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टाटा ट्रस्ट विवाद: मेहली मिस्त्री को हटाने के पक्ष में बहुमत का वोट - रिपोर्ट

मेहली मिस्त्री, जिन्हें कभी रतन टाटा के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक माना जाता था, अब ट्रस्ट्स से बाहर किए जाने की स्थिति में हैं।रिपोर्ट के अनुसार, चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी विजय सिंह ने मिस्त्री के कार्यकाल के रिन्यू करने की मंजूरी नहीं दी, जिससे उनका कार्यकाल समाप्त हो सकता है। तीन ट्रस्टीज के विरोध में वोट करने से यह निर्णय बहुमत में पास हो गया है।

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Tata Trusts tussle: टाटा ट्रस्ट (Tata Trusts) के अंदर चल रहा सत्ता का संघर्ष अब एक नाटकीय मोड़ पर पहुंच गया है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश ट्रस्टीज ने मेहली मिस्त्री (Mehli Mistry) को ट्रस्टी पद से हटाने के पक्ष में वोट किया है। यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब ट्रस्ट्स के अंदर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं और लीडरशिप को लेकर खींचतान जारी है।

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कौन हैं मेहली मिस्त्री और क्यों बढ़ा विवाद?

मेहली मिस्त्री, जिन्हें कभी रतन टाटा के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक माना जाता था, अब ट्रस्ट्स से बाहर किए जाने की स्थिति में हैं।रिपोर्ट के अनुसार, चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी विजय सिंह ने मिस्त्री के कार्यकाल के रिन्यू करने की मंजूरी नहीं दी, जिससे उनका कार्यकाल समाप्त हो सकता है। तीन ट्रस्टीज के विरोध में वोट करने से यह निर्णय बहुमत में पास हो गया है।

दो प्रमुख ट्रस्ट्स में बनी सहमति

Sir Dorabji Tata Trust (SDTT) और Sir Ratan Tata Trust (SRTT), जो मिलकर Tata Sons में 51% हिस्सेदारी रखते हैं, दोनों में मेहली मिस्त्री के खिलाफ बहुमत बन गया है।

SDTT के ट्रस्टीज: नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन, विजय सिंह, मेहली मिस्त्री, प्रमीत झावेरी और दारियस खंबाटा।

SRTT के ट्रस्टीज: नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन, विजय सिंह, जिमी टाटा, जहांगीर एचसी जहांगीर, मेहली मिस्त्री और दारियस खंबाटा।

रिपोर्ट के मुताबिक, SRTT में जिमी टाटा आम तौर पर मीटिंग में हिस्सा नहीं लेते, जिससे वहां भी बहुमत मिस्त्री के खिलाफ जाता है।
हालांकि दारियस खंबाटा, प्रमीत झावेरी और जहांगीर ने मिस्त्री के पक्ष में वोट किया है, लेकिन फैसला अब लगभग तय माना जा रहा है।

मिस्त्री की ‘यूनानिमस अप्रूवल’ शर्त बनी विवाद की जड़

पिछले हफ्ते मेहली मिस्त्री ने ईमेल के जरिए सभी ट्रस्टीज को प्रस्ताव भेजा था कि भविष्य में किसी भी ट्रस्टी के कार्यकाल का रिन्यू सर्वसम्मति से ही होनी चाहिए।

उन्होंने लिखा था कि अगर किसी ट्रस्टी के कार्यकाल के रिन्यू के प्रस्ताव को सर्वसम्मति नहीं मिलती, तो वह खुद ही उस प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेंगे। यह नियम सबसे पहले मिस्त्री खुद पर ही लागू हुआ, क्योंकि उनका कार्यकाल इसी महीने समाप्त हो रहा था।

Tata Trusts में बढ़ती अंदरूनी तनातनी

रतन टाटा के निधन के बाद ट्रस्ट्स ने नीति बनाई थी कि ट्रस्टीज की पुनर्नियुक्ति जीवनभर के लिए होगी, बशर्ते सर्वसम्मत मंजूरी मिल जाए।
जनवरी 2025 में नोएल टाटा के कार्यकाल को जीवनभर के लिए बढ़ाया गया था, जिससे यह परंपरा स्थापित हुई।

हालांकि पिछले महीने से ही ट्रस्ट्स में तनाव बढ़ा हुआ था। सितंबर में, दारियस खंबाटा, मेहली मिस्त्री, प्रमीत झावेरी, और जहांगीर एचसी जहांगीर ने विजय सिंह को Tata Sons बोर्ड से हटाने के पक्ष में वोट किया था।

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इसके बाद उन्होंने मेहली मिस्त्री को बोर्ड में शामिल करने का प्रस्ताव रखा, जिसे नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह ने रोक दिया।

अब, अधिकांश ट्रस्टीज द्वारा मिस्त्री के कार्यकाल को रिन्यू करने के खिलाफ वोट से यह स्पष्ट है कि Tata Trusts के अंदर सत्ता संतुलन में बड़ा बदलाव आने वाला है।