इस राज्य सरकार ने दिया 'दिवाली गिफ्ट', कर्मचारियों और पेंशनधारकों को 28 अक्टूबर को मिलेगी सैलरी और पेंशन
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा, "अक्टूबर का वेतन और पेंशन दिवाली को देखते हुए 28 अक्टूबर को दिया जाएगा।" इससे पहले, राज्य में वित्तीय अनुशासन लाने के प्रयासों के चलते वेतन में थोड़ी देरी हुई थी। उन्होंने बताया कि डीए का भुगतान करने से राज्य के खजाने पर सालाना 600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जबकि मेडिकल बिलों के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान पहले ही किया जा चुका है।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने घोषणा की है कि राज्य सरकार दिवाली के मौके पर 28 अक्टूबर को सभी राज्य कर्मचारियों और पेंशनधारकों को वेतन और पेंशन का भुगतान करेगी। इसके साथ ही सरकार 1 जनवरी 2023 से लंबित 4% महंगाई भत्ते (डीए) का भी भुगतान करेगी, जिससे करीब 3.50 लाख कर्मचारियों और पेंशनधारकों को लाभ होगा। उन्होंने यह भी बताया कि कर्मचारियों के मेडिकल इंबर्समेंट बिलों का भी निपटारा किया जाएगा।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा, "अक्टूबर का वेतन और पेंशन दिवाली को देखते हुए 28 अक्टूबर को दिया जाएगा।" इससे पहले, राज्य में वित्तीय अनुशासन लाने के प्रयासों के चलते वेतन में थोड़ी देरी हुई थी। उन्होंने बताया कि डीए का भुगतान करने से राज्य के खजाने पर सालाना 600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जबकि मेडिकल बिलों के लिए 10 करोड़ रुपये का प्रावधान पहले ही किया जा चुका है।
एनपीएस कर्मचारियों को भी मिलेगा डीए
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र से 6 और 10 सितंबर को राजस्व घाटा अनुदान और टैक्स शेयर प्राप्त हुआ है, जिससे राज्य को लाभ हुआ है। वेतन वितरण में देरी से राज्य सरकार को हर महीने करीब 3 करोड़ रुपये और सालाना 36 करोड़ रुपये की बचत होती है।
सुक्खू ने बताया कि 1.15 लाख से अधिक कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) का विकल्प चुना है, जबकि 1,364 कर्मचारी नई पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि एनपीएस के तहत काम करने वाले कर्मचारियों को भी डीए का लाभ मिलेगा।
2027 तक आत्मनिर्भर हिमाचल का लक्ष्य
सुक्खू ने पिछली भाजपा सरकार पर राज्य के आर्थिक हालात बिगाड़ने का आरोप लगाया, खासकर 5,000 करोड़ रुपये की मुफ्त योजनाओं के कारण। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार द्वारा मुफ्त बिजली, ग्रामीण क्षेत्रों में मुफ्त पानी और डीजल-पेट्रोल पर वैट में कमी जैसी योजनाएं लागू की गई थीं, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति कमजोर हुई है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि मुफ्त बिजली योजना को वापस नहीं लिया गया है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में होटलों और अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के लिए पानी का शुल्क लागू किया गया है।
सुक्खू ने अंत में कहा, "हम व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और 2027 तक हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाएंगे।"