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Ganesh Chaturthi: विघ्नहर्ता भगवान गणेश से सीखें निवेश और बचत के मंत्र

पर्याप्त फाइनेंस न होना कई लोगों के सामने आने वाली 'विघ्‍न' या बाधाओं में से प्रमुख है। हमें यह समझना चाहिए कि वित्तीय बाधाएं अक्सर वित्तीय अनुशासन का पालन न करने का परिणाम होती हैं। हमें समझदारी से निवेश का विकल्प चुनकर इन वित्तीय बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है।

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लेखक : सुरेश सोनी, सीईओ, बड़ौदा बीएनपी पारिबा एएमसी

जब हम विघ्नहर्ता भगवान गणेश के सम्मान में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाते हैं, तो हमें जीवन के सभी पहलुओं में एक शुभ शुरुआत करने का महत्व समझ में आता है। जिस तरह से भगवान गणेश हर बाधाओं को दूर करते हैं और सफलता का मार्ग प्रशस्त करते हैं, हम भी समझदारी से निवेश और बचत का निर्णय लेकर वित्तीय रूप से एक सुरक्षित भविष्य की प्लानिंग कर सकते हैं - जिसकी शुरुआत म्यूचुअल फंड में सिस्‍टमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान (SIP) से होती है।

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सिस्‍टमैटिक इन्वेस्टिंग की ताकत : एक शुभ शुरुआत

भगवान गणेश हिंदू परंपरा में एक विशेष स्थान रखते हैं। भगवान गणेश ज्ञान और दूरदर्शिता के प्रतीक हैं और हमारे जीवन से सभी ‘विघ्‍नों’ या बाधाओं को दूर करने की उनकी क्षमता के लिए उनकी पूजा की जाती है।

पर्याप्त फाइनेंस न होना कई लोगों के सामने आने वाली 'विघ्‍न' या बाधाओं में से प्रमुख है। हमें यह समझना चाहिए कि वित्तीय बाधाएं अक्सर वित्तीय अनुशासन का पालन न करने का परिणाम होती हैं। हमें समझदारी से निवेश का विकल्प चुनकर इन वित्तीय बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है।

सबसे पहले, हमें यह समझने की ज़रूरत है कि सिर्फ बचत ही वित्तीय सुरक्षा की गारंटी नहीं देती है, क्योंकि महंगाई हमारी बचत की वैल्यू को लगातार कम कर रहा है। अगर हम भविष्‍य के लिए बड़ा फंड जुटाना या कह सकते हैं कि दौलत बनाना चाहते और अपना भविष्य वित्तीय रूप से सुरक्षित करना चाहते हैं तो हमें अपनी बचत को सही तरीके से निवेश करने की आवश्यकता है।

टिप्स पर निवेश या सट्टा आधारित ट्रेडिंग के जरिए तेजी से मुनाफा कमाने की सोचने की बजाय, म्यूचुअल फंड में एसआईपी करना समझदारी है। यह स्‍ट्रैटेजी सुनिश्चित करती है कि आपकी बचत को इस तरह से काम में लाया जाए जो कुशल और प्रभावी दोनों हो। म्यूचुअल फंड में सिस्‍टमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान (एसआईपी) में दक्षता और कार्यकुशलता यानी तय लक्ष्य को पूरा करने वाले गुण होते हैं। एसआईपी आपको बाजार की स्थितियों की परवाह किए बिना नियमित रूप से एक तय राशि का निवेश करने और समय के साथ अपनी दौलत में इजाफा करने का बेहतर विकल्प है। निवेश का यह अनुशासित तरीका बाजार की अस्थिरता और भावनाओं पर आधारित निवेश का निर्णय लेने की बाधाओं को दूर करने में मदद करता है, जिससे वित्तीय स्थिरता और ग्रोथ का रास्ता खुलता है।

फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह सुनना

भगवान गणेश के बड़े कान हमें सिखाते हैं कि दूसरों की सलाह अच्छे से सुनना चाहिए। फाइनेंस की दुनिया में, इसका अर्थ बेहतर वित्तीय सलाह पर ध्यान देना या किसी योग्य फाइनेंशियल प्लानर/सेबी में रजिस्टर्ड फाइनेंशियल एडवाइजर से परामर्श करना हो सकता है। एक फाइनेंशियल एडवाइजर निवेश से जुड़ी जटिलताओं से निपटने में मदद कर सकता है, साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि आपका पैसा समझदारी से प्रबंधित किया गया है और दीर्घकालिक लक्ष्यों के अनुरूप है।

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गलतियों से सीखें

गणेश जी का बड़ा सिर ज्ञान और शिक्षा का प्रतीक है। निवेश के मामले में, इसका अर्थ है पिछली गलतियों से सीखने की समझदारी और एक समझदार निवेशक बनना। कई निवेशकों को बिना सोचे समझे लिए गए निर्णयों, अनुशासन की कमी या बहुत अधिक या बहुत कम जोखिम लेने के कारण नुकसान हुआ है। हालांकि, निराश होने के बजाय, इन अनुभवों को मूल्यवान सबक मानें जो हमें सफलता की राह दिखाते हैं।

जीवन के सबक

अगर हम गणपति की मूर्ति को देखें तो अक्सर देखते हैं कि उनका बायां दांत टूटा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हम समझते हैं कि महाभारत लिखने वाले महर्षि वेद व्यास चाहते थे कि कोई इस कहानी को लिखे क्योंकि यह उनके दिमाग से निकली है। इतनी तेज गति से लिखना पृथ्वी पर किसी के लिए भी संभव नहीं था। इसलिए, उन्होंने भगवान गणेश से मदद मांगी। भगवान गणेश मदद करने के लिए सहमत हुए और एक साधारण कलम का उपयोग करके लिखना शुरू कर दिया। हालांकि, लेख के बीच में ही कलम टूट गई।

गणेशजी रुकना नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपना दांत तोड़ दिया और उसकी जगह टूटे हुए दांत की नोक से लिखना जारी रखा। गणेश जी के समर्पण और प्रतिबद्धता ने हिंदू परंपरा को एक महाकाव्य ग्रंथ दिया। हालांकि, अपने निवेश के साथ, जबकि हम अपनी निवेश की यात्रा उत्साह के साथ शुरू करते हैं, जैसे ही बाजार अस्थिर या गिरता है, हम अपने एसआईपी बंद करने लगते हैं और यहां तक कि अपने निवेश को समय से पहले भुनाने की सोचते हैं।

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एसआईपी (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के माध्यम से निरंतरता और निवेश में अनुशासन को लागू किया जा सकता है। एसआईपी आपको हर महीने केवल 10,000 रुपये का निवेश करके 20 साल में 1 करोड़ रुपये जमा करने में मदद कर सकता है (यह मानते हुए कि एनुअलाइज्‍ड रिटर्न 13% है)। रिटर्न की समान दर हो तो मंथली 45000 रुपये एसआईपी से सिर्फ 10 साल में 1 करोड़ रुपये जुटा सकते हैं।

तो आज ही अपना एसआईपी शुरू करें, क्योंकि कुछ साल की देरी से आपको बड़ा नुकसान हो सकता है और जल्दी निवेश शुरू करने वालों की तुलना में आपके द्वारा जुटाया गया फंड बहुत कम हो सकता है। इस गणेश चतुर्थी पर, आइए हम अपनी बुरी वित्तीय आदतों को तोड़ने और सिस्‍टमैटिक इन्वेस्टिंग को अपनाने का संकल्प लेकर विघ्नहर्ता भगवान गणेश का सम्मान करें। अभी से शुरुआत करके - अपनी वर्तमान परिस्थितियों की परवाह किए बिना - और कंपाउंडिंग की ताकत को अपने पक्ष में काम करने की अनुमति देकर, हम सफलता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं, अंत में एक उज्जवल वित्तीय रूप से सुरक्षित भविष्य बना सकते हैं।

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