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दुनिया के किन देशों पर सबसे ज्यादा कर्ज? नाम जानकर चौंक जाएंगे

दुनिया पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक ग्लोबल कर्ज 102 ट्रिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है। दुनिया के कई बड़े देश अपनी अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए भारी कर्ज के भरोसे हैं। IMF और US ट्रेजरी के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा कर्ज अमेरिका पर है।

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दुनिया पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक ग्लोबल कर्ज 102 ट्रिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है। दुनिया के कई बड़े देश अपनी अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए भारी कर्ज के भरोसे हैं। IMF और US ट्रेजरी के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा कर्ज अमेरिका पर है। 

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दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की फेडरल गवर्नमेंट का कर्ज 36 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है जो उसकी जीडीपी का करीब 125 फीसदी है। यानी दुनिया के कुल कर्ज का 34.6 परसेंट अकेले अमेरिका पर है, जबकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन की 14.69 ट्रिलियन डॉलर कर्ज के साथ वैश्विक कर्ज में 16.1 फीसदी चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी है लेकिन पिछले कुछ समय से उसे कई मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है।

जापान पर 10.79 ट्रिलियन डॉलर के साथ  ग्लोबल डेट के 10 परसेंट के बराबर कर्ज है। यानी दुनिया की टॉप-3 अर्थव्यवस्थाएं कर्ज के मामले में भी पहले 3 पायदान पर मौजूद हैं। इसके बाद नंबर आता है।

ब्रिटेन का जिसका कुल कर्ज 3.46 ट्रिलियन डॉलर है , जबकि फ्रांस का कर्ज 3.35 ट्रिलियन डॉलर और इटली का कर्ज 3.14 ट्रिलियन डॉलर है। भारत, जो दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इस लिस्ट में सातवें नंबर पर है। 

भारत पर पिछले साल  3.057 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज था जो  ग्लोबल डेट के 3.2 फीसदी के बराबर है। भारत का कर्ज जर्मनी, कनाडा, ब्राजील और रूस से ज्यादा  है, जर्मनी पर वैश्विक कर्ज के 2.9 परसेंट के बराबर  कनाडा पर 2.3 फीसदी  ब्राजील का कर्ज  ग्लोबल डेट के 1.9 फीसदी के बराबर है।

दुनिया में सबसे कम कर्ज इराक, चिली, चेक गणराज्य, वियतनाम, हंगरी, यूएई, बांग्लादेश, यूक्रेन, ताइवान, रोमानिया, नॉर्वे, स्वीडन, कोलंबिया, आयरलैंड और फिनलैंड पर है। भारत के पड़ोसी देशों की बात करें तो पाकिस्तान पर वैश्विक कर्ज का केवल 0.3 फीसदी है। बांग्लादेश पर 0.2 परसेंट है। 

बड़े देशों में कर्ज का बढ़ना चिंता का विषय है क्योंकि इसका असर केवल उनकी अर्थव्यवस्था पर ही नहीं बल्कि पूरे ग्लोबल मार्केट पर पड़ता है। अगर ये कर्ज इसी रफ्तार से बढ़ता रहा  तो 
वैश्विक आर्थिक संकट और गहरा सकता है। ऐसे में देशों को अपनी आर्थिक नीतियों पर ध्यान देना होगा जिससे आने वाले समय में कर्ज का ये  बोझ नियंत्रण में रखा जा सके।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और इसे निवेश सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। निवेश निर्णय लेने से पहले एक वित्तीय सलाहकार से परामर्श करने की सिफारिश की जाती है।

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Disclaimer: ये आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है और इसे किसी भी तरह से इंवेस्टमेंट सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। BT Bazaar अपने पाठकों और दर्शकों को पैसों से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकारों से सलाह लेने का सुझाव देता है।