाती है। इन इलाकों में लाल धान की सालाना उपज करीब 3000 टन है। पोषक तत्वों और औषधीय गुणों से भरपूर लाल चावल की रंगत और अनूठा स्वाद इसको आम चावलों की तुलना में खास और कीमती बनाता है। इसकी देश-विदेश में काफी मांग है। अगर आप भी लाल धान की खेती करना चाहते हैं तो ये आपके लिए शानदार मौका है।
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सिमूणी गांव के वीरेन्द्र सिंह बताते हैं कि उनकी लाल धान की फसल तेज हवा या भारी बारिश के झोंकों में भी खड़ी रही और उपज लगभग दूसरे धान के बराबर ही रही। साथ ही इसकी पुआल पशुओं के चारे के लिए अपेक्षाकृत बेहतर मानी जा रही है। ज्यादातार किसानों ने अपनी पहली फसल को बीज के लिए सुरक्षित रख दिया है। अगले साल गंगा घाटी में बड़े पैमाने पर लाल धान की फसल लहलहाएगी।
