scorecardresearch

जहां से नील आर्मस्ट्रांग की यात्रा शुरू हुई थी, वहीं से शुभांशु ने रचा इतिहास; कहा - मेरे कंधे पर तिरंगा है...

शुभांशु शुक्ला ने कहा, "नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियो। What a ride... 41 साल बाद हम एक बार फिर अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं।... पढ़िए पूरी डिटेल

Advertisement

25 जून 2025 भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने आज अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर के प्रतिष्ठित लॉन्च पैड 39A से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए उड़ान भरा। यह वही ऐतिहासिक स्थान है, जहां से 1969 में नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा की ओर कदम बढ़ाया था।

advertisement

यह लॉन्च भारतीय समयानुसार ठीक दोपहर 12:01 बजे हुआ। स्पेसक्राफ्ट से भेजे गए अपने पहले संदेश में शुभांशु शुक्ला ने कहा,
"नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियो। What a ride... 41 साल बाद हम एक बार फिर अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं। और यह वाकई एक अद्भुत अनुभव रहा। इस वक्त हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। मेरे कंधे पर तिरंगा है, जो मुझे यह एहसास दिला रहा है कि मैं अकेला नहीं हूं - मैं आप सभी के साथ हूं।"

फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड 39A ने अब तक अपोलो मिशन, स्कायलैब, स्पेस शटल प्रोग्राम और अब स्पेसएक्स के माध्यम से दर्जनों ऐतिहासिक उड़ानों का गवाह बना है। यही पैड अब भारत के पहले निजी अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने का गवाह बना। 

Ax-4 मिशन में शुभांशु, पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन के साथ पायलट की भूमिका में होंगे। पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्रियों के साथ वे स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से 28 घंटे की यात्रा के बाद ISS पर डॉकिंग करेंगे। इस दौरान शुभांशु अंतरिक्ष में भारत की वैज्ञानिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतिनिधित्व करेंगे।

ISS पर 14 दिन के दौरान वे 7 ISRO और 5 NASA के वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लेंगे जिनमें अंतरिक्ष में पौधों की खेती, मानव शरीर पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव, और योग जैसे अभ्यास शामिल हैं। शुभांशु अपने साथ मिठाइयां और एक खास भारतीय खिलौना हंस ‘जॉय’ जैसी भारतीय संस्कृति की झलक भी साथ ले जा रहे हैं।

लॉन्च पैड 39A, जिसे स्पेसएक्स ने आधुनिक मिशनों के अनुरूप ढाला है, आज इतिहास और तकनीक का अनूठा संगम बन चुका है। भारत के लिए यह सिर्फ एक लॉन्च नहीं, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में अपनी वैज्ञानिक और तकनीकी हैसियत दर्ज कराने का प्रतीक है।