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Resale vs new flat: नया फ्लैट मॉडर्न लेकिन महंगा, रीसेल फ्लैट सस्ता लेकिन रिस्की; किसे चुनें?

Resale vs new flat: कई बार हम न्यू फ्लैट और रीसेल फ्लैट के बीच कन्फ्यूज हो जाते हैं। आर्टिकल में जानते हैं कि इन दोनों ऑप्शन में से बेस्ट कौन-सा रहेगा।

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Resale vs new flat
Resale vs new flat

हर किसी का सपना होता है कि उसके पास अपना घर हो। लेकिन जब बात आती है घर खरीदने की, तो सामने दो ऑप्शन खड़े हो जाते हैं एकदम नया फ्लैट (New Flat) या फिर सेकंड हैंड यानी रीसेल फ्लैट (Resale Flat)। इन दोनों ही ऑप्शन के अपने फायदे और मुश्किलें हैं। पहली बार घर खरीदने वालों के लिए ये फैसला लेना और भी मुश्किल हो जाता है।

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पहला घर खरीदने वालों के लिए कौन सा बेहतर?

पिछले कुछ सालों में नए और रीसेल फ्लैट (Resale vs New Flat) की कीमतों में ज्यादा फर्क नहीं बचा है। कई पुराने फ्लैट प्राइम लोकेशन पर मिल जाते हैं और उनका रख-रखाव भी अच्छा होता है। 

रीसेल फ्लैट का फायदा यह है कि यह तुरंत रेडी-टू-शिफ्ट होता है। इस पर जीएसटी (GST) नहीं देना पड़ता। वहीं, नए फ्लैट थोड़े महंगे होते हैं। अगर निर्माणाधीन हैं तो उस पर GST देना पड़ता है। लेकिन नए फ्लैट में मॉडर्न डिजाइन, शानदार सुविधाएं और पेमेंट प्लान मिल जाता है।

प्रभात सिन्हा NMBPL के प्रोजेक्ट हेड के अनुसार नया फ्लैट और रीसेल फ्लैट में सेलेक्शन करना आसान नहीं होता। नया फ्लैट आपको एकदम मॉडर्न डिजाइन, नई सुविधाएं और बेहतर क्वालिटी का भरोसा देता है, लेकिन इसकी कीमत ज्यादा होती है। वहीं, दूसरी तरफ रीसेल फ्लैट जेब पर हल्का पड़ता है और आपको तुरंत रहने का मौका देता है, साथ ही अक्सर ये प्राइम लोकेशन पर मिलते हैं। लेकिन इसमें मेंटेनेंस, रिपेयर और डॉक्यूमेंट्स से जुड़ी दिक्कतें भी आ सकती हैं। इसलिए फैसला सिर्फ दाम देखकर या नया होने के लालच में नहीं करना चाहिए। 

सबसे पहले अपनी जरूरतें, बजट और लंबी अवधि का सोच साफ करें। अगर आपको आराम और मॉडर्न लाइफस्टाइल चाहिए तो नया फ्लैट सही है और अगर बजट और लोकेशन अहम है तो रीसेल फ्लैट बेहतर हो सकता है। 

रीसेल फ्लैट खरीदने से पहले किन बातों का ध्यान दें?

रीसेल फ्लैट लेते समय डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन सबसे जरूरी होता है। जैसे कि मालिकाना हक, बिक्री दस्तावेज (Sale Deed), लोन क्लेरेन्स सर्टिफिकेट (Loan Clearance), अधिभोग प्रमाण पत्र (Occupancy Certificate) और नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC)। इन सभी डॉक्यूमेंट्स की जांच करके ही सौदा फाइनल करना समझदारी होगी।

नए फ्लैट में क्या खास मिलता है?

नए फ्लैट्स में आम तौर पर जिम, गार्डन, क्लब हाउस, स्विमिंग पूल और 24x7 सिक्योरिटी जैसी आधुनिक सुविधाएं होती हैं। जबकि पुराने फ्लैट्स में यह सब कम ही देखने को मिलता है। हालांकि, अगर रीसेल फ्लैट अच्छे लोकेशन और अच्छी सोसाइटी में है तो वहां भी कई सुविधाएं मौजूद हो सकती हैं।

कीमत पर बातचीत कहां आसान होती है?

कीमत पर मोलभाव (Negotiation) की बात करें तो रीसेल फ्लैट में आपके पास ज्यादा चांस होते हैं। क्योंकि इन्हें सीधे मालिक बेचता है और वह डील क्लोज करने के लिए कीमत कम करने को तैयार हो सकता है। दूसरी ओर, नए फ्लैट्स में डेवलपर्स तय दाम रखते हैं और वहां ज्यादा गुंजाइश नहीं होती।

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फ्लैट के री-डेवलपमेंट का फायदा

किसी भी फ्लैट की औसत उम्र करीब 50 साल मानी जाती है। लेकिन असली फायदा यह है कि फ्लैट के साथ जमीन का हक (Undivided Share of Land) भी आपके नाम आता है। जब बिल्डिंग पुरानी होकर गिराने लायक हो जाती है तो सोसाइटी रीडेवलपमेंट (Redevelopment) कराती है और उस वक्त आपको नया फ्लैट मिल जाता है।

रख-रखाव और मरम्मत का खर्च

रीसेल फ्लैट खरीदते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मासिक चार्ज, सोसाइटी फंड, प्रॉपर्टी टैक्स और छोटे-मोटे रेनोवेशन जैसे खर्च आपके ऊपर आएंगे। वहीं, नए फ्लैट में शुरूआती सालों तक ऐसे खर्च बहुत कम होते हैं।

होम लोन कहां आसान है?

नए और पुराने दोनों फ्लैट पर होम लोन (Home Loan) आसानी से मिल जाता है। फर्क सिर्फ इतना है कि नए फ्लैट्स में डेवलपर्स बैंक से टाई-अप रखते हैं जिससे लोन प्रोसेस जल्दी हो जाता है। वहीं रीसेल फ्लैट में सारी जांच-पड़ताल खरीदार को करनी पड़ती है।

रीसेल वैल्यू में कौन आगे?

पांच-दस साल बाद रीसेल फ्लैट और नए फ्लैट की कीमतें पूरी तरह से लोकेशन और बाजार पर डिपेंड करती हैं। प्राइम लोकेशन वाले पुराने फ्लैट्स की वैल्यू हमेशा बनी रहती है। वहीं, नए फ्लैट्स में शुरुआती वर्षों में बिल्डर प्रीमियम घट सकता है लेकिन लंबी अवधि में आधुनिक सुविधाएं कीमत को बढ़ा देती हैं।

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