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Union Budget: सभी सेक्टर को है बजट से बड़ी उम्मीद, यहां जानें क्या है दिग्गजों की राय

Budget 2025 Expectation: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण फरवरी, 2025 में केन्द्रीय बजट पेश करेंगी। इस बजट से कारोबारी जगत को काफी उम्मीदें हैं। आइए देखें उद्योग जगत के दिग्गजों की इस बजट के बारे में क्या राय/सुझाव और आशाएं हैं।

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NRIs look to Budget 2025 for tax simplification and growth-focused reforms. (Photo: GettyImages)

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण फरवरी, 2025 में केन्द्रीय बजट पेश करेंगी। यह उनका आठवां बजट होगा, जिसमें छह वार्षिक बजट और दो अंतरिम बजट शामिल हैं। नया बजट बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा पूर्ण बजट होगा। इस बजट से कारोबारी जगत को काफी उम्मीदें हैं। आइए देखें उद्योग जगत के दिग्गजों की इस बजट के बारे में क्या राय/सुझाव और आशाएं हैं।

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क्या है बजट से उम्मीदें

अर्पित जैन, संयुक्त एमडी, अरिहंत कैपिटल के अनुसार हम इस बजट को न्यूनतम अपेक्षाओं के साथ देखते हैं, लेकिन ऐसे उपाय देखने की उम्मीद करते हैं कि वर्तमान में जो तत्व करोबार में अवरोध बने हुए हैं उन्हें दूर कर व्यापार करने में आसानी का माहौल बना सके, जो वर्तमान में विकास को प्रभावित कर रहा है। 

इसके आगे वह कहते हैं कि हम उम्मीद करते हैं कि यह अगले दो वर्षों में प्रमुख चुनावों को देखते हुए एक ग्रामीण अधारित कृषि-समर्थक बजट होगा। सरकारी नीतियों, जैसे कि पानी और इन्फ्राट्रक्चर के लिए उच्च आवंटन की उम्मीद है। निर्यातकों के लिए मामूली समर्थन भी हो सकता है, लेकिन कुल मिलाकर, उम्मीदें मामूली हैं।

बजट 2025 में कर बचत के अवसरों को बढ़ाकर निवेश को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने की आशा की जाती है। 80सी की सीमा को 1.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए करने से पीपीएफ, ईएलएसएस और अन्य कर बचत साधनों में निवेश को काफी बढ़ावा मिल सकता है, जिससे लांग टर्म प्लान को बढ़ावा मिलेगा। इसी तरह, एनपीएस योगदान के लिए 80सीसीडी(1बी) कटौती बढ़ाने से अधिक व्यक्तियों को सेवानिवृत्ति आधारित साधनों में निवेश करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। 

चक्रवर्ती वी., को-फाउण्डर और एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, प्राइम वेल्थ फिनसर्व प्राइवेट लिमिटेड

 

डॉ. जय गोयल, वरिष्ठ नेत्र सर्जन और निदेशक, सूर्या आई हॉस्पिटल के मुताबिक केन्द्रीय बजट 2025 भारत के स्वास्थ्य सेवा ढांचे के एक महत्वपूर्ण कम्पोनेंट के रूप में आई केयर को प्राथमिकता देने का एक शानदार अवसर है। आगामी बजट में चिकित्सा उपकरणों पर करों को कम करने और डायबिटिक रेटिनोपैथी और ग्लूकोमा जैसी बीमारियों के लिए एडवांस प्रोसिजर्स के लिए सब्सिडी बढ़ाने पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।

इसके आगे वह कहते हैं कि हम आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के तहत आई केयर (नेत्र देखभाल) के लिए बीमा कवरेज का विस्तार करने की भी उम्मीद करते हैं ताकि महंगी आई केयर सर्जरी सभी के लिए सुलभ और आसान हो सके।

