
4 जून को क्या आप शेयर बाजार की गिरावट का फायदा उठा पाएं, क्या हो गई दिक्कत?
4 जून को आपको मामूल है कि लोकसभा चुनावों के नतीजे के बीच शेयर मार्केट में भारी गिरावट देखने को मिली। बाजार क्रैश हो गया है। निफ्टी 5.93% तक टूट गया। अब यहां एक निवेशक तो वो थे जो भारी नुकसान झेल रहे थे और एक वो थे जो इस गिरावट में खरीदी का मौका ढूंढ रहे थे।

4 जून का दिन तो कोई भी निवेशक नहीं भूल सकता है। चाहे वो शेयर मार्केट से जुड़ा निवेशक हो या फिर म्यूचुअल फंड्स से जुड़ा हुआ है। जी हां, पिछले दो दिनों में कई निवेशकों ने सोशल मीडिया पर अपनी शिकायतें व्यक्त की हैं और यहां तक कि निवेश प्लेटफार्मों से मुआवजे की भी मांग की है। 4 जून को म्यूचुअल फंड्स निवेशकों के साथ आखिर हुआ है जो लगातार वायरल हो रहा है? यहां तक की BSE को भी यहां पर क्लैरिटी देने पड़ गई है।
सबसे पहले आपको कुछ ट्वीट्स दिखाते हैं, जो सोशल मीडिया में काफी वायरल हैं.... I have placed 3 order of Mutual funds on 4 june before 1 pm , so I should I receive the nav of same day, but I got nav of 5 June... ऐसी तमाम तरह के ट्वीट्स आ रहे हैं। जिसमें न सिर्फ Zeroda बल्कि Groww और Angle One के नाम पर भी शिकायते हैं।

अब यहां समझने की जरूरत है कि आखिर हुआ क्या है? 4 जून को आपको मामूल है कि लोकसभा चुनावों के नतीजे के बीच शेयर मार्केट में भारी गिरावट देखने को मिली। बाजार क्रैश हो गया है। निफ्टी 5.93% तक टूट गया। अब यहां एक निवेशक तो वो थे जो भारी नुकसान झेल रहे थे और एक वो थे जो इस गिरावट में खरीदी का मौका ढूंढ रहे थे। ऐसे में ही निवेशक म्यूचुअल फंड्स के भी थे। जिन्होंने सोचा कि इस मौका भुनाया जाए तो NAV यानि नेट एसेट वैल्यू का ट्रांजैक्शन किया जाए। अब NAV क्या होती है आपको ये भी बता देते हैं। म्यूचुअल फंड की किसी भी प्लान के प्रदर्शन को Net Asset Value के जरिए दर्शाया जाता है और आसान शब्दों में कहें तो एनएवी योजना के जरिए खरीदे गए शेयरों का मार्केट वैल्यू होता है। जैसे शेयर की वैल्यू, वैसे ही शेयरों में NAV की वैल्यू। अब हुआ क्या? दरअसल जिन भी निवेशकों ने 4 जून को बाजार में बिकवाली के बीच म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश किया। उनके पास जो NAV आई वो अगले दिन यानि 5 जून की आई। भले ही निवेशकों ने दोपहर 2 बजे की समय सीमा से बहुत पहले अपने ट्रांजैक्शन को एग्जीक्यूट किया हों। इसक मतलब ये हुआ कि जो 4 जून को जिन म्यूचुअल फंड्स में खरीदारी की, 5 जून वाली NAV की यूनिट्स मिली। 4 जून तो सस्ता माल था, वो 5 जून बाजार भागा तो महंगा हो गया यानि 3 से 4 प्रतिशत ज्यादा महंगा खरीदना पड़ा।
अब समझते हैं कि पेमेंट सिस्टम काम कैसे करते हैं। म्यूचुअल फंड में यूनिट्स एलोकेट उस समय के आधार पर किया जाता है जब पैसा AMC यानि Asset Management Company के खाते में पहुंचता है। ऐसा होने के लिए, पैसे का ट्रेल कई बैंकिंग चैनलों से होकर गुजरता है, जिसमें sponsor bank, nodal bank और AMC के खाते शामिल है।

अब यहां ऐसा भी नहीं की सबके साथ ऐसा हुआ है। बहुत सारे निवेशकों को उसी दिन की यानि 4 दिन की NAV वैल्यू आई है। यहां पर Zerodha के MF निवेश प्लेटफ़ॉर्म Coin ने कहा कि उसके एक पेमेंट एग्रीगेटर के साथ समस्या के कारण लेनदेन में देरी हुई। यहां पर Groww के spokesperson का भी बयान आया है। कुछ म्यूचुअल फंड ग्राहकों को बैंकों, एक्सचेंज और एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के बीच पैसे की मूवमेंट में देरी के कारण यूनिट आवंटन में देरी का सामना करना पड़ा। वहीं BSE spokesman का कहना है कि 4 जून को एक्सचेंज में कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं हुई। हालांकि, कुछ ग्राहकों के लिए UPI चैनल से भुगतान प्राप्त करने में कुछ देरी हुई।