Car Discount Offer: गाड़ियों पर बंपर डिस्काउंट, ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा!
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में छाई सुस्ती के बीच गाड़ियों पर अब तक के सबसे ज्यादा डिस्काउंट्स दिए जा रहे हैं। ऑटोमोबाइल डीलर्स के मुताबिक, नवंबर में पैसेंजर व्हीकल्स की सेल्स में गिरावट आने के बाद दिसंबर में कारों पर मिलने वाले डिस्काउंट्स रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं।

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में छाई सुस्ती के बीच गाड़ियों पर अब तक के सबसे ज्यादा डिस्काउंट्स दिए जा रहे हैं। ऑटोमोबाइल डीलर्स के मुताबिक, नवंबर में पैसेंजर व्हीकल्स की सेल्स में गिरावट आने के बाद दिसंबर में कारों पर मिलने वाले डिस्काउंट्स रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं।
दरअसल, अक्टूबर के फेस्टिव सीजन के बाद नवंबर में कारों की रिटेल सेल्स में सालाना आधार पर करीब 14 फीसदी की कमी आई है। इस वजह से गाड़ियों की अनसोल्ड इन्वेंट्री 65 दिनों के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई है। फेस्टिव सीजन के दौरान तो वैसे भी कारों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन इसके बाद बिक्री का ये जोश कमजोर बायर्स सेंटीमेंट्स के बीच ठंडा पड़ गया जिससे ऑटो डीलर्स को बड़ा झटका लगा है। सेल्स कम होने की वजह से गाड़ियों का स्टॉक शोरूम और डीलर्स के गोदामों में जमा हो रहा है। बिना बिकी गाड़ियों की बढ़ती संख्या को कम करने के लिए ऑटो कंपनियां और डीलर्स गाड़ियों पर भारी डिस्काउंट्स दे रहे हैं।
इस समय छोटी कारों पर 50 हजार रुपए तक की छूट मिल रही है। जबकि SUV पर 1 लाख रुपए तक का डिस्काउंट दिया जा रहा है। अधिकतम डिस्काउंट तो 3.7 लाख रुपए तक पहुंच गए हैं जो टाटा की सफारी और हैरियर पर मिल रहे हैं। फ्री इंश्योरेंस और मेंटेनेंस पैकेज भी ग्राहको को ऑफर किया जा रहा है।
जानकारों के मुताबिक, ये स्थिति ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए चिंता का सबब बन गई है। 2024 के शुरुआती महीनों में जहां पैसेंजर व्हीकल्स की सेल्स में सुधार देखा गया था, वहीं साल के आखिर तक यानी नवंबर में आई गिरावट ने इंडस्ट्री के लिए नई चुनौतियां पैदा कर दी हैं। इस साल अक्टूबर में कारों की रिटेल बिक्री 4.83 लाख यूनिट्स रही थी। जो नवंबर में घटकर 3.22 लाख यूनिट्स रह गई जो मासिक आधार पर 33 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
इसके अलावा, आर्थिक अनिश्चितता और बढ़ती ब्याज दरें भी गाड़ियों की सेल्स पर असर डाल रही हैं। ग्राहकों की खरीदारी क्षमता कम हो गई है जिसकी वजह से वो गाड़ियां खरीदने का फैसला टाल रहे हैं। डीलर्स और कंपनियों को चिंता है कि प्रोडक्शन के मुकाबले सेल्स में गिरावट आने से अनसोल्ड इन्वेंट्री बढ़ती चली जाएगी। पुरानी गाड़ियों की इन्वेंट्री बढ़ने से नए मॉडल्स की सेल्स पर भी असर होगा।
हालांकि, इस बीच डिस्काउंट्स और ऑफर्स का फायदा उठाकर कुछ ग्राहक जरूर नई गाड़ियां खरीद रहे हैं। लेकिन इन ऑफर्स के बावजूद सेल्स उस स्तर पर नहीं पहुंच पाई हैं, जिसकी उम्मीद थी। ऑटो इंडस्ट्री के इस क्राइसिस ने संकेत दिया है कि कंपनियों और डीलर्स को नई स्ट्रैटेजीज अपनानी होंगी। अगर सेल्स में सुधार नहीं हुआ, तो यह समस्या इंडस्ट्री के लिए और बड़ी चुनौती बन सकती है।