अजीत कांकरिया, निदेशक, सुमीत होलसेल ने कहा कि  भारत में रिटेल मार्केट तेजी से बढ़ रहा है, वर्ष 2019 और 2030 के बीच 9 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर का अनुमान है। वर्ष 2019 में इसके 779 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2026 तक 1.4 ट्रिलियन डॉलर और 2030 तक लगभग 1.8 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था में रिटेल सेक्टर के योगदान को दर्शाता है। यदि नेशनल रिटेल ट्रेड पॉलिसी जल्द ही लागू की जाती है, तो यह क्षेत्र काफी आगे बढ़ सकता है। 

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इसके आगे अजीत कांकरिया कहते हैं कि आगामी बजट में डिजिटल इण्डिया जैसे कार्यक्रमों का समर्थन जारी रखना चाहिए, तथा ऐसी नीतियों की स्थापना पर जोर देना चाहिए जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दुकानों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करें। इसके अलावा भारत में कच्चे माल की घरेलू कीमतें बाहर की तुलना में कहीं अधिक हैं, जबकि बांग्लादेश और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धियों के पास इन सामग्रियों तक अप्रतिबंधित पहुंच है। भारत ने यार्न और मैन मेड फाइबर पर क्वालिटी कन्ट्रोल के आदेश लागू किए हैं, जो आयात के लिए गैर टैरिफ बाधा के रूप में कार्य करके इन कच्चे माल के फ्रीफ्लो में बाधा डालते हैं। 

ग्रेट वैल्यू रियल्टी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री मनोज अग्रवाल के अनुसार बजट 2025 रियल एस्टेट क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखता है। सेक्शन 24(B) के तहत होम लोन ब्याज पर आयकर कटौती सीमा बढ़ाकर सरकार होमबायर्स को बहुत आवश्यक राहत प्रदान कर सकती है। साथ ही, ग्रीन बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स के लिए प्रोत्साहन देने से पर्यावरण के अनुकूल विकास प्रथाओं को बढ़ावा मिलेगा। निर्माणाधीन संपत्तियों के लिए जीएसटी दरों को सरल बनाना और किफायती आवास व किराये की योजनाओं के लिए बेहतर कर लाभ प्रदान करना शहरी आवास को जनता के लिए अधिक सुलभ बनाने में गेम चेंजर साबित हो सकते हैं।

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ध्वनि मेहता, सीईओ, ऑपरच्यूनएचआर ने कहा कि  2025-2026 के बजट के करीब आने के साथ ही, हम वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अनुरोध करते हैं कि वे इस नियम को में निर्धारित अवधि को आगे बढ़ाएं जिसमें कि व्यवसायों को एमएसएमई को उनके उत्पादों और सेवाओं की खरीद के 45 दिनों के भीतर भुगतान करना होता है। देश में एमएसएमई को होने वाले विलंबित भुगतानों को एड्रेस करने के अलावा, यह छोटे और मध्यम आकार की फर्मों के लिए कैश फ्लो को सुनिश्चित करेगा। हम इस क्षेत्र के लिए टेक्स प्रोसेस को सरल बनाने की भी उम्मीद करते हैं। 

कृष्ण मिश्रा, सीईओ, एफपीएसबी इंडिया  के मुताबिक जैसे ही हम केंद्रीय बजट 2025-26 की ओर बढ़ रहे हैं, यह जरूरी है कि हम विभिन्न आय वर्गों और जीवन के विभिन्न चरणों में लोगों की बदलती वित्तीय जरूरतों को समझें। सबसे पहले, मध्यम वर्ग के लोगों के लिए टैक्स में राहत देना बेहद जरूरी है। ₹15 लाख तक की आय को टैक्स फ्री करने का कदम लोगों के खर्चे और आय बढ़ाने और वित्तीय दबाव कम करने में महत्वपूर्ण होगा। इसके अलावा, 30% टैक्स स्लैब, जो अक्सर उच्च आय वर्ग के लोगों पर भारी पड़ता है, उसमे भी सुधार किया जाना चाहिए ताकि यह उनके लिए भी फेयर हो सके।  
 

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