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Taxation: फिनटेक सेक्टर पर डिजिटल टैक्सेशन का असर: जानें हर पहलू

सरकार ने टैक्स के नियमों को काफी बदल दिया है। आम जनता के साथ इसका असर फिनटेक सेक्टर भी पड़ा है। आर्टिकल में फिनटेक सेक्टर पर टैक्सेशन के प्रभाव के बारे में जानते हैं।

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भारत का फिनटेक सेक्टर (Fintech Sector) तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन डिजिटल टैक्सेशन (Digital Taxation) के नए नियमों ने इसमें बड़े बदलाव किए हैं। डिजिटल इकॉनमी को मजबूत बनाने के लिए सरकार ने नए टैक्स कानून लागू किए हैं, जो कंपनियों और ग्राहकों, दोनों पर असर डाल रहे हैं। जहां कुछ चीजें आसान हुई हैं, वहीं कई नई चुनौतियां भी आई हैं।

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फिनटेक सेक्टर में क्या बदलाव आया है?

फिनटेक सेक्टर, फाइनेंस और टेक्नोलॉजी का मेल है, जो (Digital Payments), ऑनलाइन लोन, इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट जैसी सर्विसेज़ देता है। सरकार ने जीएसटी (GST), टीडीएस (TDS) और टसीएस (TCS) जैसे टैक्स रिफॉर्म्स से इसे और पारदर्शी बनाने की कोशिश की है, लेकिन इसका असर कंपनियों के ऑपरेशन्स पर पड़ा है। नीचे इन बदलावों के बारे में जानते हैं-

GST और डिजिटल पेमेंट्स

जीएसटी लागू होने से फिनटेक कंपनियों के लिए टैक्स कंप्लायंस और भी स्ट्रिक्ट हो गया है। GenZCFO के संस्थापक CA Manish Mishra ने कहा कि स्मॉल स्टार्टअप्स के लिए यह फॉलो करना मुश्किल हो सकता है, जिससे उनका ग्रोथ स्लो हो सकता है।

TDS और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन

अब कई डिजिटल ट्रांजेक्शन पर TDS कटता है। जैसे कि अगर कोई प्लेटफॉर्म ऑनलाइन लोन देता है तो ब्याज पर टैक्स काटना अनिवार्य है। इससे फिनटेक कंपनियों की फाइनेंशियल प्लानिंग पर असर पड़ रहा है और ग्राहकों के लिए सर्विस कॉस्ट बढ़ सकती है।

क्रिप्टो और डिजिटल एसेट्स पर टैक्स

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) और डिजिटल एसेट्स पर 30% टैक्स और 1% (TDS) लगाया गया है। इससे इन्वेस्टर्स को सतर्क रहना पड़ेगा क्योंकि ये टैक्स सीधा उनके प्रॉफिट पर असर डालते हैं। CA Manish Mishra ने बताया कि इससे कई फिनटेक कंपनियों को इन नियमों के कारण अपने बिजनेस मॉडल में भी बदलाव करने पड़े हैं।

आगे की राह

डिजिटल टैक्सेशन से पारदर्शिता और सरकारी राजस्व बढ़ा है, लेकिन संतुलन ज़रूरी है। टैक्स नियमों को आसान बनाने और फिनटेक कंपनियों को कुछ राहत देने से यह सेक्टर और तेजी से ग्रोथ कर सकता है। इससे डिजिटल फाइनेंस लोगों के लिए और सुलभ और सुविधाजनक बनेगा।