RBI MPC Meet 2025: बुधवार को मिलेगी खुशखबरी? आज से शुरू हुई बड़ी बैठक
RBI MPC Meet 2025: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI ) की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक शुरू हो गई है। इस बैठक में कई जरूरी फैसले लिए जाएंगे। बैठक के फैसलों का एलान 9 अप्रैल 2025 (बुधवार) को होगा।

भारतीय रिजर्व बैंक की (Reserve Bank Of India) हर दो महीने में मोद्रिक समीक्षा बैठक (RBI MPC Meet) करती है। इस बैठक में महंगाई को कंट्रोल करने के लिए बड़े फैसले लिए जाते हैं। इन फैसलों में सबसे ज्यादा फोकस रेपो रेट (Repo Rate) पर रहता है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली बैठक (RBI MPC Meet April 2025) आज से शुरू हो गई है। इस बैठक के फैसले का एलान 9 अप्रैल 2025 (बुधवार) को होगा।
आरबीआई एमपीसी बैठक की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करते हैं। वर्तमान में आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा (RBI Governer Sanjay Malhotra ) हैं। यह इनकी दूसरी एमपीसी बैठक है। पिछली बैठक फरवरी में हुई थी। इस बैठक में रेपो रेट में कटोती का फैसला लिया गया था। इस बार भी बैठक में भी लोगों को उम्मीद है कि रेपो रेट में एक बार फिर से 0.25 फीसदी की कटौती हो सकती है। वर्तमान में रेपो रेट 6.25 फीसदी था।
आम जनता पर रेपो रेट का असर
रेपो रेट में कटौती या बढ़ोतरी का सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ता है। जी हां, रेपो रेट में कटौती होती है तो लोन (Loan) की ईएमआई (EMI) भी घट जाती है। वहीं, रेपो रेट में इजाफा होने पर ईएमआई बढ़ जाती है। ऐसे में लोनधारक चाहता है कि रेपो रेट में कटौती की जाए।
क्यों जरूरी है एमपीसी बैठक? (Why MPC Meet is Important?)
एमपीसी बैठक में मनी-फ्लो कंट्रोल के लिए फैसले लिए जाते हैं। मनी-कंट्रोल को मेंटेन करने के लिए ही रेपो रेट में कटौती या इजाफा किया जाता है। मनी-फ्लो के अलावा महंगाई को कंट्रोल करने के लिए भी रेपो रेट में बदलाव किया जाता है। दरअसल, मार्केट में जब भी किसी चीज की डिमांड बढ़ती है तो सप्लाई पर असर पड़ता है। ऐसे में सप्लाई को बैलेंस करने के लिए आरबीआई एमपीसी बैठक करता है।
रेपो रेट क्या है? (What is Repo Rate)
रेपो रेट एक तरह का ब्याज दर ही है जो सेंट्रल बैंक बाकी सभी बैंक पर लगाता है। दरअसल, जब कोई बैंक आरबीआई से कर्ज लेता है तो उसे ब्याज दर के हिसाब से कर्ज चुकाना पड़ता है। इसी वजह से रेपो रेट बढ़ जाने पर बैंक ईएमआई भी बड़ा देते हैं क्योंकि उनको भी आरबीआई को ज्यादा ब्याज देना होता है।
आपको बता दें कि मनी-फ्लो को कम करने के लिए रेपो रेट को बढ़ाया जाता है। वहीं, मनी-फ्लो को कम करने के लिए रेपो रेट में कटौती की जाती है।